पलामूः जिले में पलामू जोन के तीनों जिलों पलामू, गढ़वा और लातेहार में नक्सल और अपराध के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. तीनों जिलों में संगठित आपराधिक गिरोहों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी चल रही है लेकिन पुलिस के इस अभियान पर असर पड़ा है. पलामू जोन के चार एसडीपीओ का पोस्ट पिछले एक महीने से भी अधिक समय से खाली है.
इसे भी पढ़ें- 'अब हेमंत जी को जो खुश करेंगे उसी को न भेजेंगे', डीएसपी के पद को लेकर निरसा विधायक ने कसा तंज
पलामू का सदर मेदिनीनगर और हुसैनाबाद, गढ़वा का रंका और लातेहार के बालूमाथ में एसडीपीओ का पोस्ट खाली है. इन जगहों पर अब तक किसी की तैनाती नही हुई है, इन चारों एसडीपीओ का आईपीएस में प्रमोशन होने के बाद तबादला हो गया है. इन जगहों पर एसडीपीओ नहीं रहने से नक्सल और अपराध के खिलाफ अभियान पर असर पड़ा है. बालूमाथ और मेदिनीनगर सदर संगठित आपराधिक गिरोहों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का नेतृत्व करती है. बालूमाथ के इलाके से नक्सल अभियान भी चलाया जाता है. गढ़वा के रंका से छत्तीसगढ़ और बूढापहाड़ के इलाके में अभियान और निगरानी रखी जाती है. पलामू के हुसैनाबाद से बिहार की सीमा पर निगरानी रखी जाती है.
इन चारों इलाकों में एसडीपीओ का पोस्ट खाली रहने से अपराध और नक्सल के खिलाफ अभियान कमजोर हुआ है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि अभियान में परेशानी हो रही है, तीनों जिलों में अभियान एसपी भी नहीं हैं. अभियान एसपी नहीं रहने से भी काम की जिम्मेदारी दूसरे एसडीपीओ पर है, सभी अतिरिक्त प्रभार पर चल रहा है. इस मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय को अवगत करवाया गया है.
एक रिटायर पुलिस अधिकारी रामचंद्र सिंह ने बताया कि एसडीपीओ का पद महत्वपूर्ण होता है, इसके खाली रहने से मुकदमों के अनुसंधान के साथ साथ एंटी नक्सल और क्राइम के खिलाफ ऑपरेशन पर असर पड़ता है. इसके साथ साथ पुलिस कार्यालय में भी कई तरह के कार्य होते हैं जो एसडीपीओ के जिम्मे होते हैं. इन पदों के खाली रहने से एक तरह से पुलिसिंग पर खासा असर पड़ता है.