ETV Bharat / state

पलामू में 760 महादलित परिवारों को नहीं मिल पाया स्थाई बसेरा, मात्र एक युवक को करा पाई परास्नातक

पलामू में उजाड़े गए महादलितों को सरकार आज तक स्थायी बसेरा नहीं दे पाई है. मुरुमातु के महादलित कभी यहां कभी वहां तंबू में जीवन गुजार रहे हैं. इस समुदाय में शिक्षा की स्थिति इतनी बुरी है कि इस समुदाय का मात्र एक युवक इस इलाके में परास्नातक हो पाया है.

permanent shelter to Mahadalits in Palamu
मुरुमातु के महादलित की परेशानी
author img

By

Published : Sep 5, 2022, 6:25 PM IST

Updated : Sep 6, 2022, 9:50 PM IST

पलामूः पलामू में भीख मांग कर जीवन यापन करने वाले पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु के महादलित अचानक चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. कहा जाता है कि ये महादलित जिस इलाके में अपनी बेटी की शादी करते हैं, उस इलाके में भीख मांगने नहीं जाते हैं. उस इलाके को अपनी बेटी के परिजनों के लिए छोड़ देते हैं. इसी से इनके संबंध में कहावत है कि राजा को पता नहीं और ये महादलित गांव बांट दिए. ये कहावत यहां के सामाजिक आर्थिक हालात की ओर भी इशारा करते हैं.

ये भी पढ़ें-राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा का राजभवन के सामने महाधरना, जातीय जनगणना और निकाय चुनाव से पहले ट्रिपल टेस्ट की मांग

बता दें कि पलामू प्रमंडल में महादलितों के 760 परिवार हैं. आजादी के 75 वर्ष बाद भी ये दयनीय स्थिति में हैं. इनकी सामाजिक और आर्थिक दशा में बदलाव नहीं हुआ है. पलामू से सटे हुए बिहार और यूपी के इलाकों में इनका राजनीतिक कद भी बढ़ा है और सत्ता के शीर्ष तक भी पंहुचे हैं. लेकिन पलामू के इलाके में इनको भीख मांग कर गुजारा करना पड़ रहा है. पलामू के चियांकि, पड़वा, लेस्लीगंज, बैरिया जबकि गढ़वा के नगर उंटारी के इलाके में इनका स्थायी प्रवास है. लेकिन बाकी इलाके में इनका स्थायी ठिकाना नहीं है. पलामू के हुसैनाबाद के रहने वाले बीरेंद्र ने बताया कि उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, उन्हें सरकारी योजना का लाभ तक नहीं दिया जाता. इतना ही नहीं उनके पास कोई सरकारी कागजात तक नहीं हैं.

देखें स्पेशल खबर
2005 में पहली बार महादलितों ने की वोटिंग, एक मात्र युवक ग्रेजुएटः पलामू गढ़वा और लातेहार में पहली बार 2005 में इन महादलितों ने वोटिंग की थी. पलामू प्रमंडल में 760 से अधिक महादलित परिवार हैं, जिसमें से मात्र 250 परिवारों के पास आधार, वोटर आईडी है. दो दर्जन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं, गढ़वा के इलाके में 2014 में महादलितों ने वोटिंग की थी. झारखंड राज्य दिहाड़ी मजदूर यूनियन के राजीव कुमार ने बताया कि महादलित उपेक्षित जीवन जी रहे हैं, उनके हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पलामू प्रमंडल में मात्र योगेंद्र नाम का युवक परास्नातक है, बाकी के महादलित साक्षर तक नहीं हैं.
आदिम जनजातियों के लिए कई योजना, इनके लिए नहींः केंद्र और राज्य की सरकार ने आदिम जनजातियों को संरक्षित श्रेणी में रखा है, वे भी विकास से काफी दूर हैं लेकिन सरकार ने उनके लिए खास योजनाओं को तैयार किया है. लेकिन महादलितों को ध्यान में रख कर कोई योजना शुरू नहीं की गई है. 2007-08 में पहली बार पलामू में प्रशासनिक पहल पर इन महादलितों को पड़वा के इलाके में आवास दिया गया था. लेकिन वहां अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. गढ़वा में इन महादलितों (पलामू के मुरुमातु में उजाड़े गए महादलितों जैसे) के लिए काम करने वाले धीरेंद्र चौबे ने बताया कि 2017-18 में पहल कर उन्होंने सभी के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनवाया था. उन्होंने कहा कि इन महादलितों के जीवन मे बदलाव के लिए बड़े कदम नहीं उठाए गए हैं.
पलामू और गढ़वा के कौन कौन से इलाके में हैं महादलितः पलामू के बैरिया, चियांकि, महादेव माडा, गणके, लेस्लीगंज, चैनपुर, पड़वा, बिश्रामपुर, पांडु जबकि गढ़वा में बंसीधर और भवनाथपुर के इलामें में महादलित (पलामू के मुरुमातु में उजाड़े गए महादलितों जैसे) रहते है.

पलामूः पलामू में भीख मांग कर जीवन यापन करने वाले पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातु के महादलित अचानक चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. कहा जाता है कि ये महादलित जिस इलाके में अपनी बेटी की शादी करते हैं, उस इलाके में भीख मांगने नहीं जाते हैं. उस इलाके को अपनी बेटी के परिजनों के लिए छोड़ देते हैं. इसी से इनके संबंध में कहावत है कि राजा को पता नहीं और ये महादलित गांव बांट दिए. ये कहावत यहां के सामाजिक आर्थिक हालात की ओर भी इशारा करते हैं.

ये भी पढ़ें-राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा का राजभवन के सामने महाधरना, जातीय जनगणना और निकाय चुनाव से पहले ट्रिपल टेस्ट की मांग

बता दें कि पलामू प्रमंडल में महादलितों के 760 परिवार हैं. आजादी के 75 वर्ष बाद भी ये दयनीय स्थिति में हैं. इनकी सामाजिक और आर्थिक दशा में बदलाव नहीं हुआ है. पलामू से सटे हुए बिहार और यूपी के इलाकों में इनका राजनीतिक कद भी बढ़ा है और सत्ता के शीर्ष तक भी पंहुचे हैं. लेकिन पलामू के इलाके में इनको भीख मांग कर गुजारा करना पड़ रहा है. पलामू के चियांकि, पड़वा, लेस्लीगंज, बैरिया जबकि गढ़वा के नगर उंटारी के इलाके में इनका स्थायी प्रवास है. लेकिन बाकी इलाके में इनका स्थायी ठिकाना नहीं है. पलामू के हुसैनाबाद के रहने वाले बीरेंद्र ने बताया कि उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, उन्हें सरकारी योजना का लाभ तक नहीं दिया जाता. इतना ही नहीं उनके पास कोई सरकारी कागजात तक नहीं हैं.

देखें स्पेशल खबर
2005 में पहली बार महादलितों ने की वोटिंग, एक मात्र युवक ग्रेजुएटः पलामू गढ़वा और लातेहार में पहली बार 2005 में इन महादलितों ने वोटिंग की थी. पलामू प्रमंडल में 760 से अधिक महादलित परिवार हैं, जिसमें से मात्र 250 परिवारों के पास आधार, वोटर आईडी है. दो दर्जन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं, गढ़वा के इलाके में 2014 में महादलितों ने वोटिंग की थी. झारखंड राज्य दिहाड़ी मजदूर यूनियन के राजीव कुमार ने बताया कि महादलित उपेक्षित जीवन जी रहे हैं, उनके हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पलामू प्रमंडल में मात्र योगेंद्र नाम का युवक परास्नातक है, बाकी के महादलित साक्षर तक नहीं हैं.
आदिम जनजातियों के लिए कई योजना, इनके लिए नहींः केंद्र और राज्य की सरकार ने आदिम जनजातियों को संरक्षित श्रेणी में रखा है, वे भी विकास से काफी दूर हैं लेकिन सरकार ने उनके लिए खास योजनाओं को तैयार किया है. लेकिन महादलितों को ध्यान में रख कर कोई योजना शुरू नहीं की गई है. 2007-08 में पहली बार पलामू में प्रशासनिक पहल पर इन महादलितों को पड़वा के इलाके में आवास दिया गया था. लेकिन वहां अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. गढ़वा में इन महादलितों (पलामू के मुरुमातु में उजाड़े गए महादलितों जैसे) के लिए काम करने वाले धीरेंद्र चौबे ने बताया कि 2017-18 में पहल कर उन्होंने सभी के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनवाया था. उन्होंने कहा कि इन महादलितों के जीवन मे बदलाव के लिए बड़े कदम नहीं उठाए गए हैं.
पलामू और गढ़वा के कौन कौन से इलाके में हैं महादलितः पलामू के बैरिया, चियांकि, महादेव माडा, गणके, लेस्लीगंज, चैनपुर, पड़वा, बिश्रामपुर, पांडु जबकि गढ़वा में बंसीधर और भवनाथपुर के इलामें में महादलित (पलामू के मुरुमातु में उजाड़े गए महादलितों जैसे) रहते है.
Last Updated : Sep 6, 2022, 9:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.