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एक साल पहले आहर में किया गया था गड्ढा, जिसमें समा गयीं चार जिंदगियां! किसकी लापरवाही, कौन है जिम्मेदार

पलामू के सरजा गांव में आहर में डूबने से बच्चियों की मौत हो गयी है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि उस आहर को एक साल पहले मिट्टी निकालने के लिए उसमें गड्ढा खोदा गया था. आठ फीट गड्ढे में पानी जमा होने से वो तालाब बन गया. जिसमें इलाके की चार मासूम जिंदगियां समा गयीं.

Girls died due to drowning in Ahar in Sarja village of Palamu in which pit dugged one year ago
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Published : Jul 21, 2023, 10:54 AM IST

पलामूः जिला में रामगढ़ थाना क्षेत्र के सरजा गांव में जिस आहर में डूबकर चार बच्चियों की मौत हुई है. मृतक अराधना कुमारी, छाया खाखा, सलमी कुमारी और अर्चना कुमारी नीलांबर पीतांबर हाई स्कूल में पढ़ाई करती है. जिसका संचालन इसी नाम की संस्था करती है. सभी बच्चियां एलकेजी में पढ़ाई करती थीं.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand News: पुराने आहर में डूबने से चार स्कूली बच्चियों की मौत, इलाके में पसरा मातम

किसकी लापरवाही-कौन जिम्मेदारः जिस आहर में ये चार बच्चियां समा गयीं, उसे एक वर्ष पहले जेसीबी से मिट्टी निकालने के लिए गड्ढा खोदा गया था. जिससे ये आहर और गहरा हो गया. जिस जगह पर गड्ढा खोदा गया था, उस स्थान पर करीब आठ फीट पानी धीरे धीरे करके जमा हो गया. इसी गड्ढे में डूब कर सभी बच्चियों की मौत हुई है. लेकिन बच्चों के स्कूल के पीछे इस इतने बड़े गड्ढे पर किसी ने संज्ञान नहीं लिया, ना संस्था और स्कूल प्रबंधन ने और तो और प्रशासन का ध्यान भी इस ओर कभी नहीं गया. लेकिन इस हादसे के बाद हर किसी का दिल पसीज गया, क्योंकि गांव की चार बच्चियां इसी आहर में हमेशा के लिए समा गयीं. लेकिन इसके पीछे कौन जिम्मेदार है, इसमें किसकी लापरवाही है, ये जानना जरूरी है.

माओवादियों की सहयोग से स्थापित हुआ था सरजा स्कूलः पलामू के रामगढ़ प्रखंड के सरकारी स्कूल में आसपास के करीब 500 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल का संचालन नीलांबर पीतांबर नामक संस्था करती है. माओवादियों के सहयोग से 1998-2000 में इस स्कूल की स्थापना की गई थी. स्कूल की स्थापना को लेकर उस दौरान 40 गांव के ग्रामीण एकजुट हुए थे और श्रमदान भी किया था. इसकी स्थापना में माओवादियों का सहयोग का आरोप लगने के बाद स्कूल को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा. उस दौरान ग्रामीण स्कूल के शिक्षकों को वेतन देने के लिए जन सहयोग करते थे. मौजूदा समय में स्कूल के संचालन में अनुदान की राशि भी उपलब्ध करवाई जाती है.

कब और कैसे हुआ हादसाः गुरुवार को सभी बच्चियां स्कूल में पढ़ाई करने गई थी. छुट्टी होने के बाद शिक्षकों ने सोचा कि बच्चे घर चले गए हैं. इधर परिजन सोचते रहे कि बच्चियां अपनी सहेलियों के यहां होंगी. इसी उधेड़बुन में रात के आठ बज गये. बच्चियों के घर नहीं पहुंचने के बाद परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरू की. परिजनों ने सबसे पहले स्कूल के शिक्षकों को कॉल कर बच्चियों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए.

शिक्षकों ने स्कूल में पढ़ने वाले अन्य छात्र छात्राओं के परिजनों को फोन कर बच्चियों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की. देर रात तक बच्चियों की जानकारी नहीं मिलने के बाद ग्रामीण एक जगह जमा हुए और सभी की तलाश शुरू हुई. इसी क्रम में स्कूल से करीब 50 मीटर दूर आहर में दो बच्चियों का शव नजर आया. ग्रामीणों ने तत्काल इसकी जानकारी स्थानीय थाना को दी.

इस मामले की जानकारी मिलने के बाद रामगढ़ थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और दो अन्य खोजबीन शुरू हुई. सभी चार बच्चियों का शव एक ही जगह से बरामद हुआ. स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बनारसी सिंह ने बताया कि गुरुवार देर रात चारों बच्चियों का शव बरामद किया गया. जिस जगह पर बच्चियां डूबी हैं. एक वर्ष पहले वहां जेसीबी से गड्ढा खोदा गया था.

पलामूः जिला में रामगढ़ थाना क्षेत्र के सरजा गांव में जिस आहर में डूबकर चार बच्चियों की मौत हुई है. मृतक अराधना कुमारी, छाया खाखा, सलमी कुमारी और अर्चना कुमारी नीलांबर पीतांबर हाई स्कूल में पढ़ाई करती है. जिसका संचालन इसी नाम की संस्था करती है. सभी बच्चियां एलकेजी में पढ़ाई करती थीं.

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किसकी लापरवाही-कौन जिम्मेदारः जिस आहर में ये चार बच्चियां समा गयीं, उसे एक वर्ष पहले जेसीबी से मिट्टी निकालने के लिए गड्ढा खोदा गया था. जिससे ये आहर और गहरा हो गया. जिस जगह पर गड्ढा खोदा गया था, उस स्थान पर करीब आठ फीट पानी धीरे धीरे करके जमा हो गया. इसी गड्ढे में डूब कर सभी बच्चियों की मौत हुई है. लेकिन बच्चों के स्कूल के पीछे इस इतने बड़े गड्ढे पर किसी ने संज्ञान नहीं लिया, ना संस्था और स्कूल प्रबंधन ने और तो और प्रशासन का ध्यान भी इस ओर कभी नहीं गया. लेकिन इस हादसे के बाद हर किसी का दिल पसीज गया, क्योंकि गांव की चार बच्चियां इसी आहर में हमेशा के लिए समा गयीं. लेकिन इसके पीछे कौन जिम्मेदार है, इसमें किसकी लापरवाही है, ये जानना जरूरी है.

माओवादियों की सहयोग से स्थापित हुआ था सरजा स्कूलः पलामू के रामगढ़ प्रखंड के सरकारी स्कूल में आसपास के करीब 500 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल का संचालन नीलांबर पीतांबर नामक संस्था करती है. माओवादियों के सहयोग से 1998-2000 में इस स्कूल की स्थापना की गई थी. स्कूल की स्थापना को लेकर उस दौरान 40 गांव के ग्रामीण एकजुट हुए थे और श्रमदान भी किया था. इसकी स्थापना में माओवादियों का सहयोग का आरोप लगने के बाद स्कूल को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा. उस दौरान ग्रामीण स्कूल के शिक्षकों को वेतन देने के लिए जन सहयोग करते थे. मौजूदा समय में स्कूल के संचालन में अनुदान की राशि भी उपलब्ध करवाई जाती है.

कब और कैसे हुआ हादसाः गुरुवार को सभी बच्चियां स्कूल में पढ़ाई करने गई थी. छुट्टी होने के बाद शिक्षकों ने सोचा कि बच्चे घर चले गए हैं. इधर परिजन सोचते रहे कि बच्चियां अपनी सहेलियों के यहां होंगी. इसी उधेड़बुन में रात के आठ बज गये. बच्चियों के घर नहीं पहुंचने के बाद परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरू की. परिजनों ने सबसे पहले स्कूल के शिक्षकों को कॉल कर बच्चियों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए.

शिक्षकों ने स्कूल में पढ़ने वाले अन्य छात्र छात्राओं के परिजनों को फोन कर बच्चियों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की. देर रात तक बच्चियों की जानकारी नहीं मिलने के बाद ग्रामीण एक जगह जमा हुए और सभी की तलाश शुरू हुई. इसी क्रम में स्कूल से करीब 50 मीटर दूर आहर में दो बच्चियों का शव नजर आया. ग्रामीणों ने तत्काल इसकी जानकारी स्थानीय थाना को दी.

इस मामले की जानकारी मिलने के बाद रामगढ़ थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और दो अन्य खोजबीन शुरू हुई. सभी चार बच्चियों का शव एक ही जगह से बरामद हुआ. स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बनारसी सिंह ने बताया कि गुरुवार देर रात चारों बच्चियों का शव बरामद किया गया. जिस जगह पर बच्चियां डूबी हैं. एक वर्ष पहले वहां जेसीबी से गड्ढा खोदा गया था.

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