पलामू: जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाका मनातू में 12 दिसंबर 1995 में हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी भवनाथ झा की हत्या का मामला अचानक चर्चे में आ गया है. इस मामले में बिहार के टॉप आईपीएस अरविंद पांडेय के खिलाफ कार्रवाई हुई है. जिस वक्त भवनाथ झा की हत्या हुई थी, उस दौरान अरविंद पांडेय पलामू के एसपी थे. मनातू थाना में एफआईआर संख्या 47/95 में 12 से अधिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. मामले में अधिकतर आरोपी बरी हो गए हैं. उस दौरान बिहार के टॉप ब्यूरोक्रेट प्रत्यय अमृत पलामू के डीसीसी के प्रभार में थे. अरविंद पांडेय 26 जून 1995 से 27 नवंबर 1996 तक पलामू के एसपी रहे थे.
मनातू के इलाके में वनों की कटाई मामले में कार्रवाई से नक्सली नाराज थे. मनातू के इलाके में 1995 के दौरान बड़े पैमाने पर स्थानीय ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई की थी. पेड़ों की कटाई मामले में बीडीओ भवनाथ झा ने लगातार कार्रवाई की थी. कार्रवाई ने उस दौरान सक्रिय नक्सली संगठन में से एक माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) नाराज था. इसी दौरान MCC के एक कैडर के खिलाफ कार्रवाई हुई थी, जिससे और नारागजी बढ़ गई थी. इस नाराजगी की जानकारी स्थानीय ग्रमीणों ने बीडीओ भवनाथ झा को भी दिया था.
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आवास से बाहर निकाल कर नक्सलियों ने काटा था गला
12 दिसंबर 1995 की रात बीडीओ भवनाथ झा मनातू स्थित अपने सरकारी आवास पर थे. रात के आठ बजे के बाद नक्सलियों का एक दस्ता वहां पंहुचा और भवनाथ झा को आवास से बाहर लाकर गला काट दिया था. घटनास्थल से मनातू थाना करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर था, लेकिन तीन घंटे बाद पुलिस मौके पर पंहुची थी.
हत्या के बाद अटैची बना था चर्चा का केंद्र
बीडीओ भवनाथ झा की हत्या के बाद एक अटैची चर्चा का केंद्र बना था. बताया जाता कि बीडीओ के आवास पर घटना के दिन एक अटैची था. उस अटैची में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बीडीओ को उपलब्ध करवाए गए थे. घटना के बाद वह अटैची कहां गई किसी के पास कोई जानकारी मिली थी.