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विकास कार्यों के नाम पर धड़ल्ले से हो रही पेड़ों की कटाई, बदले में कितने पेड़ लगाए गए नहीं है डाटा

पलामू में विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है. जिले में सबसे अधिक पेड़ रेलवे लाइन के तीसरी लाइन बिछाने के लिए काटे गए हैं. वहीं नेशनल हाइवे 98 के निर्माण के लिए 500 से अधिक पेड़ों की कटाई की योजना है. पेड़ों की कटाई के एवज में दस गुणा पेड़ लगाना है, लेकिन पेड़ कहां लगाए जा रहे हैं इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है.

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Published : Oct 30, 2020, 5:41 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 7:57 PM IST

cutting of trees in name of development in palamu
पलामू में पेड़ों की कटाई

पलामू: जिले में विकास कार्यो के लिए पिछले पांच सालों में सैकड़ों पेड़ काट दिए गए, लेकिन इसके एवज में कहां और कितने पेड़ लगे हैं. इसकी जानकारी अस्पष्ट रूप से किसी के पास नहीं है. वन विभाग का कहना है कि पेड़ काटने की अनुमति दी गई, लेकिन उसके एवज में 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है. वे पेड़ कहां लगाए गए हैं और किस हालात में हैं इस बात की जानकारी उनके पास नहीं है.

देखें स्पेशल स्टोरी


रेलवे के थर्ड लाइन के लिए काटे गए 880 पेड़
पलामू में सबसे अधिक पेड़ रेलवे लाइन के तीसरी लाइन बिछाने के लिए काटे गए हैं. विभिन्न चरणों मे पिछले पांच सालों के दौरान 880 पेड़ काटे गए हैं. ये पेड़ कजरात नावाडीह से डालटनगंज के बीच काटे गए हैं.

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पेड़ों की कटाई जारी

एनएच 98 के लिए काटे जाने हैं 500 से अधिक पेड़

जिले में नेशनल हाइवे 98 के निर्माण के लिए 500 से अधिक पेड़ों की कटाई की योजना है. नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ने मामले में वन विभाग को आवेदन भी दिया है, जबकि ग्रामीण सड़क, स्टेट हाइवे, पावर ग्रिड, पावर सब स्टेशन, सरकारी भवन के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए हैं.

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पेड़ों की कटाई की योजना
हाई लेवल कमेटी पेड़ों को काटने की देती है मंजूरीसाल 2016 में रांची हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि किसी भी विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने पर इसके एवज में 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है. डीएफओ राहुल कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि पेड़ों को काटने की अनुमति हाई लेवल कमेटी देती है और कमिटी रांची में बैठती है, कमेटी के अनुमति के बाद पेड़ों की कटाई की जाती है. उन्होंने बताया कि 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है, इसी ग्राउंड पर अनुमति दी जाती है, लेकिन पेड़ कहां लगाया जाना है, इसका फैसला एजेंसी ही करती है. उन्होंने बताया कि प्रावधान है कि पेड़ को संबंधित क्षेत्रों के वर्किंग एरिया में ही लगाया जाना है.
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हरियाली में बढ़ोतरी

इसे भी पढे़ं:- मेदिनीनगर में पानी का संकट, कान्दू मोहल्ले में दूसरे इलाकों से लाना पड़ता है पानी

अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई, होगा पर्यावरण को नुकशान
विकास कार्यो के नाम पर पेड़ों की कटाई मामले में पलामू के ग्रामीणों में नाराजगी है. उनका कहना है कि पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन वह लगाए कहां जा रहे हैं, यह जानकारी नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि विकास कार्यों को लेकर हम विनाश की तरफ बढ़ रहे हैं. युवा रवि बताते हैं कि किसी के पास कोई जानकारी नहीं है कि पेड़ कहां लगाए जा रहे हैं. वहीं समाजसेवी राकेश तिवारी बताते हैं कि विकास कार्यों के नाम पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है. पर्यावरण को लेकर जानकारी रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रवि उपाध्याय बताते हैं कि पेड़ों की कटाई गंभीर मामला है, पेड़ों की कटाई की जा रही है, लेकिन लगाई नहीं जा रही है, इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है.

पलामू: जिले में विकास कार्यो के लिए पिछले पांच सालों में सैकड़ों पेड़ काट दिए गए, लेकिन इसके एवज में कहां और कितने पेड़ लगे हैं. इसकी जानकारी अस्पष्ट रूप से किसी के पास नहीं है. वन विभाग का कहना है कि पेड़ काटने की अनुमति दी गई, लेकिन उसके एवज में 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है. वे पेड़ कहां लगाए गए हैं और किस हालात में हैं इस बात की जानकारी उनके पास नहीं है.

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रेलवे के थर्ड लाइन के लिए काटे गए 880 पेड़
पलामू में सबसे अधिक पेड़ रेलवे लाइन के तीसरी लाइन बिछाने के लिए काटे गए हैं. विभिन्न चरणों मे पिछले पांच सालों के दौरान 880 पेड़ काटे गए हैं. ये पेड़ कजरात नावाडीह से डालटनगंज के बीच काटे गए हैं.

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पेड़ों की कटाई जारी

एनएच 98 के लिए काटे जाने हैं 500 से अधिक पेड़

जिले में नेशनल हाइवे 98 के निर्माण के लिए 500 से अधिक पेड़ों की कटाई की योजना है. नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ने मामले में वन विभाग को आवेदन भी दिया है, जबकि ग्रामीण सड़क, स्टेट हाइवे, पावर ग्रिड, पावर सब स्टेशन, सरकारी भवन के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए हैं.

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पेड़ों की कटाई की योजना
हाई लेवल कमेटी पेड़ों को काटने की देती है मंजूरीसाल 2016 में रांची हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि किसी भी विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने पर इसके एवज में 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है. डीएफओ राहुल कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि पेड़ों को काटने की अनुमति हाई लेवल कमेटी देती है और कमिटी रांची में बैठती है, कमेटी के अनुमति के बाद पेड़ों की कटाई की जाती है. उन्होंने बताया कि 10 गुणा पेड़ लगाए जाना है, इसी ग्राउंड पर अनुमति दी जाती है, लेकिन पेड़ कहां लगाया जाना है, इसका फैसला एजेंसी ही करती है. उन्होंने बताया कि प्रावधान है कि पेड़ को संबंधित क्षेत्रों के वर्किंग एरिया में ही लगाया जाना है.
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हरियाली में बढ़ोतरी

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अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई, होगा पर्यावरण को नुकशान
विकास कार्यो के नाम पर पेड़ों की कटाई मामले में पलामू के ग्रामीणों में नाराजगी है. उनका कहना है कि पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन वह लगाए कहां जा रहे हैं, यह जानकारी नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि विकास कार्यों को लेकर हम विनाश की तरफ बढ़ रहे हैं. युवा रवि बताते हैं कि किसी के पास कोई जानकारी नहीं है कि पेड़ कहां लगाए जा रहे हैं. वहीं समाजसेवी राकेश तिवारी बताते हैं कि विकास कार्यों के नाम पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है. पर्यावरण को लेकर जानकारी रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रवि उपाध्याय बताते हैं कि पेड़ों की कटाई गंभीर मामला है, पेड़ों की कटाई की जा रही है, लेकिन लगाई नहीं जा रही है, इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है.

Last Updated : Oct 30, 2020, 7:57 PM IST
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