पलामू: झारखंड के नक्सली संगठन अब अपराध करने वाले गिरोह बनते जा रहे हैं. तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) और झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) पूरी तरह से अपराधी गिरोह बन गए हैं, जबकि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी भी आपराधिक गिरोह की राह पर चल पड़ा है. इसका खुलासा हाल के दिनों में गिरफ्तार नक्सली और आत्मसमर्पण करने वाले टॉप कमांडरों ने किया है. पुलिस ने गिरफ्तार और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के खुलासे के बाद एक नई रणनीति के तहत कार्य योजना तैयार किया है और नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. लातेहार पुलिस ने कुछ दिनों पहले टॉप माओवादी कमांडर संजीवन को गिरफ्तार किया था. वहीं टीएसपीसी के टॉप कमांडर दशरथ उरांव ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. संजीवन और दशरथ ने पुलिस को कई जानकारी दी है.
दोनों ने बताया कि माओवादी और टीएसपीसी ने आपराधिक गिरोह की तरह कार्य करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा सभी संगठन उन इलाकों में अपनी सक्रियता को बढ़ाना चाहते हैं, जिस इलाके में आसानी से लेवी और रंगदारी मिल सके. पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि यह सही है कि टीएसपीसी समेत अन्य नक्सल संगठन अपराधी गिरोह की तरह कार्य कर रहे हैं. हाल के दिनों में पुलिस के कब्जे में आए कमांडरों ने इसका खुलासा किया है. आईजी ने बताया कि पुलिस नक्सल संगठनों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है और कार्रवाई कर रही है.
सैकड़ों से दर्जनों में सिमट गई है नक्सल संगठनों के कैडर की संख्या: नक्सल संगठनों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में नक्सलियों की संख्या घटती जा रही है. इनकी संख्या सैकड़ों से दर्जनों में सिमट गई है. झारखंड-छत्तीसगढ़ और झारखंड-बिहार सीमा से माओवादी को छोड़ सभी नक्सल संगठनों का सफाया हो गया है. जबकि पलामू, चतरा, लातेहार, गढ़वा में टीएसपीसी जैसे नक्सली संगठनों का कैडर 25 से 30 की संख्या में सिमट गया है. जेजेएमपी के कैडर भी 30 के करीब बचे हैं. हाल के दिनों में प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी और जेजेएमपी ने अपराधियों की तरह ही हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है. टीएसपीसी ने पलामू के मोहम्मदगंज और नावाबाजार के इलाके में आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया है, जबकि जेजेएमपी ने लातेहार के इलाके में कई लोगों के साथ मारपीट की है. आत्मसमर्पण करने वाले और गिरफ्तार नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि नक्सल कैडर का सीधा उद्देश्य अधिक से अधिक पैसा वसूलना रह गया है. नक्सल संगठन के टॉप कमांडर अधिक से अधिक पैसा वसूलना चाहते हैं और इलाके को छोड़कर भाग जाना चाहते हैं.