पलामू: नक्सली के कमजोर होने के बाद टाइगर का 200 वर्ष पुराना कॉरिडोर पूरी तरह से एक्टिवेट हो गया है. नक्सलियों की मौजूदगी के कारण टाइगर के कॉरिडोर पर लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं हुई थी. नक्सलियों के कमजोर होने के बाद इस कॉरिडोर में एक बार फिर से बाघों की गतिविधि शुरू हो गई है. यह कॉरिडोर है पलामू टाइगर रिजर्व से बांधवगढ़ होते हुए सतपुड़ा और पलामू टाइगर रिजर्व से सारंडा होते हुए ओडिशा के सिमलीपाल और पश्चिमी बंगाल तक का. यह कॉरिडोर करीब 200 वर्ष पुराना है. कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा नक्सली हिंसा प्रभावित रहा है.
कॉरिडोर में फिर से बाघ हुए एक्टिवः झारखंड का इलाका खास कर बूढ़ापहाड़ में नक्सली कमजोर होने के बाद बाघों का यह कॉरिडोर एक्टिवेट हो गया है. पिछले एक वर्ष से इस इलाके में लगातार बाघों की गतिविधि को रिकॉर्ड किया जा रहा है. बूढापहाड़ पलामू टाइगर रिजर्व का हिस्सा है और झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बाघों के कॉरिडोर का एक बड़ा ठिकाना है. यह इलाका लंबे समय तक नक्सली गतिविधि के लिए चर्चित रहा है. नक्सली हिंसा और जंगल में नक्सलियों की मौजूदगी के कारण बाघों की गतिविधि का तीन दशकों से कोई रिकॉर्ड नहीं मिला था.
पीटीआर से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर के बीच मौजूद हैं 169 बाघ: पलामू टाइगर रिजर्व बाघों के सेंट्रल इंडिया ईस्टर्न घाट के अंतर्गत आता है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार सेंट्रल इंडिया ईस्टर्न घाट के इलाके में 1161 भाग मौजूद हैं. जिसमें से अकेले पीटीआर से मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ तक 169 से अधिक बाघ मौजूद हैं. हालांकि पीटीआर के इलाके में हाल के दिनों में दो बाघों की पुष्टि है. दोनों बाघ की गतिविधि नक्सल से मुक्त हुए इलाके में मिली है.
200 वर्ष से अधिक पुराना है बाघों का यह कॉरिडोरः इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पलामू टाइगर रिजव से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व तक का कॉरिडोर 200 वर्ष से भी पुराना है. इस इलाके में लगातार बाघों की गतिविधि को रिकॉर्ड किया जाता रहा है और बाघ एक-दूसरे के इलाके में आते-जाते रहते हैं. यह एक बाघों का एक्टिव कॉरिडोर रहा है. इस कॉरिडोर की शुरुआत सतपुड़ा से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय डुबरी टाइगर रिजर्व, गुरु घासी टाइगर रिजर्व से होते हुए पलामू टाइगर रिजर्व तक है. यह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और ओडिशा तक फैला हुआ है.