पलामू: आधार के इस्तेमाल को लेकर सावधान हो जाएं, साइबर अपराधी आधार से मोबाइल तक पहुंच रहे हैं और नंबर को पोर्ट करवा दे रहे हैं. नंबर को पोर्ट करवाने के बाद साइबर अपराधी बैंक खातों से रुपयों की निकासी कर ले रहे हैं. पलामू साइबर थाना को नंबर पोर्ट के माध्यम से ठगी के आधा दर्जन से अधिक शिकायतें मिलीं हैं. जिसके बाद पुलिस ने लोगों से सावधान होने की अपील की है.
दरअसल, इस तरह के ठगी का शिकार अधिकतर ग्रामीण इलाके के लोग हुए हैं. जिन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने या बाहर जाने पर होटल के कमरों को लेने लिए आधार का इस्तेमाल किया था. साइबर अपराधी वैसे लोगों के आधार के माध्यम से उनके मोबाइल नंबर तक पहुंचते हैं और नंबर पोर्ट करवाने का एक मैसेज करते हैं. मैसेज के बाद साइबर अपराध संबंधित व्यक्ति से ओटीपी पूछते हैं.
ओटीपी मिलने के बाद पीड़ित व्यक्ति का मोबाइल नंबर काम करना बंद कर देता है, बाद में साइबर अपराधी उसके मोबाइल के माध्यम से बैंक खातों तक पंहुचते हैं और रुपयों की निकासी कर लेते हैं. पलामू साइबर थाना के अधिकारियों ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामले में अनुसंधान शुरू किया है तो कई मामलों की जानकारी मिली है. साइबर अपराधी बड़े ही चालाकी से नंबर को पोर्ट करवा देते हैं. कई बार पीड़ित व्यक्ति को समय गुजरने के बाद पता चलता है कि उनका मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहा है. जब तक वे समझ पाते हैं तब तक उनके बैंक खातों से रुपय गायब हो जाते हैं. पलामू के छतरपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले सोनू कुमार नामक युवक के बैंक खाते से 17 हजार इसी तरह गायब हो गए थे. इसी तरह हैदरनगर के रहने वाले सुदेश कुमार का नंबर भी पोर्ट हो गया था. उसके बैंक के खाते से तीन हजार रुपये गायब हो गए थे.
नंबर पोर्ट होने के बाद करीब दो घंटे के बाद उसे एहसास हुआ कि उसका मोबाइल बंद है. इस दौरान साइबर अपराधियों ने उसके बैंक के खाते से रुपए को गायब कर दिए थे. नंबर पोर्ट करवाने के बाद साइबर अपराधी उस नंबर का व्हाट्सएप के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. साइबर अपराधी पीड़ित व्यक्तियों के मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप अकाउंट बनाते हैं. उस व्हाट्सएप अकाउंट में अधिकारी या बड़े हस्तियों का फोटो लगाकर पैसों की ठगी करने की कोशिश करते हैं. व्हाट्सएप के माध्यम से ठगी के मामले में अनुसंधान के क्रम में पुलिस को इस तरह की जानकारियां मिली है.