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जिस मैदान पर माओवादी सुनाते थे फरमान, उसी ग्राउंड पर युवा बन रहे बदलाव के वाहक - डगरा की डगर

पलामू के डगरा में जहां पहले उपद्रवियों का डर लोगों के मन में बैठा था, अब वहां बदलाव की बयार बह रही है. यहां सीआरपीएफ 134 बटालियन के शहीद जवान रूपेश की याद में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया था. खास बात ये है कि यही वह ग्राउंड है जहां कभी माओवादी जनता दरबार लगाते थे.

Cricket tournament organized in palamu
पलामू के डगरा
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Published : Feb 29, 2020, 5:31 PM IST

पलामूः जिस मैदान पर माओवादी अपना फरमान सुनाते थे और जन अदालत लगाया करते थे, अब वही मैदान बदलाव का वाहक बन रहा है. हम बात कर रहे है झारखंड की राजधानी रांची से करीब 350 किलोमीटर दूर डगरा पंचायत की. डगरा की डगर आसान नहीं है, यह पंचायत पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र में है. पंचायत 90 के दशक से माओवाद हिंसा के चपेट में रहा है.

देखें पूरी खबर

पंचायत ने माओवादी दस्ते को कई कैडर दिया है आज भी गांव के कई युवा माओवादी के दस्ते में शामिल हैं, लेकिन इन सब के बीच डगरा में बदलाव की बयार बह रही है. ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है बल्कि इस बदलाव में वर्षो लग गए है. इस बदलाव का सबसे बड़ा वाहक डगरा पंचायत के रायबार गांव का मैदान है. जहां पहली बार खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था.

क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन

सीआरपीएफ 134 बटालियन के शहीद जवान रूपेश की याद में डगरा के रायबार में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया था. इस टूर्नामेंट में आस-पास के 16 गांव के टीम ने भाग लिया था. शुक्रवार को टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला गया, जिसमें सिलदाग छत्तरपुर को हरा कर विजेता बना. इस दौरान पलामू एसपी अजय लिंडा, कमांडेंट अरुण देव शर्मा, टुआईसी राजीव कुमार झा, उपकमांडेंट राजमोहन, एसडीपीओ शंभु प्रसाद सिंह, सहायक कमांडेंट राजेन्द्र भंडारी मौजूद थे.

डगरा में पहली बार किसी तरह का खेल से संबंधित आयोजन हुआ था. ग्रामीण महिला के साथ-साथ डगरा के वार्ड आयुक्त ने बताया कि ऐसा पहले नहीं था, इस तरह का आयोजन कभी नहीं हुआ. नक्सल के खौफ से सब परेशान थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. उन्होंने बताया कि माहौल बदल रहा है अब बुनियादी सुविधा रोड, स्कूल को बेहतर करने की जरूरत है. ग्रामीण पुरुष कैलाश बताते हैं कि नक्सल का डर कम हो गया है, पिकेट बन जाने से बड़ा बदलाव हुआ है.

ये भी पढ़ें- ADG अनुराग गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू, DG एमवी राव को बनाया गया जांच अधिकारी

माओवादी लगाते थे अदालत

जिस मैदान पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था, उस मैदान पर माओवादी अपना जनअदालत लगाया करते थे. इतना ही नहीं उसी मैदान पर स्थानीय लोगों को अपना कैडर बनाते थे. 2011 में रायबार के इसी मैदान पर माओवादियो ने जनअदालत लगा कर सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में एक व्यक्ति को गोली मार दी थी. रायबार के इस मैदान से कुछ सौ मीटर की दूरी पर बिहार का गया का सीमावर्ती इलाका है. यह इलाका माओवाद से काफी प्रभावित रहा है.

मौके पर बोलते हुए पलामू एसपी अजय लिंडा ने कहा कि सुरकक्षाबल और पुलिस लोगो को सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रही है. एसपी ने ग्रामीणों से बच्चो की स्कूल भेजने की अपील की. उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ अभियान नही चला रही है बल्कि ग्रामिणो की सहायता करने का प्रयास कर रही है.

जिस मैदान पर माओवादी सुनाते थे फरमान, उसी ग्राउंड पर युवा बन रहे बदलाव के वाहक

पलामूः जिस मैदान पर माओवादी अपना फरमान सुनाते थे और जन अदालत लगाया करते थे, अब वही मैदान बदलाव का वाहक बन रहा है. हम बात कर रहे है झारखंड की राजधानी रांची से करीब 350 किलोमीटर दूर डगरा पंचायत की. डगरा की डगर आसान नहीं है, यह पंचायत पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र में है. पंचायत 90 के दशक से माओवाद हिंसा के चपेट में रहा है.

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पंचायत ने माओवादी दस्ते को कई कैडर दिया है आज भी गांव के कई युवा माओवादी के दस्ते में शामिल हैं, लेकिन इन सब के बीच डगरा में बदलाव की बयार बह रही है. ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है बल्कि इस बदलाव में वर्षो लग गए है. इस बदलाव का सबसे बड़ा वाहक डगरा पंचायत के रायबार गांव का मैदान है. जहां पहली बार खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था.

क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन

सीआरपीएफ 134 बटालियन के शहीद जवान रूपेश की याद में डगरा के रायबार में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया था. इस टूर्नामेंट में आस-पास के 16 गांव के टीम ने भाग लिया था. शुक्रवार को टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला गया, जिसमें सिलदाग छत्तरपुर को हरा कर विजेता बना. इस दौरान पलामू एसपी अजय लिंडा, कमांडेंट अरुण देव शर्मा, टुआईसी राजीव कुमार झा, उपकमांडेंट राजमोहन, एसडीपीओ शंभु प्रसाद सिंह, सहायक कमांडेंट राजेन्द्र भंडारी मौजूद थे.

डगरा में पहली बार किसी तरह का खेल से संबंधित आयोजन हुआ था. ग्रामीण महिला के साथ-साथ डगरा के वार्ड आयुक्त ने बताया कि ऐसा पहले नहीं था, इस तरह का आयोजन कभी नहीं हुआ. नक्सल के खौफ से सब परेशान थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. उन्होंने बताया कि माहौल बदल रहा है अब बुनियादी सुविधा रोड, स्कूल को बेहतर करने की जरूरत है. ग्रामीण पुरुष कैलाश बताते हैं कि नक्सल का डर कम हो गया है, पिकेट बन जाने से बड़ा बदलाव हुआ है.

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माओवादी लगाते थे अदालत

जिस मैदान पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था, उस मैदान पर माओवादी अपना जनअदालत लगाया करते थे. इतना ही नहीं उसी मैदान पर स्थानीय लोगों को अपना कैडर बनाते थे. 2011 में रायबार के इसी मैदान पर माओवादियो ने जनअदालत लगा कर सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में एक व्यक्ति को गोली मार दी थी. रायबार के इस मैदान से कुछ सौ मीटर की दूरी पर बिहार का गया का सीमावर्ती इलाका है. यह इलाका माओवाद से काफी प्रभावित रहा है.

मौके पर बोलते हुए पलामू एसपी अजय लिंडा ने कहा कि सुरकक्षाबल और पुलिस लोगो को सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रही है. एसपी ने ग्रामीणों से बच्चो की स्कूल भेजने की अपील की. उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ अभियान नही चला रही है बल्कि ग्रामिणो की सहायता करने का प्रयास कर रही है.

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