पलामूः चेरो वंश के महान राजा मेदिनीराय की याद में आदिवासी महाकुंभ मेला का आयोजन किया जाता है. यह महाकुंभ 11 और 12 फरवरी को जिले के दुबियाखाड़ में आयोजित की जाएगी. लगभग 32 साल पहले बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने इस मेले की शुरुआत की थी. हाल ही में इस मेला को राजकीय मेला का दर्जा दिया गया है.
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महाकुंभ मेला आयोजन समिति की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आमंत्रित किया गया है. संभावना है कि मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. यह मेला का आयोजन पलामू जिला परिषद और आयोजन समिति की ओर से किया जाता है. आदिवासी महाकुंभ मेला को लेकर तैयारी भी शुरू हो गई है. इस मेले के दौरान लाखों की परिसंपत्तियों का वितरण किया जाता है. इसके साथ ही सैकड़ों लोगो को सरकारी योजना का लाभ भी दिया जाता है.
आयोजन समिति की ओर से बताया गया कि जिस जगह पर आदिवासी महाकुंभ मेला का आयोजन होता है, वहां राजा मेदिनीराय की प्रतिमा स्थापित है. बता दें कि चेरो राजा के शासन काल की एक कहावत आज भी प्रचलित है. धनी धनी राजा मेदनीया घर घर बाजे मथनिया. यह कहावत चेरो वंश के महान राजा मेदिनीराय के कार्यकाल में शुरू हुई. राजा मेदिनीराय के कार्यकाल काफी समृद्ध रहा है. राजा मेदनीराय ने 1658 से 1674 तक पलामू के इलाके पर शासन किया था. राजा मेदिनीराय का साम्राज्य दक्षिणी गया हजारीबाग और सरगुजा तक फैला हुआ था. इनके कार्यकाल में किसी के घर में खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं होती थी.
यही वजह थी कि इनके कार्यकाल में कहावत बड़ी चर्चित हुई थी. 1660 में मुगल शासक दाउद खान ने पलामू किला पर आक्रमण किया था. इस आक्रमण के बाद राजा मेदिनीराय सरगुजा के इलाके में शरण लिया था. कुछ महीनों के बाद राजा मेदिनीराय ने पलामू किला पर हमला किया और अपने साम्राज्य को वापस हासिल किया. इसके बाद राजा मेदनी ने पूरे इलाके में कृषि और पशुपालन को बढ़ावा दिया, जिससे पूरा इलाका समृद्ध हुआ. चेरो राजवंश सबसे समृद्धशाली माना गया है. चेरो राजवंश ने मुगलों के साथ साथ अंग्रेजों खिलाफ बड़ी लड़ाइयां लड़ी है.