पलामू: मिसिर सिंह, पड़वा प्रखंड के कजरी के रहने वाले हैं. उनका दूध का कारोबार है. वे प्रतिदिन करीब 20 किलोमीटर साइकिल चला कर दूध बेचने मेदिनीनगर जाते हैं. कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन ने उनके व्यवसाय को नुकसान पंहुचाया है. जिस दूध को वह 40 से 45 रुपए प्रति लीटर बेचते थे, उस दूध को वह 20 से 25 प्रति लीटर किलो बेच रहे हैं.
कोरोना को लेकर इतना खौफ है कि मिसिर सिंह को अगर प्यास भी लगता है तो कहीं पानी पीने के लिए रास्ते में भी नहीं रूकते. घर से निकलने के बाद और 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर घर वापस आने के बाद ही पानी पीते है. यह कहानी सिर्फ मिसिर सिंह की ही नहीं है बल्कि पलामू में करीब 25 हजार ऐसे लोग है जो दूध का कारोबार करते हैं.
लॉकडाउन के कारण पूरे देश गरीबों को बहुत परेशानी हो रही है. दूध कारोबारी कम कीमत पर दूध बेचने को मजबूर है. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने दूध और उसके उत्पादन से संबंधित पदर्थों को नुकसान पंहुचाया है. कारोबारी बताते है कि लोग उनके मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. 250 रुपए किलो बिकने वाले पनीर को लोग 125 से 150 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदना चाहते हैं. लॉकडाउन के कारण होटल, स्कूल, होस्टल बंद है. जिस कारण दूध और पनीर बिक नहीं रहा है. मजबूरी में वे कम कीमत पर दूध और पनीर को बेच रहे हैं.
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पढ़ाई करने के साथ-साथ दूध बेचने वाले श्याम सुधीर यादव ने बताया कि जो भूसा छह रुपये किलो खरीदा करते थे वो आठ से 12 रुपए किलो खरीद रहे हैं. खरी भी काफी महंगी मिल रही है. पशुओं को चारा देने के लिए वे कम कीमत पर बेचने को तैयार हैं.
पलामू में 25 हजार से अधिक लोग दूध के कारोबार से जुड़े हैं. जिले में करीब दो लाख लीटर का उत्पादन होता है. इसका बड़ा हिस्सा होटल, चाय दुकान, होस्टल, स्कूलों में जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण करीब 60 से 70 हजार लीटर बिक नहीं पा रहा है. कारोबारी पशुओं को चारा खिलाने के लिए परेशान है. वे अधिक कीमत पर चारा को खरीद कर कम कीमत पर दूध बेचने पर मजबूर है.