पलामूः माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य संदीप यादव की मौत के बाद एक युग का अंत हो गया है. संदीप यादव झारखंड बिहार में कई नक्सल हमले की योजना तैयार करता था, इसी की निगरानी में माओवादी आधुनिक हथियारों की खरीद करते थे. माओवादी जब आर्थिक संकट का सामना करते थे संदीप यादव इस संकट से संगठन को बाहर निकलता था. संदीप यादव पर झारखंड बिहार में 300 से अधिक नक्सल हमले के मामले दर्ज थे. उसका प्रभाव बिहार के छकरबंधा, झारखंडा के बूढ़ापहाड़ और सारंडा में इलाके में था. संदीप यादव किसी जमाने में पार्टी यूनिटी से नक्सल आंदोलन में शामिल हुआ था, 2004 में एमसीसी और पार्टी यूनिटी के विलय के बाद वह माओवादियों का टॉप कमांडर था.
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संदीप यादव बिहार के गया, औरंगाबाद, रोहतास जबकि झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार में पुलिस और सुरक्षाबलों पर नक्सल हमले की योजना तैयार करता था. जबकि 2015-16 में गया और औरंगाबाद सीमा पर माओवादियों ने कोबरा की टीम पर हमला किया था. इस हमले में कोबरा के 10 जवान शहीद हुए थे. इस हमले के बाद माओवादियों के प्रवक्ता अभय यादव पकड़ा गया था. अभय यादव ने पुलिस को बताया था कि संदीप यादव किस तरह से हमले की योजना तैयार करता है और किस तरह पूरी प्लानिंग को गोपनीय रखा जाता है.
संदीप यादव अपने पास से लैपटॉप रखता था और इसी लैपटॉप में वह हमले की योजना तैयार करता था. हमले से कुछ वक्त पहले ही बाकी के सदस्यों को जानकारी दी जाती थी. हमले से करीब 500 मीटर की दूरी पर वह बैठकर पूरी योजना को अंजाम दिया करता. 2009 के बाद झारखंड बिहार सीमा पर जितने भी बड़े नक्सल हमले हुए हैं उसमें संदीप यादव के बड़ी भूमिका है. संदीप यादव तीन दर्जन से अधिक जवानों के शहीद होने की घटना में शामिल रहा है.
एम 16, एके-47, ड्रोन की खरीदारी संदीप यादव की निगरानी में होतीः माओवादी झारखंड बिहार में आधुनिक हथियार और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल संदीप यादव के नेतृत्व में ही करते थे. इजराइली हथियार एम 16, एके-47 की खरीदारी माओवादी संदीप यादव के निगरानी में ही करते थे. माओवादी प्रवक्ता अभय यादव ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया था कि संदीप यादव के निगरानी में ही माओवादियों ने ड्रोन, लैपटॉप, वॉकी-टॉकी समेत कई आधुनिक सामानों की खरीदारी की है, सारे हथियार 2014 के बाद खरीदे गए हैं.
लैंडमाइंस के बनाने की आधुनिक तरीके भी संदीप यादव के निर्देश में माओवादियों ने अपनाया था. संदीप यादव ने एक साथ दो एम 16 , 16 एके-47 खरीदा था. संदीप यादव के नेतृत्व में है माओवादी उन्हें घोड़े दस्ते की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में घोड़े का दस्ता बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षा बलों ने खत्म कर दिया था और घोड़े को जब्त कर लिया था.
माओवादियों को पैसे की कमी दूर करता था संदीपः माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य संदीप यादव संगठन में पैसों की कमी को दूर करता था. गिरफ्तारी से पहले एक करोड़ के इनामी माओवादी प्रशांत बोस के कहने पर संदीप यादव ने सारंडा के इलाके में माओवादियों को आर्थिक संकट से बाहर निकाला था. एक अनुमान के मुताबिक संदीप यादव प्रतिवर्ष 10 से 12 करोड़ रुपये की लेवी वसूलता था. संदीप यादव खुद 40 मोबाइल का इस्तेमाल करता था, यह सारे मोबाइल फोन अलग-अलग लोगों से बात करने के लिए होते थे. हर नंबर से वह अलग-अलग व्यक्तियों से बात करता था.
तीन स्तर के सुरक्षा घेरा में रहता था संदीप यादवः संदीप यादव माओवादी संगठन में तीन स्तर की सुरक्षा घेरा में रहा करता था. पहले घेरे में उसके खास कमांडो, दूसरे घेरे में 20 से 25 माओवादी जबकि तीसरे और बाहरी घेरे में 20 से 25 माओवादी रहा करते थे. पहला और दूसरे सुरक्षा घेरा की दूरी एक से दो किलोमीटर की होती थी, जबकि दूसरे सुरक्षा घेरा की दूरी 500 मीटर के दायरे में होती थी. संदीप यादव का सबसे सुरक्षित ठिकाना गया का छकरबंधा का इलाका था. प्रशांत बोस के पकड़े जाने के बाद संदीप यादव, प्रमोद मिश्रा को माओवादियों का ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सुप्रीम बनाना चाहता था. मांओवादियों के टॉप कमांडर में आर्थिक रूप से सबसे मजबूत संदीप यादव ही था.