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आकाशबाग से खत्म होगी ग्लोबल वार्मिंग! एक शख्स जिसने लगाए 45 लाख पौधे, लोगों को कर रहे जागरूक

ग्लोबल वार्मिंग यह शब्द सुनकर ही कान खड़े हो जाते हैं. लोगों के माथे पर शिकन आ जाती है. इस समस्यो को दूर करने के लिए काफी कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा हल है प्रकृति की ओर लौटना. आकाशबाग भी उन्हीं उपाय में से एक है, जिसके जरिए हम इस खतरे से बच सकते हैं.

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Published : Jan 13, 2023, 6:36 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 10:43 PM IST

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पलामूः आकाशबाग पर्यावरण की संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकता है. आकाशबाग छतों के उपर लगाए गए पौधों को कहते हैं. इस शब्द के इस्तेमाल पर जोर पर्यावरणविद सह वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल किशोर जायसवाल ने दिया है. इनकी पहल पर देश के सैकड़ों घरों में आकाशबाग लगाए गए हैं. आकाशबाग के माध्यम से पर्यावरण में हो रहे बदलाव को रोकने और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पहल की जा रही है.

ये भी पढ़ेंः झारखंड का 'जोशीमठ'! आधी रात धड़-धड़ की तेज आवाज के साथ घरों में आने लगी दरार, घर छोड़कर भागे लोग

आकाशबाग का महत्वः सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा से जूझने वाले इलाकों में अकाशबाग का महत्व तेजी से बढ़ा है और लोग अपने घरों की छत पर पौधों को लगा रहे हैं. झारखंड का पलामू प्रत्येक दो से तीन वर्षों में सुखाड़ का सामना करता है. पिछले कई वर्षों से इस इलाके का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. पलामू के इलाके में तेजी से बदल रहे तापमान के बाद आकाशबाग के प्रति जागरुकता बढ़ी है. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल पलामू के रहने वाले हैं, आकाशबाग के महत्वों को लेकर वो जागरुकता अभियान चला रहे हैं. कौशल किशोर जायसवाल देश के कई हिस्सों में सैकड़ों अकाशबाग लगवा चुके हैं. पलामू इलाके में इन की पहल पर दर्जनों लोगों ने अपने घर के छतों पर आकाशबाग लगाया है.


45 लाख से अधिक पौधे लगा चुके हैंः कौशल किशोर जायसवाल ने 1977 से पर्यावरण के प्रति जागरुकता अभियान शुरू किया था. इस दौरान उन्होंने पेड़ों को राखी बांधने का भा अभियान शुरू किया था. कौशल किशोर जायसवाल अब तक भारत, नेपाल, भूटान समेत कई इलाकों में 45 लाख से अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. मशहूर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के साथ कौशल किशोर जायसवाल लंबे समय तक जुड़े रहे हैं.


कौन हैं कौशल किशोर जायसवालः कौशल किशोर जायसवाल के वन राखी मूवमेंट को सीबीएसई और आईसीएसई की कक्षा छह के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि आकाशबाग पलामू जैसे इलाके में हो रहे तापमान के बदलाव में बड़ी भूमिका निभा सकता है. आकाशबाग को छतों पर आसानी से लगाया जा सकता है और इसके माध्यम से शुद्ध ऑक्सीजन भी मिलेगा. कोविड 19 और जोशीमठ ने पर्यावरण के प्रति लोगों को आगाह कर दिया है. वो बताते हैं कि अगर गांव में जमीन अधिक है तो लोग वृक्ष की खेती करें और शहरों में अगर जमीन नहीं है तो आकाशबाग लगाएं. वे बताते हैं कि घरों उपर पौधों को लगाना आसान है, इससे काफी फायदे भी हैं. फल के साथ साथ ऑक्सीजन भी मिलेगा. उनका प्रयास है कि सभी घरों की छत पर पौधों को लगाया जाए.

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पलामूः आकाशबाग पर्यावरण की संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकता है. आकाशबाग छतों के उपर लगाए गए पौधों को कहते हैं. इस शब्द के इस्तेमाल पर जोर पर्यावरणविद सह वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल किशोर जायसवाल ने दिया है. इनकी पहल पर देश के सैकड़ों घरों में आकाशबाग लगाए गए हैं. आकाशबाग के माध्यम से पर्यावरण में हो रहे बदलाव को रोकने और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पहल की जा रही है.

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आकाशबाग का महत्वः सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा से जूझने वाले इलाकों में अकाशबाग का महत्व तेजी से बढ़ा है और लोग अपने घरों की छत पर पौधों को लगा रहे हैं. झारखंड का पलामू प्रत्येक दो से तीन वर्षों में सुखाड़ का सामना करता है. पिछले कई वर्षों से इस इलाके का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. पलामू के इलाके में तेजी से बदल रहे तापमान के बाद आकाशबाग के प्रति जागरुकता बढ़ी है. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल पलामू के रहने वाले हैं, आकाशबाग के महत्वों को लेकर वो जागरुकता अभियान चला रहे हैं. कौशल किशोर जायसवाल देश के कई हिस्सों में सैकड़ों अकाशबाग लगवा चुके हैं. पलामू इलाके में इन की पहल पर दर्जनों लोगों ने अपने घर के छतों पर आकाशबाग लगाया है.


45 लाख से अधिक पौधे लगा चुके हैंः कौशल किशोर जायसवाल ने 1977 से पर्यावरण के प्रति जागरुकता अभियान शुरू किया था. इस दौरान उन्होंने पेड़ों को राखी बांधने का भा अभियान शुरू किया था. कौशल किशोर जायसवाल अब तक भारत, नेपाल, भूटान समेत कई इलाकों में 45 लाख से अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. मशहूर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के साथ कौशल किशोर जायसवाल लंबे समय तक जुड़े रहे हैं.


कौन हैं कौशल किशोर जायसवालः कौशल किशोर जायसवाल के वन राखी मूवमेंट को सीबीएसई और आईसीएसई की कक्षा छह के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि आकाशबाग पलामू जैसे इलाके में हो रहे तापमान के बदलाव में बड़ी भूमिका निभा सकता है. आकाशबाग को छतों पर आसानी से लगाया जा सकता है और इसके माध्यम से शुद्ध ऑक्सीजन भी मिलेगा. कोविड 19 और जोशीमठ ने पर्यावरण के प्रति लोगों को आगाह कर दिया है. वो बताते हैं कि अगर गांव में जमीन अधिक है तो लोग वृक्ष की खेती करें और शहरों में अगर जमीन नहीं है तो आकाशबाग लगाएं. वे बताते हैं कि घरों उपर पौधों को लगाना आसान है, इससे काफी फायदे भी हैं. फल के साथ साथ ऑक्सीजन भी मिलेगा. उनका प्रयास है कि सभी घरों की छत पर पौधों को लगाया जाए.

Last Updated : Jan 13, 2023, 10:43 PM IST
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