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Bakoria Encounter Case: बकोरिया मुठभेड़ कैसे हुई और पुलिस की एफआईआर में क्या लिखा था, जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट - सतबरवा ओपी के तत्कालीन प्रभारी मोहम्मद रुस्तम

बकोरिया मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने जांच रिपोर्ट में मुठभेड़ को सही ठहराया गया है, लेकिन आखिर घटना कैसे हुई थी, पुलिस की एफआईआर में क्या लिखा गया था और किसके बयान पर मामला दर्ज किया गया था इन सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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How Bakoria Encounter Happened
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Published : Apr 19, 2023, 9:32 PM IST

पलामू: बकोरिया मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने छह वर्ष बाद जांच पूरी कर ली है और क्लोजर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. हाईकोर्ट के आदेश पर बकोरिया मुठभेड़ की जांच दिसंबर 2018 से सीबीआई कर रही थी. मुठभेड़ के मामले में आठ वर्षों के दौरान जांच के मामले में कई सवाल उठे और कई टॉप पुलिस अधिकारी इसके घेरे में आए थे. ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि आठ जून 2015 को हुए बकोरिया मुठभेड़ के मामले में पुलिस की एफआईआर में क्या लिखा गया था. कौन से पुलिस अधिकारी के बयान पर एफआईआर हुई थी.

ये भी पढे़ं-बकोरिया पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने कोर्ट को सौंपी क्लोजर रिपोर्ट, फोरेंसिक जांच का हवाला देते हुए मुठभेड़ को बताया सही!

सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान पर दर्ज हुई थी प्राथमिकीः दरअसल, आठ जून 2015 के सतबरवा के बकोरिया के भलवही में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में टॉप माओवादी अनुराग उर्फ आरके यादव समेत 12 माओवादियों के मार गिराने का दावा किया गया था. यह घटना सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुई थी, जो पलामू के सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. मामले में सतबरवा ओपी के तत्कालीन प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

आठ जून 2015 की रात माओवादियों की सूचना पर वाहन जांच कर रही थी पुलिसः मोहम्मद रुस्तम ने अपने बयान के लिखा था कि आठ जून 2015 की रात 9:40 बजे उन्हें सूचना मिली कि माओवादियों का एक दस्ता लातेहार के मनिका और सतबरवा की सीमा से गुजरने वाला है. इसी सूचना के बाद नेशनल हाइवे 75 पर बकोरिया में भलुवाही गए. वहां पहले से कोबरा जवान और अधिकार मौजूद थे. कोबरा की टीम के साथ मिल कर उन्होंने वाहन चेकिंग शुरू किया था. इसी दौरान कुछ जवानों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्टोन क्रशर के कच्चे रास्ते पर लगाया गया था.

स्कॉर्पियो पर सवार लोगों ने पहले पुलिस पर की थी फायरिंगः जहां रात करीब 11 बजे एक सफेद स्कॉर्पियो कार मौके पर पंहुची थी. जवानों को देख स्कॉर्पियो सवार उतर कर स्टोन क्रेशर की तरफ भागने लगे. जबकि स्कॉर्पियो सतबरवा के तरफ भाग रही थी.सफेद स्कॉर्पियो के ठीक पीछे एक सिल्वर कलर की स्कॉर्पियो मौके पर पहुंची और पुलिस को देखकर स्टोन क्रशर के तरफ कच्चे रास्ता में भागने लगी. इस दौरान सर्च अभियान में तैनात जवानों ने स्कॉर्पियो को रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्कॉर्पियो सवार लोगों ने जवानों पर फायरिंग कर दी.

पुलिस बार-बार फायरिंग बंद करने के लिए कहती रहीः इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने चिल्लाकर स्कॉर्पियो सवार लोगों से कहा कि वे पुलिस हैं फायरिंग नहीं करें. चिल्लाने के बावजूद स्कॉर्पियो से फायरिंग होती रही. इसके बाद जवानों ने स्कॉर्पियो के अंदर से फायरिंग कर रहे लोगों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. बावजूद लगातार फायरिंग जारी रही.

फायरिंग नहीं रुकने पर पुलिस ने की थी काउंटर फायरिंगः आदेश मिलने के बाद जवानों ने भी काउंटर फायरिंग शुरू कर दी. इसमें कई बार फायरिंग को रोका गया था.रात 12:15 बजे एसपी को सूचना देकर अतिरिक्त बल की मांग की गई. मौके पर सीआरपीएफ 134 बटालियन की टीम पहुंची थी और सर्च अभियान चलाया. सर्च अभियान में मारे गए 12 नक्सलियों का शव बरामद हुआ.

पलामू: बकोरिया मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने छह वर्ष बाद जांच पूरी कर ली है और क्लोजर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. हाईकोर्ट के आदेश पर बकोरिया मुठभेड़ की जांच दिसंबर 2018 से सीबीआई कर रही थी. मुठभेड़ के मामले में आठ वर्षों के दौरान जांच के मामले में कई सवाल उठे और कई टॉप पुलिस अधिकारी इसके घेरे में आए थे. ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि आठ जून 2015 को हुए बकोरिया मुठभेड़ के मामले में पुलिस की एफआईआर में क्या लिखा गया था. कौन से पुलिस अधिकारी के बयान पर एफआईआर हुई थी.

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सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान पर दर्ज हुई थी प्राथमिकीः दरअसल, आठ जून 2015 के सतबरवा के बकोरिया के भलवही में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में टॉप माओवादी अनुराग उर्फ आरके यादव समेत 12 माओवादियों के मार गिराने का दावा किया गया था. यह घटना सतबरवा ओपी क्षेत्र में हुई थी, जो पलामू के सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. मामले में सतबरवा ओपी के तत्कालीन प्रभारी मोहम्मद रुस्तम के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

आठ जून 2015 की रात माओवादियों की सूचना पर वाहन जांच कर रही थी पुलिसः मोहम्मद रुस्तम ने अपने बयान के लिखा था कि आठ जून 2015 की रात 9:40 बजे उन्हें सूचना मिली कि माओवादियों का एक दस्ता लातेहार के मनिका और सतबरवा की सीमा से गुजरने वाला है. इसी सूचना के बाद नेशनल हाइवे 75 पर बकोरिया में भलुवाही गए. वहां पहले से कोबरा जवान और अधिकार मौजूद थे. कोबरा की टीम के साथ मिल कर उन्होंने वाहन चेकिंग शुरू किया था. इसी दौरान कुछ जवानों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्टोन क्रशर के कच्चे रास्ते पर लगाया गया था.

स्कॉर्पियो पर सवार लोगों ने पहले पुलिस पर की थी फायरिंगः जहां रात करीब 11 बजे एक सफेद स्कॉर्पियो कार मौके पर पंहुची थी. जवानों को देख स्कॉर्पियो सवार उतर कर स्टोन क्रेशर की तरफ भागने लगे. जबकि स्कॉर्पियो सतबरवा के तरफ भाग रही थी.सफेद स्कॉर्पियो के ठीक पीछे एक सिल्वर कलर की स्कॉर्पियो मौके पर पहुंची और पुलिस को देखकर स्टोन क्रशर के तरफ कच्चे रास्ता में भागने लगी. इस दौरान सर्च अभियान में तैनात जवानों ने स्कॉर्पियो को रोकने का प्रयास किया, लेकिन स्कॉर्पियो सवार लोगों ने जवानों पर फायरिंग कर दी.

पुलिस बार-बार फायरिंग बंद करने के लिए कहती रहीः इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने चिल्लाकर स्कॉर्पियो सवार लोगों से कहा कि वे पुलिस हैं फायरिंग नहीं करें. चिल्लाने के बावजूद स्कॉर्पियो से फायरिंग होती रही. इसके बाद जवानों ने स्कॉर्पियो के अंदर से फायरिंग कर रहे लोगों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. बावजूद लगातार फायरिंग जारी रही.

फायरिंग नहीं रुकने पर पुलिस ने की थी काउंटर फायरिंगः आदेश मिलने के बाद जवानों ने भी काउंटर फायरिंग शुरू कर दी. इसमें कई बार फायरिंग को रोका गया था.रात 12:15 बजे एसपी को सूचना देकर अतिरिक्त बल की मांग की गई. मौके पर सीआरपीएफ 134 बटालियन की टीम पहुंची थी और सर्च अभियान चलाया. सर्च अभियान में मारे गए 12 नक्सलियों का शव बरामद हुआ.

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