पलामूः कथित बकोरिया मुठभेड़ को सात वर्ष हो गए, लेकिन आज भी लोगों को इंतजार है कि 08 जून 2015 की रात क्या हुआ था. इस कथित मुठभेड़ में टॉप माओवादी कमांडर आरके उर्फ अनुराग उर्फ डाक्टर समेत 12 की जान गई थी. पूरे मामले में हाई कोर्ट के निर्देश पर दिसंबर 2018 से मामले की सीबीआई जांच हो रही है. मामले की जांच के लिए पलामू में सीबीआई का कैंप कार्यालय भी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कथित बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई ने 90 प्रतिशत पूरी कर ली है.
सूत्र बताते हैं कि पूरी घटना का तार नक्सली संगठन जेजेएमपी से जुड़ा हुआ है. पूरे मामले में सीबीआई तत्कालीन डीजीपी, आईजी, डीआईजी, एसपी अभियान, एसपी, डीएसपी समेत 500 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है. पूरे मामले में आधा दर्जन से अधिक मीडिया कर्मियों से भी पूछताछ की गई.
क्या बताया गया था बकोरिया मुठभेड़ के बयान में और क्या थी घटनाः एसआई सह तत्कालीन सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम ने बयान दिया था कि 08 जून 2015 को रात 9.40 बजे सूचना मिली कि माओवादियो का एक दस्ता मनिका सतबरवा सीमा से गुजरने वाला है. इसी सूचना के आलोक में एनएच 75 पर भलुवाही पहुंचे वहां पहले से कोबरा के अधिकारी और जवान थे, कोबरा की टीम के साथ मिल कर वाहन चेकिंग शुरू की गई. इसी दौरान कुछ जवानों को स्टोन क्रशर के कच्चे रास्ते मे लगाया गया, रात करीब 11 बजे एक सफेद स्कॉर्पियो वहां पंहुची, जवानों को देख उसमें से कुछ उतर कर स्टोन क्रशर के तरफ भागने लगे. स्कॉर्पियो सतबरवा की तरफ भाग गया. पीछे से आ रही सिल्वर कलर की स्कॉर्पियो पुलिस को देख स्टोन क्रशर के तरफ कच्चे रास्ता में जाने लगी. मौके पर तैनात जवानों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्कॉर्पियो में बैठे लोगों ने फायरिंग की. इस दौरान सुरक्षा अधिकारियों ने चिल्लाकर स्कॉर्पियो सवार लोगों को कहा कि वह पुलिस पर फायरिंग नहीं करें बावजूद फायरिंग जारी रही. फिर जवानों ने आत्मसमर्पण करने को कहा, बावजूद स्कॉर्पियो से उतर कर सभी ने फायरिंग की. अंत मे आदेश के बाद जवानों ने सीमित फायरिंग की, बीच बीच में फायरिंग को रोका गया. बावजूद फायरिंग जारी रही. रात 12.15 में एसपी को सूचना दे कर अतिरक्त बल की मांग की गई. रात एक बजे सीआरपीएफ 134 की टीम पंहुची और इलाके में सर्च अभियान चलाया गया. जिसमें गोली लगे हुए लोगों को बरामद किया गया. अधिक ब्लीडिंग कर कारण सभी की मौत प्रतीत हुई
मोहम्मद रुस्तम ने सीबीआई के समक्ष बदल दिया था बयानः मोहम्माद रुस्तम के बयान के आधार पर ही पलामू के सदर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी. जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मोहम्मद रुस्तम ने सीबीआई को बयान दिया है कि उसके भलुवाही पंहुचने से पहले सब कुछ हो चुका था. वह मुठभेड़ में शामिल नहीं थे. सीबीआई ने मोहम्मद रुस्तम को सरकारी गवाह बनाने पर फैसला नही लिया है. तकनीकी बिंदुओं और मोहम्मद रुस्तम से इस जांच में कई और बिंदुओं पर पूछताछ की जानी है.
कौन कौन लोग मारे गए थे और मामला कैसे पंहुचा था सीबीआई के पासः कथित बकोरिया मुठभेड़ में टॉप माओवादी कमांडर आरके उर्फ अनुराग उर्फ डॉक्टर , अनुराग का बेटा और भतीजा, पारा शिक्षक उदय यादव और उसका रिश्ते में भी नीरज यादव, स्कॉर्पियो का ड्राइवर, माओवादी अमलेश यादव समेत 12 लोग मारे गए थे. पूरे मामले में पारा शिक्षक उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने हाई कोर्ट में रिट दाखिल कर मुठभेड़ पर सवाल उठाया था. हाई कोर्ट ने पूरे मामले में 2018 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.