पलामूः दो दशक में माओवादियों के गुरिल्ला आर्मी की संख्या अब हजारों से सिमटकर दर्जनों में सिमट गई है. 2 दिसंबर 2000 को इसका गठन हुआ था. यह पीपुल्स वार ग्रुप ने बनाया था. इसी दौरान माओवादियों के तीन सेंट्रल कमिटी सदस्य श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेन्टर ऑफ इंडिया (MCCI) का विलय हो गया. दोनों के विलय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) बनी. उसके पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नामकरण पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी हो गई. 2004 में पलामू के बिश्रामपुर के इलाके में ही पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी का पहली बैठक हुई थी. पूर्व माओवादी टॉप नेता सह आजसू के केंद्रीय सदस्य सतीश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि तीनों टॉप कमांडर के बरसी पर PLGA का गठन हुआ, बाद में इसका धीरे-धीरे ढांचागत विस्तार हुआ था. वो बताते है कि वर्षों पहले वो मुख्यधारा में आ गए है, अब इसमें क्या फेरबदल हुआ है कहना बेहद ही मुश्किल है.
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PLGA धीरे-धीरे खोता गया जनाधार, नहीं मिल रहे कैडर
माओवादियों की हिंसक गतिविधि को PLGA ही अंजाम देता है. PLGA के पास रॉकेट लांचर से लेकर कई आधुनिक हथियार हैं. पूर्व माओवादी सह आजसू नेता सतीश कुमार ने बताया कि सिर्फ हथियार के बल पर सत्ता परिवर्तन नहीं हो सकता. वो बताते हैं माओवादी कई संगठनों को मिला कर बना था. सभी एक तो हो गए लेकिन एक विचारधारा नहीं बन पाई. सभी एक हो कर भी अलग अलग विचारधारा से काम करते रहे. नतीजा है कि उनका जनाधार घटता गया और वो कमजोर होते चले गए.
झारखंड बिहार में PLGA कई बड़े हमलों को अंजाम दे चुका है
माओवादियों के पीपुल्स लिबरेशन अब गोरिल्ला आर्मी झारखंड बिहार में कई बड़े नक्सल हमलों को अंजाम दे चुका है. झारखंड बिहार में PLGA का टॉप कमांडर एक करोड़ का इनामी माओवादी किशन दा है.