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झारखंड-बिहार सीमा पर भाकपा माओवादी और टीएसपीसी हुए एक, सुरक्षा एजेंसियों ने जारी किया अलर्ट

पलामू में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और टीएसपीसी झारखंड-बिहार सीमा पर एक हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक अब दोनों ही संगठन कमजोर हो चुके हैं. ऐसे में दोनों का प्रभाव क्षेत्र भी कम हो गया है. दोनों संगठनों की बढ़ती नजदीकियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है.

CPI Maoist and TSPC united at jharkhand-bihar border of palamu
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Published : Jun 25, 2021, 12:21 PM IST

पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी (Naxalite Organization CPI-Maoist) और तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी (टीएसपीसी) झारखंड-बिहार सीमा (Jharkhand Bihar Border) पर एक हो गए हैं. दोनों के एक हो जाने से माओवादियों के छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर प्रभावित हुए हैं. कुछ महीने पहले माओवादियों के टॉप कमांडर इसी कॉरिडोर से होते हुए बूढ़ापहाड़ पंहुचे हैं. माओवादियों और टीएसपीसी के एक दूसरे के नजदीक होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है और दोनों के एक होने के प्रमाण जुटाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें-चतरा में TPC का सब जोनल कमांडर किशन गंझू गिरफ्तार, इंसास रायफल और कारतूस बरामद

दोनों संगठन 2016 के बाद आपस में नहीं टकराए

पलामू, चतरा, लातेहार, गढ़वा और हजारीबाग के इलाके में माओवादियों के बाद सबसे अधिक टीएसपीसी का प्रभाव रहा है. चतरा में टीएसपीसी का प्रभाव अधिक रहा है. पलामू और चतरा के इलाके में 2016 के बाद टीएसपीसी और माओवादी आपस में भिड़े नहीं हैं. दोनों के बीच मुठभेड़ की खबर निकल कर सामने आई है. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पलामू के मनातू, पांडू, नौडिहाबाजर, हरिहरगंज, हुसैनाबाद और छत्तरपुर के इलाके में टीएसपीसी का दस्ता माओवादियों को सहयोग कर रहा है. पलामू, चतरा और गया सीमा पर दोनों संगठन के दस्ते एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं.

माओवादियों से अलग हो कर TSPC का हुआ था गठन

2004 में एमसीसी और पीपुल्स वार का विलय हुआ था. भाकपा माओवादी बना था, इसी में एक धड़ा अलग हो कर टीएसपीसी बना, बाद में माओवादी और टीएसपीसी के बीच हिंसक संघर्ष की खबरें 2016-17 तक निकल कर सामने आई है. 2011 में पलामू चतरा सीमा पर लकड़बंधा में टीएसपीसी ने 11 माओवादी टॉप कमांडर की हत्या की थी जबकि 2013 में माओवादियों ने पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया में 15 टीएसपीसी सदस्यों की हत्या कर डाली थी. दोनों के आपसी संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान गई है.

भाकपा माओवादी और टीएसपीसी हो गए हैं कमजोर

भाकपा माओवादी (CPI Maoist) और टीएसपीसी (TSPC) बेहद कमजोर हो गए हैं. दोनों का प्रभाव क्षेत्र भी कम हो गया है. चतरा और पलामू के 60 प्रतिशत इलाकों में टीएसपीसी का प्रभाव हो गया था, लेकिन पलामू में टीएसपीसी अंतिम सांसे गिन रहा है, जबकि माओवादियों का सिर्फ प्रभाव है. अब दोनों संगठन पलामू, चतरा और बिहार सीमा से सटे हुए इलाकों में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. दोनों एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं. माओवादियों के छकरबंधा से बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर जो गया, पलामू, चतरा, लातेहार से लेकर छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ है.

पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी (Naxalite Organization CPI-Maoist) और तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी (टीएसपीसी) झारखंड-बिहार सीमा (Jharkhand Bihar Border) पर एक हो गए हैं. दोनों के एक हो जाने से माओवादियों के छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर प्रभावित हुए हैं. कुछ महीने पहले माओवादियों के टॉप कमांडर इसी कॉरिडोर से होते हुए बूढ़ापहाड़ पंहुचे हैं. माओवादियों और टीएसपीसी के एक दूसरे के नजदीक होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है और दोनों के एक होने के प्रमाण जुटाए जा रहे हैं.

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दोनों संगठन 2016 के बाद आपस में नहीं टकराए

पलामू, चतरा, लातेहार, गढ़वा और हजारीबाग के इलाके में माओवादियों के बाद सबसे अधिक टीएसपीसी का प्रभाव रहा है. चतरा में टीएसपीसी का प्रभाव अधिक रहा है. पलामू और चतरा के इलाके में 2016 के बाद टीएसपीसी और माओवादी आपस में भिड़े नहीं हैं. दोनों के बीच मुठभेड़ की खबर निकल कर सामने आई है. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पलामू के मनातू, पांडू, नौडिहाबाजर, हरिहरगंज, हुसैनाबाद और छत्तरपुर के इलाके में टीएसपीसी का दस्ता माओवादियों को सहयोग कर रहा है. पलामू, चतरा और गया सीमा पर दोनों संगठन के दस्ते एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं.

माओवादियों से अलग हो कर TSPC का हुआ था गठन

2004 में एमसीसी और पीपुल्स वार का विलय हुआ था. भाकपा माओवादी बना था, इसी में एक धड़ा अलग हो कर टीएसपीसी बना, बाद में माओवादी और टीएसपीसी के बीच हिंसक संघर्ष की खबरें 2016-17 तक निकल कर सामने आई है. 2011 में पलामू चतरा सीमा पर लकड़बंधा में टीएसपीसी ने 11 माओवादी टॉप कमांडर की हत्या की थी जबकि 2013 में माओवादियों ने पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया में 15 टीएसपीसी सदस्यों की हत्या कर डाली थी. दोनों के आपसी संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान गई है.

भाकपा माओवादी और टीएसपीसी हो गए हैं कमजोर

भाकपा माओवादी (CPI Maoist) और टीएसपीसी (TSPC) बेहद कमजोर हो गए हैं. दोनों का प्रभाव क्षेत्र भी कम हो गया है. चतरा और पलामू के 60 प्रतिशत इलाकों में टीएसपीसी का प्रभाव हो गया था, लेकिन पलामू में टीएसपीसी अंतिम सांसे गिन रहा है, जबकि माओवादियों का सिर्फ प्रभाव है. अब दोनों संगठन पलामू, चतरा और बिहार सीमा से सटे हुए इलाकों में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. दोनों एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं. माओवादियों के छकरबंधा से बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर जो गया, पलामू, चतरा, लातेहार से लेकर छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ है.

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