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सात साल गुजर गए बकोरिया मुठभेड़ की सच्चाई नहीं आई सामने, 2018 से सीबीआई कर रही जांच

बकोरिया मुठभेड़ (Bakoria Encounter) के सात साल हो गए, पिछले चार साल से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, फिर भी अब तक इस कथित मुठभेड़ की गुत्थी नहीं सुलझी है.

know everything about Bakoria encounter
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Published : Oct 13, 2022, 7:15 PM IST

पलामू: 08 जून 2015 पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के भलवही में कथित तौर पर 12 माओवादी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे. यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बना था. बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई 2018 से कर रही है. लेकिन घटना के सात वर्षो के बाद भी पता नहीं चल पाया है कि 08 जून 2015 को बकोरिया के भलवाही में क्या हुआ था? इस घटना में माओवादियों का जोनल कमांडर आरके यादव उर्फ अनुराग, उसका बेटा-भतीजा, पारा शिक्षक उदय यादव उसका भाई नीरज यादव भी मारे गए थे. पूरे मामले को लेकर उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने पूरी घटना को फर्जी बताते हुए हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की थी. नवम्बर-दिसंबर 2018 में हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. जिसके बाद सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच (CBI probe into Bakoria Encounter) शुरू की थी. इस घटना की जांच के लिए सीबीआई की टीम एक दर्जन से अधिक बार पलामू का दौरा कर चुकी है.

ये भी पढ़ें- कथित बकोरिया मुठभेड़ की सच्चाई को सामने लाने की लड़ाई लड़ रहे जवाहर यादव, कहा- उन्हें मैनेज करने की हुई कोशिश

बकोरिया मुठभेड़ की जांच 90 प्रतिशत पूरी हुई, जेजेएमपी से जुड़ा सम्बंध: बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई के एसपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं. कथित बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई 90 प्रतिशत पूरी कर चुकी है. सीबीआई जांच में इस मुठभेड़ का संबंध नक्सल संगठन जेजेएमपी से जुड़ा है. मामले में सीबीआई चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है. सीबीआई जांच में जेजेएमपी का नाम जुडने के बाद सभी कड़ियों को जोड़ रही है. मामले में सीबीआई बकोरिया में दो बार रीक्रिएशन ऑफ क्राइम सीन कर चुकी है. कथित बकोरिया मुठभेड़ की जांच कर सीबीआई की टीम ने मारे गए सभी 12 लोगों के रिकॉर्ड को खंगाल लिया है. सीबीआई की टीम मारे गए आधे से अधिक का लोगों का नक्सल संबंध होने का रिकॉर्ड मिला है. कई के परिजनों ने सीबीआई की टीम को कई जानकारी दी है. जबकि कई ने खुद के परिवार का नक्सल से संबंध होने से इंकार का किया है.

एफआईआर करने वाला दारोगा ने सीबीआई के समक्ष बदला था बयान: कथित बकोरिया मुठभेड़ की पहली एफआईआर पलामू के सदर थाना में दर्ज किया गया था. उस दौरान सतबरवा के तत्कालीन ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान पर एफआईआर दर्ज हुआ था. उस दौरान मोहम्मद रुस्तम ने बयान में लिखा था कि 08 जून 2015 को रात 9:40 बजे सूचना मिली कि माओवादियों का एक दस्ता मनिका सतबरवा सीमा से गुजरने वाला है. इसी सूचना के आलोक में एनएच 75 पर भलुवाही पहुंचे वहां पहले से कोबरा के अधिकारी और जवान मौजूद थे. कोबरा की टीम के साथ मिल कर वाहन चेकिंग शुरू की गई. इसी दौरान कुछ जवानों को स्टोन क्रशर के कच्चे रास्ते में लगाया गया, रात करीब 11 बजे एक उजला स्कॉर्पियो वहां पहुंचा, जवानों को देख उसमें से कुछ उतरकर स्टोन क्रशर की तरफ भागने लगे. स्कोर्पियो सतबरवा की तरफ भाग गया. पीछे से आ रही सिल्वर कलर की स्कोर्पियो पुलिस को देख स्टोन क्रशर के तरफ कच्ची रास्ता में जाने लगी. मौके पर तैनात जवानों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्कार्पियो में बैठे लोगों ने फायरिंग की. इस दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने चिल्लाकर स्कार्पियो सवार लोगों को कहा कि वे पुलिस हैं, फायरिंग नहीं करें, बावजूद फायरिंग जारी रही. फिर जवानों ने आत्मसमर्पण करने को कहा. बावजूद इसके स्कार्पियो से उतरकर सभी ने फायरिंग की. अंत में आदेश के बाद जवानों ने सीमित फायरिंग की, बीच-बीच में फायरिंग को रोका गया. फिर भी दूसरी तरफ से फायरिंग जारी रही. रात 12:15 में एसपी को सूचना दे कर अतिरक्त बल की मांग की गई. रात एक बजे सीआरपीएफ 134 की टीम पहुंची और इलाके में सर्च अभियान चलाया गया. जिसमें गोली लगे हुए लोगों को बरामद किया गया है. अधिक ब्लीडिंग के कारण सभी की मौत हो चुकी थी. सीबीआई की पूछताछ में मोहम्मद रुस्तम बदल गया और कहा कि वे घटना के दौरान मौके पर मौजूद ही नहीं थे. जिसके बाद पूरी घटना की जांच ही बदल गई.

ये भी पढ़ें- कथित बकोरिया मुठभेड़ स्थल का सीबीआई ने लिया जायजा, घटनास्थल से दूर जामुन पेड़ के नीचे से लिया सैंपल

डीजीपी, आईजी, डीआईजी, एसपी समेत 500 से अधिक लोगों से हुई है पूछताछ: कथित बकोरिया मुठभेड़ के मामले में सीबीआई की टीम ने अब तक तत्कालीन डीजीपी, तत्कालीन आईजी, तत्कालीन डीआईजी, एसपी समेत 500 से अधिक लोगों से पूछताछ की है. सीबीआई की टीम ने घटनास्थल के अगल-बगल ग्रामीणों से भी पूछताछ की है. इसके अलावा सीबीआई ने कोबरा सीआरपीएफ के टॉप अधिकारियों से भी पूछताछ की है. सीबीआई की टीम ने घटना के दिन सीआरपीएफ के जवानों द्वारा खींची गई फोटो को भी रिकवर कर लिया है. घटना के वक्त बताया गया था कि इस मुठभेड़ में मारे गए 12 में से चार नाबालिग हैं. सीबीआई जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि मारे गए चारों नाबालिग घटना के वक्त बालिग थे.

पलामू: 08 जून 2015 पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के भलवही में कथित तौर पर 12 माओवादी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे. यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बना था. बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई 2018 से कर रही है. लेकिन घटना के सात वर्षो के बाद भी पता नहीं चल पाया है कि 08 जून 2015 को बकोरिया के भलवाही में क्या हुआ था? इस घटना में माओवादियों का जोनल कमांडर आरके यादव उर्फ अनुराग, उसका बेटा-भतीजा, पारा शिक्षक उदय यादव उसका भाई नीरज यादव भी मारे गए थे. पूरे मामले को लेकर उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने पूरी घटना को फर्जी बताते हुए हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की थी. नवम्बर-दिसंबर 2018 में हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. जिसके बाद सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच (CBI probe into Bakoria Encounter) शुरू की थी. इस घटना की जांच के लिए सीबीआई की टीम एक दर्जन से अधिक बार पलामू का दौरा कर चुकी है.

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बकोरिया मुठभेड़ की जांच 90 प्रतिशत पूरी हुई, जेजेएमपी से जुड़ा सम्बंध: बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई के एसपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं. कथित बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई 90 प्रतिशत पूरी कर चुकी है. सीबीआई जांच में इस मुठभेड़ का संबंध नक्सल संगठन जेजेएमपी से जुड़ा है. मामले में सीबीआई चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है. सीबीआई जांच में जेजेएमपी का नाम जुडने के बाद सभी कड़ियों को जोड़ रही है. मामले में सीबीआई बकोरिया में दो बार रीक्रिएशन ऑफ क्राइम सीन कर चुकी है. कथित बकोरिया मुठभेड़ की जांच कर सीबीआई की टीम ने मारे गए सभी 12 लोगों के रिकॉर्ड को खंगाल लिया है. सीबीआई की टीम मारे गए आधे से अधिक का लोगों का नक्सल संबंध होने का रिकॉर्ड मिला है. कई के परिजनों ने सीबीआई की टीम को कई जानकारी दी है. जबकि कई ने खुद के परिवार का नक्सल से संबंध होने से इंकार का किया है.

एफआईआर करने वाला दारोगा ने सीबीआई के समक्ष बदला था बयान: कथित बकोरिया मुठभेड़ की पहली एफआईआर पलामू के सदर थाना में दर्ज किया गया था. उस दौरान सतबरवा के तत्कालीन ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान पर एफआईआर दर्ज हुआ था. उस दौरान मोहम्मद रुस्तम ने बयान में लिखा था कि 08 जून 2015 को रात 9:40 बजे सूचना मिली कि माओवादियों का एक दस्ता मनिका सतबरवा सीमा से गुजरने वाला है. इसी सूचना के आलोक में एनएच 75 पर भलुवाही पहुंचे वहां पहले से कोबरा के अधिकारी और जवान मौजूद थे. कोबरा की टीम के साथ मिल कर वाहन चेकिंग शुरू की गई. इसी दौरान कुछ जवानों को स्टोन क्रशर के कच्चे रास्ते में लगाया गया, रात करीब 11 बजे एक उजला स्कॉर्पियो वहां पहुंचा, जवानों को देख उसमें से कुछ उतरकर स्टोन क्रशर की तरफ भागने लगे. स्कोर्पियो सतबरवा की तरफ भाग गया. पीछे से आ रही सिल्वर कलर की स्कोर्पियो पुलिस को देख स्टोन क्रशर के तरफ कच्ची रास्ता में जाने लगी. मौके पर तैनात जवानों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्कार्पियो में बैठे लोगों ने फायरिंग की. इस दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने चिल्लाकर स्कार्पियो सवार लोगों को कहा कि वे पुलिस हैं, फायरिंग नहीं करें, बावजूद फायरिंग जारी रही. फिर जवानों ने आत्मसमर्पण करने को कहा. बावजूद इसके स्कार्पियो से उतरकर सभी ने फायरिंग की. अंत में आदेश के बाद जवानों ने सीमित फायरिंग की, बीच-बीच में फायरिंग को रोका गया. फिर भी दूसरी तरफ से फायरिंग जारी रही. रात 12:15 में एसपी को सूचना दे कर अतिरक्त बल की मांग की गई. रात एक बजे सीआरपीएफ 134 की टीम पहुंची और इलाके में सर्च अभियान चलाया गया. जिसमें गोली लगे हुए लोगों को बरामद किया गया है. अधिक ब्लीडिंग के कारण सभी की मौत हो चुकी थी. सीबीआई की पूछताछ में मोहम्मद रुस्तम बदल गया और कहा कि वे घटना के दौरान मौके पर मौजूद ही नहीं थे. जिसके बाद पूरी घटना की जांच ही बदल गई.

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डीजीपी, आईजी, डीआईजी, एसपी समेत 500 से अधिक लोगों से हुई है पूछताछ: कथित बकोरिया मुठभेड़ के मामले में सीबीआई की टीम ने अब तक तत्कालीन डीजीपी, तत्कालीन आईजी, तत्कालीन डीआईजी, एसपी समेत 500 से अधिक लोगों से पूछताछ की है. सीबीआई की टीम ने घटनास्थल के अगल-बगल ग्रामीणों से भी पूछताछ की है. इसके अलावा सीबीआई ने कोबरा सीआरपीएफ के टॉप अधिकारियों से भी पूछताछ की है. सीबीआई की टीम ने घटना के दिन सीआरपीएफ के जवानों द्वारा खींची गई फोटो को भी रिकवर कर लिया है. घटना के वक्त बताया गया था कि इस मुठभेड़ में मारे गए 12 में से चार नाबालिग हैं. सीबीआई जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि मारे गए चारों नाबालिग घटना के वक्त बालिग थे.

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