पलामू: जिले से सीआरपीएफ के हटने के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. सीआरपीएफ कैंप हटने के बाद माओवादियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. लंबे समय बाद पोस्टरबाजी भी शुरू हो गई है. पलामू से सीआरपीएफ के हटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कई सवाल उठाए हैं. भाजपा ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया है.
"सीआरपीएफ को हटाना सही फैसला नहीं": भाजपा जिलाध्यक्ष विजयानंद पाठक कहते हैं कि अधिकारी लिख रहे हैं कि सीआरपीएफ की जरूरत नहीं है, क्या इससे पलामू खुशहाल रह पायेगा. पलामू में उग्रवाद फिर बढ़ रहा है. सीआरपीएफ को यहां से हटाना सही फैसला नहीं है. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के पूर्वांचल मोर्चा के प्रवक्ता देवेश तिवारी ने भी सीआरपीएफ को पत्र लिखकर बटालियन 134 को हटाने के संबंध में जानकारी मांगी थी.
पूरे मामले को लेकर सीआरपीएफ की ओर से देवेश तिवारी को पत्र लिखा गया था. इस पत्र में कहा गया था कि पलामू में सीआरपीएफ 134 बटालियन तैनात है. गृह मंत्रालय के आदेश पर राज्यों में बटालियन की तैनाती की जाती है. इसके बाद बटालियन को स्थानीय पुलिस के साथ तैनात किया जाता है.
बटालियन का मुख्यालय पलामू में, लेकिन कंपनियां सारंडा में तैनात: पलामू में मौजूद सीआरपीएफ 134 बटालियन के सभी कैंप हटा दिए गए हैं. उनके स्थान पर आईआरबी को तैनात किया गया है. सीआरपीएफ 134 बटालियन का मुख्यालय पलामू में है लेकिन इसकी सभी कंपनियां चाईबासा के सारंडा इलाके में तैनात की गई हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, बटालियन हेड क्वार्टर भी जल्द ही शिफ्ट किया जाएगा. सीआरपीएफ की एक पूरी बटालियन 2003-04 से पलामू में नक्सल विरोधी अभियान में तैनात थी.
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