पलामू: कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू और हरि तिवारी अपने गिरोह का संचालन के लिए तकनीक का सहारा ले रहा है. दोनों अपने गुर्गों से संपर्क के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network) का इस्तेमाल कर रहा है. मोहम्मदगंज रेलवे के फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रही कंपनी पर 08 जुलाई को हमले के लिए अमन साहू और हरि तिवारी ने VPN का इस्तेमाल किया था. दोनों हमला करने वाले गुर्गों से VPN के माध्यम से ही संपर्क में था. इसका खुलासा गिरफ्तार गुर्गा रोहित तिवारी और रुपेश कुमार सिंह ने पलामू के अधिकारियों के समक्ष किया है. दोनों ने पुलिस को बताया कि पूरा गिरोह एक दूसरे से संपर्क के लिए VPN का इस्तेमाल कर रहा है. अमन साहू और हरि तिवारी दोनों कुख्यात डॉन सुजीत सिन्हा के लिए काम करते हैं.
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क्या है वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क
वर्चुअल प्राइवेट एक नेटवर्क टेक्नोलॉजी है, जो इंटरनेट के माध्यम से काफी सुरक्षित है. VPN के माध्यम से किए गए कॉल को रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता और साथ लोकेशन भी नहीं लिया जा सकता है. अमन साहू और हरि तिवारी इसीलिए VPN का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह यूजर की वास्तविक पहचान को भी छुपाने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल से किसी भी डाटा को हैक नहीं किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल बड़ी कंपनियां अपने डाटा सिक्योर करने के लिए करती हैं. भारत मे VPN की सर्विस कुछ कंपनियां फ्री करवाती हैं, लेकिन लगातार इस्तेमाल के लिए पैसे चार्ज किए जाते हैं. अधिकतर गिरोह के सदस्य टेलीग्राम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
जेल से चला रहे अपना साम्राज्य
कुख्यात डॉन सुजीत सिन्हा, अमन साहू और हरि तिवारी जेल से ही अपना साम्राज्य चला रहे हैं. सुजीत सिन्हा जमशेदपुर के घाघीडीह, अमन साहू और हरि तिवारी रांची जेल में है. तीनों जेल से अपने गिरोह का संचालन कर रहे हैं. पलामू में मोहम्मदगंज और पड़वा में रेलवे साइडिंग पर हमले के बाद पहली बार अमन साहू का नाम पलामू में आया है. कुछ दिनों पहले हरि तिवारी की तरफ से एक बयान जारी किया गया था, उसमें उसने खुद को सुजीत सिन्हा से अलग होने की बात बोली थी, लेकिन मोहम्मदगंज हमले में हरि तिवारी का नाम सामने आया है.
कौन है दीपक पांडेय
पलामू में मोहम्मदगंज और पड़वा में हमले के लिए गुर्गो को दीपक पांडेय उर्फ दीपू पांडेय ने हथियार उपलब्ध करवाया था. दीपक पांडेय कौन है इसका पुलिस पता लगा रही है. मोहम्मदगंज हमले के दौरान रांची से एक शूटर पलामू पंहुचा था, वह कौन था किसी को पता नहीं है. उसी ने पेशेवर तरीके से हमले को अंजाम दिया था. उसने बाकी के अपने साथियों का नाम और पता तक नहीं बताया न ही मोबाइल नंबर दिया था.