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Palamu News: पीटीआर बेतला नेशनल पार्क की होगी घेराबंदी, पानी की तलाश में नहीं भटकेंगे हिरण, हर साल एक दर्जन से अधिक की होती है मौत

पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क से हिरण को बाहर जाने से रोकने के लिए पीटीआर प्रबंधन ने इसकी घेराबंदी की योजना तैयार की है. पीटीआर का वह इलाका जो गांव से जुड़ता है, उन जगहों पर फेंसिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है, इस पूरे इलाके की कुल दूरी 40 किलोमीटर की है.

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Published : Mar 24, 2023, 2:15 PM IST

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पलामू: गर्मी के दौरान हिरण के भटकाव को रोकना बड़ी चुनौती बन गई है. एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के हिरण भी गर्मी के दौरान भटक कर दूसरे इलाकों में चले जाते है और ग्रामीणों का शिकार बन जाते हैं. हिरण के भटकाव को रोकने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व ने एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत बेतला नेशनल पार्क के वैसे इलाके जहां ग्रामीण आबादी सटी हुई है, उस इलाके की घेराबंदी की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः बेगम और नवाब की अनोखी लव स्टोरी, जिनकी दहाड़ से पूरा इलाका रहता था गुलजार

पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि बेतला के हिरण भटक कर दूसरे इलाके में चले जाते हैं. इस भटकाव को रोकने के लिए घेराबंदी की जा रही है. अगले एक वर्ष में घेराबंदी का काम पूरा कर लिया जाएगा. करीब 30 से 40 किलोमीटर के इलाके की एक तरफ से घेराबंदी की जानी है. पीटीआर और उसके आस पास के इलाके में आठ गांव हैं. बेतला नेशनल पार्क की घेराबंदी के लिए वैसे फेंसिंग का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें हिरण नहीं फंसे और उन्हें कोई नुकसान भी न हो.

बेतला नेशनल पार्क में हैं 10 हजार हिरण: पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि चार अलग इलाकों में सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जा रहा है. चारों सॉफ्ट रिलीज सेंटर पर बेतला के ही हिरण भेजे जाने हैं. उन्होंने बताया कि यही कारण है कि हिरण को और सुरक्षित रखने के लिए पहल की जा रही है. पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में ही अधिकतर हिरण मौजूद हैं और बाघ के लिए यह प्रेबेस है. बेतला नेशनल पार्क के इलाके में करीब 10 हजार हिरण मौजूद हैं. लॉकडाउन के समय में हिरण की संख्या बढ़ी है. यह सॉफ्ट रिलीज सेंटर बूढ़ापहाड़, बारेसाढ़, सैदुप के इलाके में बनाया जाना है.

हर साल एक दर्जन से अधिक हिरण होती है मौत : पलामू, गढ़वा और लातेहार में प्रतिवर्ष एक दर्जन से अधिक हिरण की मौत भटक कर बाहर जाने से हो जाती है. ये हिरण जंगल से पानी की तलाश में बाहर निकलते हैं. बाहर निकलने पर कई बार ग्रामीण उनका शिकार कर लेते हैं. मंगलवार 22 मार्च को पलामू के लेस्लीगंज में जंगल से भटक कर आए एक हिरण की मौत हुई है.

पानी भी है एक वजह: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि वन विभाग के अधिकारी यह सोच चुके हैं कि वन्य जीवो की रक्षा की जिम्मेवारी सिर्फ रिजर्व एरिया के अधिकारियों की ही है. उन्होंने कहा कि कोई जीव पानी की तलाश में निकलता है और लोग उसका शिकार कर लेते हैं. पीटीआर के इलाके में मवेशी बड़ी समस्या है, यहां वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था होती है लेकिन मवेशी इस पानी को पी जाते हैं. इस विषय को लेकर भी काम करने की जरूरत है और किया भी जा रहा है.

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पलामू: गर्मी के दौरान हिरण के भटकाव को रोकना बड़ी चुनौती बन गई है. एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के हिरण भी गर्मी के दौरान भटक कर दूसरे इलाकों में चले जाते है और ग्रामीणों का शिकार बन जाते हैं. हिरण के भटकाव को रोकने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व ने एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत बेतला नेशनल पार्क के वैसे इलाके जहां ग्रामीण आबादी सटी हुई है, उस इलाके की घेराबंदी की जाएगी.

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पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि बेतला के हिरण भटक कर दूसरे इलाके में चले जाते हैं. इस भटकाव को रोकने के लिए घेराबंदी की जा रही है. अगले एक वर्ष में घेराबंदी का काम पूरा कर लिया जाएगा. करीब 30 से 40 किलोमीटर के इलाके की एक तरफ से घेराबंदी की जानी है. पीटीआर और उसके आस पास के इलाके में आठ गांव हैं. बेतला नेशनल पार्क की घेराबंदी के लिए वैसे फेंसिंग का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें हिरण नहीं फंसे और उन्हें कोई नुकसान भी न हो.

बेतला नेशनल पार्क में हैं 10 हजार हिरण: पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि चार अलग इलाकों में सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जा रहा है. चारों सॉफ्ट रिलीज सेंटर पर बेतला के ही हिरण भेजे जाने हैं. उन्होंने बताया कि यही कारण है कि हिरण को और सुरक्षित रखने के लिए पहल की जा रही है. पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में ही अधिकतर हिरण मौजूद हैं और बाघ के लिए यह प्रेबेस है. बेतला नेशनल पार्क के इलाके में करीब 10 हजार हिरण मौजूद हैं. लॉकडाउन के समय में हिरण की संख्या बढ़ी है. यह सॉफ्ट रिलीज सेंटर बूढ़ापहाड़, बारेसाढ़, सैदुप के इलाके में बनाया जाना है.

हर साल एक दर्जन से अधिक हिरण होती है मौत : पलामू, गढ़वा और लातेहार में प्रतिवर्ष एक दर्जन से अधिक हिरण की मौत भटक कर बाहर जाने से हो जाती है. ये हिरण जंगल से पानी की तलाश में बाहर निकलते हैं. बाहर निकलने पर कई बार ग्रामीण उनका शिकार कर लेते हैं. मंगलवार 22 मार्च को पलामू के लेस्लीगंज में जंगल से भटक कर आए एक हिरण की मौत हुई है.

पानी भी है एक वजह: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि वन विभाग के अधिकारी यह सोच चुके हैं कि वन्य जीवो की रक्षा की जिम्मेवारी सिर्फ रिजर्व एरिया के अधिकारियों की ही है. उन्होंने कहा कि कोई जीव पानी की तलाश में निकलता है और लोग उसका शिकार कर लेते हैं. पीटीआर के इलाके में मवेशी बड़ी समस्या है, यहां वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था होती है लेकिन मवेशी इस पानी को पी जाते हैं. इस विषय को लेकर भी काम करने की जरूरत है और किया भी जा रहा है.

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