ETV Bharat / state

माओवादियों के दुश्मन थे कभी, बाद में बन गए दोस्त, दशकों से 'सफेदपोश' कर रहे नक्सलियों की मदद

कभी माओवादियों के दुश्मन रहे लोग बाद में उनके दोस्त बनकर उनके मददगार बन गए. इसका खुलासा बूढ़ापहाड़ में चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑक्टोपस के दौरान हुआ है. माओवादियों के दोस्त बनकर उनकी मदद कर रहे लोगों में बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के मुखिया, पार्षद, विधान पार्षद, ठेकेदार, जमींदार सहित कई लोगों के नाम शामिल हैं (People Helping Naxalites).

People Helping Naxalites
People Helping Naxalites
author img

By

Published : Oct 20, 2022, 7:06 PM IST

पलामू: जो कभी ममाओवादियों के दुश्मन रहे थे और माओवादियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. वैसे लोग माओवादियों के मददगार बन गए (People Helping Naxalites). बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई ऐसे लोग है जो माओवादियों के दुश्मन थे और बाद में उनके मददगार बन गए. इसका खुलासा बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन ऑक्टोपस में हुआ है. बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के कई बंकर ध्वस्त किए गए हैं. इन बंकरों में माओवादियों के कई दस्तावेज मिले हैं. दस्तावेजों में माओवादियों के समर्थक और उनके मददगारों का ब्यौरा है.



इसे भी पढ़ें: बूढ़ापहाड़ से भारी मात्रा में लैंड माइंस समेत नक्सल सामग्री जब्त, जारी है सर्च अभियान

दस्तावेज में क्या मिले: दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि बिहार छत्तीसगढ़ और झारखंड के सफेदपोश किस तरह से माओवादियों के टॉप कमांडर की मदद करते थे और उन तक सामग्री पहुंचाते थे. हाल में ही बिहार और झारखंड की पुलिस ने अभियान चलाकर माओवादियों के प्रवक्ता अभय यादव उर्फ विनय को गिरफ्तार किया था. अभय ने भी 50 से अधिक माओवादी समर्थकों के नाम बताए हैं, जिसमें बिहार झारखंड के मुखिया, पार्षद, विधान पार्षद, ठेकेदार और अन्य लोगो के नाम शामिल हैं.



गया, औरंगाबाद, पलामू, लातेहार, गढ़वा के समर्थक हैं सबसे अधिक: बिहार के गया, औरंगाबाद और झारखंड के पलामू, गढ़वा और लातेहार के कई सफेदपोशों के नाम पुलिस को मिले हैं, जो दो दशक से माओवादियों की मदद कर रहे थे. इनमें कई जमींदार परिवार भी शामिल हैं. पुलिस अधिकारी नामों का खुलासा नहीं कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस दस्तावेज में जिक्र नामों पर नजर बनाए हुए हैं और सभी को रडार पर ले रखा है.

दस्तावेज में किनके नाम शामिल: जानकारी के मुताबिक, दस्तावेज में सुशील सिंह, कमल खान, लाल बाबू, सुखराज, संजय सिंह अकमल (बीड़ी पत्ता ठेकेदार), यात्री बसों के मालिकों, सत्येंद्र यादव, अर्जुन सिंह, तेज बहादुर राम, अशोक यादव, सुरेखा यादव और मोहन मुखिया हरी साव के नाम भी शामिल हैं. दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि बिहार का एक बड़ा व्यक्ति माओवादियों के हथियार के लिए लाइजिनिंग का काम करता था. कुछ बड़े जमींदारों के भी नाम हैं, जिनके खिलाफ माओवादियों ने शुरुआती दौर में फतवा जारी किया था.



बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ जारी है अभियान, सोनू कोरवा बना मददगार: बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस जारी है. अभियान के क्रम में सुरक्षाबलों को लैंडमाइंस के अलावा भारी मात्रा में अन्य नक्सल सामग्री भी बरामद हो रहे हैं. इसी कड़ी में अब तक आधा दर्जन बंकरों को ध्वस्त किया गया है. छत्तीसगढ़ का पीपरढाबा का रहने वाला सोनू कोरवा नाम का कथित माओवादी सुरक्षाबलों की मदद कर रहा है. गढ़वा के इलाके से बूढ़ापहाड़ पर सोनू कोरवा ने सुरक्षाबलों की काफी मदद की है.

पलामू: जो कभी ममाओवादियों के दुश्मन रहे थे और माओवादियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. वैसे लोग माओवादियों के मददगार बन गए (People Helping Naxalites). बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई ऐसे लोग है जो माओवादियों के दुश्मन थे और बाद में उनके मददगार बन गए. इसका खुलासा बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन ऑक्टोपस में हुआ है. बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के कई बंकर ध्वस्त किए गए हैं. इन बंकरों में माओवादियों के कई दस्तावेज मिले हैं. दस्तावेजों में माओवादियों के समर्थक और उनके मददगारों का ब्यौरा है.



इसे भी पढ़ें: बूढ़ापहाड़ से भारी मात्रा में लैंड माइंस समेत नक्सल सामग्री जब्त, जारी है सर्च अभियान

दस्तावेज में क्या मिले: दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि बिहार छत्तीसगढ़ और झारखंड के सफेदपोश किस तरह से माओवादियों के टॉप कमांडर की मदद करते थे और उन तक सामग्री पहुंचाते थे. हाल में ही बिहार और झारखंड की पुलिस ने अभियान चलाकर माओवादियों के प्रवक्ता अभय यादव उर्फ विनय को गिरफ्तार किया था. अभय ने भी 50 से अधिक माओवादी समर्थकों के नाम बताए हैं, जिसमें बिहार झारखंड के मुखिया, पार्षद, विधान पार्षद, ठेकेदार और अन्य लोगो के नाम शामिल हैं.



गया, औरंगाबाद, पलामू, लातेहार, गढ़वा के समर्थक हैं सबसे अधिक: बिहार के गया, औरंगाबाद और झारखंड के पलामू, गढ़वा और लातेहार के कई सफेदपोशों के नाम पुलिस को मिले हैं, जो दो दशक से माओवादियों की मदद कर रहे थे. इनमें कई जमींदार परिवार भी शामिल हैं. पुलिस अधिकारी नामों का खुलासा नहीं कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस दस्तावेज में जिक्र नामों पर नजर बनाए हुए हैं और सभी को रडार पर ले रखा है.

दस्तावेज में किनके नाम शामिल: जानकारी के मुताबिक, दस्तावेज में सुशील सिंह, कमल खान, लाल बाबू, सुखराज, संजय सिंह अकमल (बीड़ी पत्ता ठेकेदार), यात्री बसों के मालिकों, सत्येंद्र यादव, अर्जुन सिंह, तेज बहादुर राम, अशोक यादव, सुरेखा यादव और मोहन मुखिया हरी साव के नाम भी शामिल हैं. दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि बिहार का एक बड़ा व्यक्ति माओवादियों के हथियार के लिए लाइजिनिंग का काम करता था. कुछ बड़े जमींदारों के भी नाम हैं, जिनके खिलाफ माओवादियों ने शुरुआती दौर में फतवा जारी किया था.



बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ जारी है अभियान, सोनू कोरवा बना मददगार: बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस जारी है. अभियान के क्रम में सुरक्षाबलों को लैंडमाइंस के अलावा भारी मात्रा में अन्य नक्सल सामग्री भी बरामद हो रहे हैं. इसी कड़ी में अब तक आधा दर्जन बंकरों को ध्वस्त किया गया है. छत्तीसगढ़ का पीपरढाबा का रहने वाला सोनू कोरवा नाम का कथित माओवादी सुरक्षाबलों की मदद कर रहा है. गढ़वा के इलाके से बूढ़ापहाड़ पर सोनू कोरवा ने सुरक्षाबलों की काफी मदद की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.