पलामू: एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) में बाघों की गिनती शुरू हो गई है. बाघों की गिनती का यह पहला चरण है. NTCA 2022 में बाघों की गिनती की रिपोर्ट जारी करेगी.
पूरे देश में करीब 50 टाइगर रिजर्व हैं. सभी जगहों पर एक साथ बाघों की गिनती शुरू हुई है. 2018 की जनगणना रिपोर्ट में पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बताया गया था. पलामू टाइगर रिजर्व में फरवरी 2020 में एक बाघिन मृत मिली थी. उसके बाद हाल के दिनों में लोहरदगा सीमा पर बाघ की मौजूदगी के सबूत मिले हैं. इसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व अलर्ट हुआ है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि यह पहले चरण की गिनती शुरू हुई है. बाघों की गिनती तीन चरणों में होनी है.
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बाघों की गिनती को लेकर शुरू हुई ट्रेनिंग, लगाए जाएंगे कैमरा ट्रैप
बाघों की गिनती में शामिल होने वाले कर्मियों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और टाइगर रिजर्व के अधिकारी सभी को ट्रेनिंग दे रहे हैं. निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि ट्रेनिंग के बाद कैमरा ट्रैप लगाया जाना है. उसके बाद बाघों के स्कैट को वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया को भेजा जाएगा. फिर मिलान और डीएनए जांच के बाद बाघों की संख्या पता चल पाएगी. यह गिनती जुलाई 2022 से पहले पूरी कर लेनी है. हर चार वर्ष में एक बार पूरे देश में बाघों की गिनती शुरू होती है. इससे पहले 2018 में बाघों की गिनती हुई थी.
पलामू टाइगर रिजर्व से पहली बार देश में शुरू हुई थी बाघों की गिनती
देश में पहली बार 1932 में बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. टाइगर रिजर्व 1,026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में है. 1974 में पूरे देश में बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घटकर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ है. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हुए हैं.