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Palamu News: देह व्यापार का दंश! समूह बनाकर सेक्स वर्कर्स को स्वरोजगार से जोड़ने की कवायद

देह व्यापार के दंश से गुजरता ये तबका समाज की नजरों में कभी उठ नहीं पाता है. लाचारी और मजबूरी में उठाया गया कदम आज उनके लिए किसी दलदल से कम नहीं. लेकिन इन्हें जिस्मफरोशी के दलदल से निकालने की कवायद की जा रही है. पलामू में सेक्स वर्कर्स को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की जा रही है.

Initiative for self employment for female sex workers in Palamu
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Published : May 9, 2023, 7:39 PM IST

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पलामूः एक ऐसा तबका जो समाज में बदनाम है और समाज का उनके प्रति एक अलग नजरिया है. वो तबका अब बदलाव चाहता है, इसके लिए पहल कर रहा है. हम बात कर रहे हैं महिला सेक्स वर्कर्स की.

इसे भी पढ़ें- देह व्यापार का दर्दः सेक्स वर्कर्स को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल, जानिए कैसे समाज से जुड़ेंगी ऐसी महिलाएं

केस स्टडी 1ः इन सेक्स वर्कर्स की एक दर्द भरी दास्तान है. गढ़वा की रहने वाली एक महिला पिछले पांच वर्षों से देह व्यापार से जुड़ी हुई है, क्योंकि उसका पति दिव्यांग है. मजबूरी में वो इस कारोबार में शामिल हो गईं लेकिन अब वो इस दलदल से बाहर निकलना चाहती है. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी पर है, ऐसा नहीं है कि वह प्रतिदिन यह करती है. हफ्ते में दो से तीन दिन ही वो इस कारोबार से जुड़ती है लेकिन हर वक्त डर बना रहता है कि रिश्तेदारों के रहने पर कोई टोक ना दे, बच्चे भी बड़े हो गए हैं.

केस स्टडी 2ः पलामू की रहने वाली एक महिला को उसके पति ने ही इस धंधे में धकेल दिया है. पति महिला को पीटता है और हर वक्त पैसे की मांग करता है. पति के कारण वो यह करने पर मजबूर है.

एकजुटता से आएगा बदलावः इन दोनों महिलाओं की तरह ही 750 से अधिक महिलाओं की कहानी है, जो इस दलदल से बाहर निकलना चाहती है. इस दलदल से बाहर निकलने के लिए देह व्यापार से जुड़ी महिलाएं एकजुट हो रही हैं और समहू बना रही हैं. ये महिला सेक्स वर्कर छोटे छोटे ग्रुप बना रहे हैं और स्वरोजगार से जुड़ना चाह रही हैं. महिला सेक्स वर्कर ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी तरह 500 से अधिक महिलाएं जो इस कारोबार को छोड़ना चाहती है, वो अब एकजुट हो कर 50 से 100 ग्रुप के महिलाओं का ग्रुप बना रहे है. वो एक दूसरे को जागरूक कर रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मदद करेगी. महिलाएं बताती हैं कि हर महीने इनकी बैठक होती है, ये शुरुआत है आगे बड़े बदलाव होंगे.

दलदल से निकलने के लिए कड़ी-दर-कड़ी जोड़ रहीं सेक्स वर्कर्सः महिला सेक्स वर्कर्स इस दलदल से बाहर निकलने के लिए एक चेन तैयार कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वो एक दूसरे को पहचानती हैं, जिस कारण इस चेन को तैयार करने में मदद मिल रही है. गढ़वा की एक महिला और उनकी तीन बेटियां इस कारोबार से जुड़ी हुई हैं, जो इस दलदल से बाहर निकलने के लिए काफी प्रयास कर रही है लेकिन वह सफल नहीं हो पाई हैं. पलामू के मनातू की एक लड़की के माता-पिता नहीं है, वो पिछले 10 वर्षों से इस कारोबार में शामिल है, पर वो शादी कर अपना जीवन गुजारना चाहती है. इन सभी ने मिलकर एक चेन तैयार किया है और एक दूसरे को जोड़ रही हैं.

मेदिनीनगर से हुई शुरुआत, कई इलाकों में बनाया जाएगा ग्रुपः 2016-17 तक पलामू में देह व्यापार के कारोबार से लगभग 450 के करीब महिलाएं जुड़ी हुई थी लेकिन इसका दायरा काफी बढ़ गया है. सेक्स वर्कर्स का कहना है कि इलाके में कई ग्रुप सक्रिय है, सभी को एक प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है. महिला सेक्स वर्कर्स का यह ग्रुप फिलहाल मेदिनीनगर में बनाया गया है. अगले चरण में लातेहार के बरवाडीह, पलामू के बिश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा के इलाके में समूह बनाया जाएगा. इस ग्रुप को स्वरोजगार के लिए कई तरह के प्रशिक्षण दिए जाएंगे.

स्वरोजगार से जोड़ने की पहलः झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के लिए फर्ज नामक संस्था काम करती है, यह संस्था हाई रिस्क ग्रुप में आने वाले लोगों के लिए पहल करती है. इसी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पलामू प्रमंडल में 750 से अधिक महिलाएं हाई रिस्क ग्रुप में और जो देह व्यापार के कारोबार से जुड़ी हुई हैं. संस्था के सदस्य आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि समूह बनाने के बाद सभी के बच्चों का सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के तहत बच्चों को शिक्षा और अन्य बिंदुओं पर पहल की जाएगी. बच्चों का स्कूल में दाखिल करवाया गया और पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी.

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पलामूः एक ऐसा तबका जो समाज में बदनाम है और समाज का उनके प्रति एक अलग नजरिया है. वो तबका अब बदलाव चाहता है, इसके लिए पहल कर रहा है. हम बात कर रहे हैं महिला सेक्स वर्कर्स की.

इसे भी पढ़ें- देह व्यापार का दर्दः सेक्स वर्कर्स को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल, जानिए कैसे समाज से जुड़ेंगी ऐसी महिलाएं

केस स्टडी 1ः इन सेक्स वर्कर्स की एक दर्द भरी दास्तान है. गढ़वा की रहने वाली एक महिला पिछले पांच वर्षों से देह व्यापार से जुड़ी हुई है, क्योंकि उसका पति दिव्यांग है. मजबूरी में वो इस कारोबार में शामिल हो गईं लेकिन अब वो इस दलदल से बाहर निकलना चाहती है. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी पर है, ऐसा नहीं है कि वह प्रतिदिन यह करती है. हफ्ते में दो से तीन दिन ही वो इस कारोबार से जुड़ती है लेकिन हर वक्त डर बना रहता है कि रिश्तेदारों के रहने पर कोई टोक ना दे, बच्चे भी बड़े हो गए हैं.

केस स्टडी 2ः पलामू की रहने वाली एक महिला को उसके पति ने ही इस धंधे में धकेल दिया है. पति महिला को पीटता है और हर वक्त पैसे की मांग करता है. पति के कारण वो यह करने पर मजबूर है.

एकजुटता से आएगा बदलावः इन दोनों महिलाओं की तरह ही 750 से अधिक महिलाओं की कहानी है, जो इस दलदल से बाहर निकलना चाहती है. इस दलदल से बाहर निकलने के लिए देह व्यापार से जुड़ी महिलाएं एकजुट हो रही हैं और समहू बना रही हैं. ये महिला सेक्स वर्कर छोटे छोटे ग्रुप बना रहे हैं और स्वरोजगार से जुड़ना चाह रही हैं. महिला सेक्स वर्कर ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी तरह 500 से अधिक महिलाएं जो इस कारोबार को छोड़ना चाहती है, वो अब एकजुट हो कर 50 से 100 ग्रुप के महिलाओं का ग्रुप बना रहे है. वो एक दूसरे को जागरूक कर रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मदद करेगी. महिलाएं बताती हैं कि हर महीने इनकी बैठक होती है, ये शुरुआत है आगे बड़े बदलाव होंगे.

दलदल से निकलने के लिए कड़ी-दर-कड़ी जोड़ रहीं सेक्स वर्कर्सः महिला सेक्स वर्कर्स इस दलदल से बाहर निकलने के लिए एक चेन तैयार कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वो एक दूसरे को पहचानती हैं, जिस कारण इस चेन को तैयार करने में मदद मिल रही है. गढ़वा की एक महिला और उनकी तीन बेटियां इस कारोबार से जुड़ी हुई हैं, जो इस दलदल से बाहर निकलने के लिए काफी प्रयास कर रही है लेकिन वह सफल नहीं हो पाई हैं. पलामू के मनातू की एक लड़की के माता-पिता नहीं है, वो पिछले 10 वर्षों से इस कारोबार में शामिल है, पर वो शादी कर अपना जीवन गुजारना चाहती है. इन सभी ने मिलकर एक चेन तैयार किया है और एक दूसरे को जोड़ रही हैं.

मेदिनीनगर से हुई शुरुआत, कई इलाकों में बनाया जाएगा ग्रुपः 2016-17 तक पलामू में देह व्यापार के कारोबार से लगभग 450 के करीब महिलाएं जुड़ी हुई थी लेकिन इसका दायरा काफी बढ़ गया है. सेक्स वर्कर्स का कहना है कि इलाके में कई ग्रुप सक्रिय है, सभी को एक प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है. महिला सेक्स वर्कर्स का यह ग्रुप फिलहाल मेदिनीनगर में बनाया गया है. अगले चरण में लातेहार के बरवाडीह, पलामू के बिश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा के इलाके में समूह बनाया जाएगा. इस ग्रुप को स्वरोजगार के लिए कई तरह के प्रशिक्षण दिए जाएंगे.

स्वरोजगार से जोड़ने की पहलः झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के लिए फर्ज नामक संस्था काम करती है, यह संस्था हाई रिस्क ग्रुप में आने वाले लोगों के लिए पहल करती है. इसी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पलामू प्रमंडल में 750 से अधिक महिलाएं हाई रिस्क ग्रुप में और जो देह व्यापार के कारोबार से जुड़ी हुई हैं. संस्था के सदस्य आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि समूह बनाने के बाद सभी के बच्चों का सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के तहत बच्चों को शिक्षा और अन्य बिंदुओं पर पहल की जाएगी. बच्चों का स्कूल में दाखिल करवाया गया और पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी.

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