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पलामूः कोरोना का फायदा उठा कैडर बढ़ाना चाहते हैं माओवादी, नक्सल अर्थतंत्र हुआ प्रभावित, खुद को कोरोना से बचा रहे नक्सली - पलामू में कोरोना के कारण नक्सली संगठन प्रभावित

पलामू में कई नक्सली संगठनों का दबदबा रहा है. कोरोना संक्रमण काल में तमाम नक्सली कमांडर एक बार फिर से संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने की फिराक में जुट गए हैं. कोरोना के कारण कई नक्सलियों के अर्थतंत्र पर प्रभाव पड़ा है.

Corona pandemic and lockdown outbreak affect Maoist Naxalites in palamu
नक्सली
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Published : Aug 26, 2020, 2:04 AM IST

Updated : Aug 26, 2020, 12:21 PM IST

पलामू: कोरोना काल का फायदा उठाकर माओवादी समेत विभिन्न नक्सली संगठन अपने कैडर को मजबूत बनाने की फिराक में जुटे हैं. इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है. कोरोना ने नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र को प्रभावित किया है. ऐसे में विभिन्न नक्सल संगठनों को मिलने वाली लेवी बेहद कम हो गई है, जिसके बाद नक्सली संगठन खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

झारखंड के पलामू में कई नक्सली संगठनों का दबदबा रहा है. कोरोना संक्रमण काल में तमाम नक्सली कमांडर एक बार फिर से संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने की फिराक में जुट गए हैं. एक लंबे अरसे के बाद पलामू के इलाके में माओवादियों का एक दस्ता सक्रिय हुआ है, जो लगातार हरिहरगंज, छतरपुर, पांडू, विश्रामपुर और नौडीहा बाजार के इलाके में भ्रमण कर रहा है.

पलामू के ग्रामीण इलाकों में माओवादी दस्ते को ग्रामीणों ने किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि उन्हें भोजन और पानी भी नहीं दिया जा रहा है. गांव के किसी भी घर में घुसने की इजाजत नक्सलियों को नहीं दी जा रही है. ग्रामीणों का साफ कहना है कि कोरोना का डर है, वे बाहरी को किसी भी कीमत पर गांव में नहीं रखना चाहते. ऐसे में नक्सली खुद सुरक्षित रखने की ख्याल से लोगों से नहीं मिल रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रख रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- अधिक संपत्ति मामले में पूर्व मंत्री हरिनारायण राय उनकी पत्नी और भाई की अपील पर सुनवाई, अदालत ने आदेश रखा सुरक्षित

कोरोना ने नक्सली संगठनों के अर्थ तंत्र को किया प्रभावित

नक्सलवाद को भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा खतरों में से एक माना जाता है. वर्तमान महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के प्रकोप ने नक्सलियों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित किया है. इस दौरान इनकी भी खाद्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूíत प्रभावित हुई है.

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र को प्रभावित किया है. पलामू में नक्सली संगठनों को बीड़ी पत्ता के लेवी से करोड़ों की आय होती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने इस व्यवसाय को भी प्रभावित किया है, जिस कारण नक्सल संगठनों को मिलने वाली करोड़ों की लेवी नहीं मिल पा रही है.

पलामू में माओवादी, टीपीसी और झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) को बीड़ी पत्ता से लेवी मिलती है. एक अनुमान के मुताबिक पलामू में बीड़ी पत्ता की एक सीजन में माओवादी करीब 5 करोड़ रुपए, टीपीसी 3 करोड़ के करीब लेवी वसूलते थे. जेजेएमपी जैसे नक्सली संगठन भी इस कारोबार से लाखों रुपए की आमदनी करता था, जो कोरोना काल में पूरी तरह से ठप हो चुका है.

पलामू: कोरोना काल का फायदा उठाकर माओवादी समेत विभिन्न नक्सली संगठन अपने कैडर को मजबूत बनाने की फिराक में जुटे हैं. इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है. कोरोना ने नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र को प्रभावित किया है. ऐसे में विभिन्न नक्सल संगठनों को मिलने वाली लेवी बेहद कम हो गई है, जिसके बाद नक्सली संगठन खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.

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झारखंड के पलामू में कई नक्सली संगठनों का दबदबा रहा है. कोरोना संक्रमण काल में तमाम नक्सली कमांडर एक बार फिर से संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने की फिराक में जुट गए हैं. एक लंबे अरसे के बाद पलामू के इलाके में माओवादियों का एक दस्ता सक्रिय हुआ है, जो लगातार हरिहरगंज, छतरपुर, पांडू, विश्रामपुर और नौडीहा बाजार के इलाके में भ्रमण कर रहा है.

पलामू के ग्रामीण इलाकों में माओवादी दस्ते को ग्रामीणों ने किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि उन्हें भोजन और पानी भी नहीं दिया जा रहा है. गांव के किसी भी घर में घुसने की इजाजत नक्सलियों को नहीं दी जा रही है. ग्रामीणों का साफ कहना है कि कोरोना का डर है, वे बाहरी को किसी भी कीमत पर गांव में नहीं रखना चाहते. ऐसे में नक्सली खुद सुरक्षित रखने की ख्याल से लोगों से नहीं मिल रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रख रहे हैं.

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कोरोना ने नक्सली संगठनों के अर्थ तंत्र को किया प्रभावित

नक्सलवाद को भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा खतरों में से एक माना जाता है. वर्तमान महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के प्रकोप ने नक्सलियों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित किया है. इस दौरान इनकी भी खाद्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूíत प्रभावित हुई है.

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र को प्रभावित किया है. पलामू में नक्सली संगठनों को बीड़ी पत्ता के लेवी से करोड़ों की आय होती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने इस व्यवसाय को भी प्रभावित किया है, जिस कारण नक्सल संगठनों को मिलने वाली करोड़ों की लेवी नहीं मिल पा रही है.

पलामू में माओवादी, टीपीसी और झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) को बीड़ी पत्ता से लेवी मिलती है. एक अनुमान के मुताबिक पलामू में बीड़ी पत्ता की एक सीजन में माओवादी करीब 5 करोड़ रुपए, टीपीसी 3 करोड़ के करीब लेवी वसूलते थे. जेजेएमपी जैसे नक्सली संगठन भी इस कारोबार से लाखों रुपए की आमदनी करता था, जो कोरोना काल में पूरी तरह से ठप हो चुका है.

Last Updated : Aug 26, 2020, 12:21 PM IST
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