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मंडल डैम निर्माण के लिए सरकार ने जारी किए 171 करोड़, चार दशक बाद परियोजना को रफ्तार मिलने की जगी आस - उत्तर कोयल नहर परियोजना

चर्चित मंडल डैम परियोजना निर्माण की रफ्तार के लिए 171 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. इसी के साथ चार दशक बाद फिर परियोजना की रफ्तार मिलने की आस जग गई है. यह इलाका भी पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही आता है.

details of Mandal Dam jharkhand
अधूरा मंडल डैम
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Published : Jan 25, 2022, 1:35 PM IST

पलामूः चर्चित मंडल डैम परियोजना निर्माण की रफ्तार में लगा ब्रेक हट गया है. झारखंड सरकार ने डैम निर्माण के लिए 171 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. इसी के साथ चार दशक बाद फिर परियोजना की रफ्तार मिलने की आस जग गई है. इस राशि से मंडल डैम के विस्थापितों को मुआवजा दिए जाने की योजना है. इसको लेकर प्रमंडलीय आयुक्त ने मंडल डैम डूब क्षेत्र में पड़ने वाले इलाके का मुआयना किया है.

ये भी पढ़ें-मंडल डैम क्षेत्र बना नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना, पांच दशक से अधूरी है परियोजना

झारखंड सरकार की ओर से जारी की गई राशि से मंगल डैम डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाके के हर परिवार को 15-15 लाख रुपये दिए जाने हैं. इसलिए प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी और डीआईजी राज कुमार लकड़ा ने बीते दिन हालात का जायजा लिया था. इसके अगले ही दिन राज्य सरकार ने 171 करोड़ रुपये जारी कर दिए थे. अब इस पर आगे का काम होगा.

बता दें कि 70 के दशक में उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन काम आगे नहीं बढ़ पाया. इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी 2019 को मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने की योजना का शिलान्यास किया था, शिलान्यास के बावजूद आज तक डैम निर्माण कार्य रूका हुआ है. इसके लिए पुनर्वास के लिए मुआवजा लटके होने को भी एक वजह बताई जा रही थी. मुआवजा लटके होने के कारण ग्रामीण विस्थापित नहीं हो रहे थे.


डूब क्षेत्र में एक दर्जन गांवः मंडल डैम के डूब क्षेत्र में गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के कुटकु, सान्या, चेमो, खुरा, भजना, खैरा समेत एक दर्जन गांव आते हैं. यह पूरा का पूरा इलाका माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ के अंदर है. 70 के दशक में जब परियोजना शुरू हुई थी तो डैम की ऊंचाई 367 मीटर किए जाने का प्रस्ताव था. लेकिन 2019 में जब दोबारा इस परियोजना को पूरा करने की योजना बनी तो उसमें डैम की ऊंचाई घटाकर 341 मीटर कर दी गई.

देखें पूरी खबर

पीटीआर में आता है इलाकाः यह पूरा का पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. डूब क्षेत्र के कारण इलाके में काफी समय से विकास योजनाएं संचालित नहीं हो पा रहीं हैं. गांव के लोग न किसी और सरकारी योजना का लाभ ले पा रहे थे और न ही कहीं बस पा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वह विस्थापन के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार उन्हें मुआवजा दे. ग्रामीणों ने बताया कि अधूरे मंडल डैम से उन्हें काफी परेशानियां हो रहीं हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है. इलाके के हरिचरण सिंह बताते हैं कि सरकार आश्वासन देती है लेकिन आज तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है. सरकार उनके लिए जमीन तलाश कर उन्हें विस्थापित कर दे.


मंडल डैम से पलामू प्रमंडल की बदल जाएगी तस्वीरः प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी का कहना है कि मंडल डैम से पलामू के इलाके की तस्वीर बदल जाएगी. यह इलाका कृषि और पर्यटन का केंद्र बन सकता है. उन्होंने बताया कि मंडल डैम परियोजना को लेकर कई निर्णय हुए हैं. पलामू का इलाका कृषि प्रधान है, मंडल डैम के बन जाने से यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा. इससे किसानों को राहत मिलेगी.


मंडल डैम की महत्वपूर्ण जानकारी एक नजर में

मंडल डैम के निर्माण को लेकर वन विभाग ने भी अनुमति दे दी है. हालांकि अभी तक तय नहीं हुआ कि 344644 पेड़ों को काटा जाना है या नहीं काटा जाना है. पेड़ों को काटे जाने में बाद कहां रखा जाएगा इस पर भी फैसला होना है. पेड़ों को काटे जाने के बाद दोगुने पेड़ लगाए जाने है तो ये कहां लगाए जाएंगे.. इस पर भी निर्णय नहीं हो सका है.

- सरकार की नजर में 780 परिवार आएंगे डूब क्षेत्र में, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि 1050 परिवार आते हैं डूब क्षेत्र में, डूब क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ सरकार का समन्वय नहीं

मंडल डैम के बारे में जानें

  • 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से मंडल डैम पर काम शुरू हुआ था. योजना थी कि मंडल डैम की उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल, जहांनाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पहुंचाया जाए और पलामू और उसके आसपास के जिलों को बिजली मिले.
  • पलामू टाइगर रिजर्व की आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई.
  • अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में कोयल नदी पर मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद काम ठप हो गया था. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी.

पलामूः चर्चित मंडल डैम परियोजना निर्माण की रफ्तार में लगा ब्रेक हट गया है. झारखंड सरकार ने डैम निर्माण के लिए 171 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. इसी के साथ चार दशक बाद फिर परियोजना की रफ्तार मिलने की आस जग गई है. इस राशि से मंडल डैम के विस्थापितों को मुआवजा दिए जाने की योजना है. इसको लेकर प्रमंडलीय आयुक्त ने मंडल डैम डूब क्षेत्र में पड़ने वाले इलाके का मुआयना किया है.

ये भी पढ़ें-मंडल डैम क्षेत्र बना नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना, पांच दशक से अधूरी है परियोजना

झारखंड सरकार की ओर से जारी की गई राशि से मंगल डैम डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाके के हर परिवार को 15-15 लाख रुपये दिए जाने हैं. इसलिए प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी और डीआईजी राज कुमार लकड़ा ने बीते दिन हालात का जायजा लिया था. इसके अगले ही दिन राज्य सरकार ने 171 करोड़ रुपये जारी कर दिए थे. अब इस पर आगे का काम होगा.

बता दें कि 70 के दशक में उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन काम आगे नहीं बढ़ पाया. इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी 2019 को मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने की योजना का शिलान्यास किया था, शिलान्यास के बावजूद आज तक डैम निर्माण कार्य रूका हुआ है. इसके लिए पुनर्वास के लिए मुआवजा लटके होने को भी एक वजह बताई जा रही थी. मुआवजा लटके होने के कारण ग्रामीण विस्थापित नहीं हो रहे थे.


डूब क्षेत्र में एक दर्जन गांवः मंडल डैम के डूब क्षेत्र में गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के कुटकु, सान्या, चेमो, खुरा, भजना, खैरा समेत एक दर्जन गांव आते हैं. यह पूरा का पूरा इलाका माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ के अंदर है. 70 के दशक में जब परियोजना शुरू हुई थी तो डैम की ऊंचाई 367 मीटर किए जाने का प्रस्ताव था. लेकिन 2019 में जब दोबारा इस परियोजना को पूरा करने की योजना बनी तो उसमें डैम की ऊंचाई घटाकर 341 मीटर कर दी गई.

देखें पूरी खबर

पीटीआर में आता है इलाकाः यह पूरा का पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. डूब क्षेत्र के कारण इलाके में काफी समय से विकास योजनाएं संचालित नहीं हो पा रहीं हैं. गांव के लोग न किसी और सरकारी योजना का लाभ ले पा रहे थे और न ही कहीं बस पा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वह विस्थापन के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार उन्हें मुआवजा दे. ग्रामीणों ने बताया कि अधूरे मंडल डैम से उन्हें काफी परेशानियां हो रहीं हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है. इलाके के हरिचरण सिंह बताते हैं कि सरकार आश्वासन देती है लेकिन आज तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है. सरकार उनके लिए जमीन तलाश कर उन्हें विस्थापित कर दे.


मंडल डैम से पलामू प्रमंडल की बदल जाएगी तस्वीरः प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी का कहना है कि मंडल डैम से पलामू के इलाके की तस्वीर बदल जाएगी. यह इलाका कृषि और पर्यटन का केंद्र बन सकता है. उन्होंने बताया कि मंडल डैम परियोजना को लेकर कई निर्णय हुए हैं. पलामू का इलाका कृषि प्रधान है, मंडल डैम के बन जाने से यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा. इससे किसानों को राहत मिलेगी.


मंडल डैम की महत्वपूर्ण जानकारी एक नजर में

मंडल डैम के निर्माण को लेकर वन विभाग ने भी अनुमति दे दी है. हालांकि अभी तक तय नहीं हुआ कि 344644 पेड़ों को काटा जाना है या नहीं काटा जाना है. पेड़ों को काटे जाने में बाद कहां रखा जाएगा इस पर भी फैसला होना है. पेड़ों को काटे जाने के बाद दोगुने पेड़ लगाए जाने है तो ये कहां लगाए जाएंगे.. इस पर भी निर्णय नहीं हो सका है.

- सरकार की नजर में 780 परिवार आएंगे डूब क्षेत्र में, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि 1050 परिवार आते हैं डूब क्षेत्र में, डूब क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ सरकार का समन्वय नहीं

मंडल डैम के बारे में जानें

  • 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से मंडल डैम पर काम शुरू हुआ था. योजना थी कि मंडल डैम की उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल, जहांनाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पहुंचाया जाए और पलामू और उसके आसपास के जिलों को बिजली मिले.
  • पलामू टाइगर रिजर्व की आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गई.
  • अविभाजित पलामू में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में कोयल नदी पर मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी जो अब 2391.36 करोड़ की हो गई है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सल हमले के बाद काम ठप हो गया था. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी.
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