पलामू: नीलाम हो चुकी प्रसिद्ध जपला सीमेंट फैक्ट्री की जमीन पर औधोगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा. जपला सीमेंट फैक्ट्री 1991 से बंद है और 2018 में फैक्ट्री को नीलाम कर दिया गया था. फैक्ट्री के कर्मियों ने बकाया मजदूरी को लेकर पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर किया था. इसी दौरान पटना हाई कोर्ट ने पूरे मामले को लेकर ऑफिशियली लिक्विडेटर की नियुक्ति की थी. विधानसभा में भी फैक्ट्री के इस मुद्दे को उठाया गया था, जिसके बाद सरकार ने जमीन को औधोगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की बात कही.
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विधानसभा में उठाया गया था मुद्दा: हुसैनाबाद (जपला) विधायक कमलेश सिंह ने जपला सीमेंट फैक्ट्री के मामले को विधानसभा में उठाया था. विधायक की ओर से उठाए गए प्रश्नों के जवाब में सरकार ने कहा है कि जपला सीमेंट फैक्ट्री के जमीन को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना है ताकि क्षेत्र के लोगों को रोजगार और अन्य सुविधा मिल सके. सरकार ने जमीन को जीयाडा को हस्तांतरण करने की योजना बनाई है. विधायक के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सरकार ने लिखा है कि झारखंड बिहार बंटवारे के वक्त कच्चा माल का हिस्सा बिहार के इलाके में चला गया है. खनिज की उपलब्धता फैक्ट्री को चालू करने के लिए मौजूद नहीं है. हुसैनाबाद विधायक कमलेश सिंह ने बताया कि फैक्ट्री की जमीन पर औधोगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए सरकार से बात हुई है.
दरअसल, 1917 में मार्टिन बर नाम की कंपनी ने जपला सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना किया था. 1984 तक कंपनी के कई प्रबंधन बदले. फैक्ट्री बंद होने के अंतिम क्षणों तक इसका संचालन एसपी सिन्हा ग्रुप द्वारा किया जा रहा था. पहली बार 1984 में यह फैक्ट्री बंद हुई थी. बिहार सरकार के हस्तक्षेप के बाद 1990 में फैक्ट्री दोबारा चालू हुई लेकिन 1991 से यह फैक्ट्री बंद है. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर 17 मई 2018 को जपला सीमेंट फैक्ट्री की मशीनरी को नीलाम कर दिया गया था. जिसके बाद मजदूरों ने बकाया के भुगतान को लेकर पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर किया था. पटना हाईकोर्ट ने पूरे मामले में लिक्विडेटर की नियुक्ति की थी. मामले में झारखंड सरकार ने पटना हाईकोर्ट के ऑफिशियल लिक्विडेटर हिमांशु शेखर को पत्र लिखा है.