पलामूः पूरा झारखंड भीषण गर्मी की चपेट में है, कई इलाके बिजली संकट से जूझ रहे हैं. इन सबके बीच एक बड़ी खबर निकालकर सामने आई है कि 2015 और 2019 में केंद्र सरकार ने गढ़वा और पलामू में सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना तैयार की थी. लेकिन राज्य सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवा पायी, ये बातें पलामू में सांसद विष्णु दयाल राम ने कही हैं.
इसे भी पढ़ें- पलामू में गहराया बिजली संकट, जरूरत है 110 मेगावाट की, मिल रही 60 मेगावाट
झारखंड में कई विकास योजनाएं शुरू हुई लेकिन इनमें से कई योजनाएं धरातल पर उतरी ही नहीं है. इनमें से केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित सोलर प्लांट योजना भी थी. जिनकी स्थापना पलामू और गढ़वा में की जानी थी. इन दोनों सोलर पावर प्लांट से 20-20 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना था और यहां से बिजली पलामू और गढ़वा को उपलब्ध करवाया जाना था. पलामू के बारी जबकि गढ़वा के कुरडेगा गांव में प्लांट लगाने की योजना तैयार हुई थी. केंद्र सरकार ने इसके लिए झारखंड सरकार से दोनों जगह पर 100-100 एकड़ जमीन की मांग की थी.
लेकिन इतने साल गुजरने के बाद भी राज्य सरकार इन दोनों पावर प्लांट के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवा सकी. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम का कहना है कि यह सरकार की उदासीनता है कि पलामू का इलाका बिजली संकट से जूझ रहा है. राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने पावर प्लांट के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवाया है. लेकिन जमीन मिल जाती और प्लांट बन जाता तो पलामू और गढ़वा को बिजली की समस्या नहीं होती.
सांसद ने कहा कि प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले से जुड़े पलामू के एक अधिकारी ने बताया कि उस दौरान जमीन चिन्हित हुए थे लेकिन बाद में इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई, फाइल जहां से शुरू हुई थी वहीं पर पड़ी हुई है. पलामू और गढ़वा को राज्य सरकार दूसरे पावर प्लांट से बिजली खरीद कर देती है. लेकिन इन दोनों जिलों में प्लांट बनने से लगभग 40 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति इन्हीं सोलर प्लांट से हो जाती. बता दें कि पलामू और गढ़वा को 105 मेगावाट बिजली की जरूरत है. फिलहाल दोनों जिलों को 65 से 70 मेगावाट ही बिजली उपलब्ध हो पा रही है, जिससे यहां बिजली संकट काफी है.