पलामू: सुखाड़ के बाद जल संरक्षण एक बड़ी चुनौती होती है. पलामू का इलाका प्रत्येक दो वर्षों में सुखाड़ की समस्या जूझता है और देश भर में सुर्खियों में रहता है. अब यहां प्रशासन सुखाड़ से निबटने के लिए बारिश के पानी का संचयन कर रही है. इसके लिए पलामू में 6400 कुएं बनाए जाएंगे. राज्य सरकार प्रत्येक कुएं पर 50 हजार रुपये खर्च करेगी. इन सभी कुओं को नवंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें: इस जिले में सूख गईं सभी नदियां, एक सभ्यता का हुआ अंत!
वर्षा जल संरक्षण के बारे में पलामू के उप विकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि कुएं का निर्माण स्थल ग्राम सभा के द्वारा चयन किया जाएगा. पलामू के सभी पंचायतों में 24-24 कुएं बनाने का लक्ष्य रखा गया है. कुएं का निर्माण कृषि कार्य के लिए किया जाना है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत भी जल संरक्षण और संचयन के लिए योजना चलाई जा रही है. पलामू के इलाके में कृषि कार्य के लिए पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है. इलाके की 70 प्रतिशत से भी अधिक जमीन सिंचाई के लिए प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर है.
पलामू का इलाका प्रत्येक दो वर्षों में सुखाड़ और अकाल से जूझता है. सुखाड़ से निबटने के लिए पलामू में कई योजनाओं की शुरूआत की गई है, इसी कड़ी में 6400 कुओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. अगले एक महीने में इन सभी का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही इनसे 2023 के अंतिम महीनों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाएगा. अगले एक महीने में सभी पंचायतों में ग्राम सभा को इस टास्क को पूरा करने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही उन्हें लाभुकों का चयन कर सूची उपलब्ध करवाने का भी निर्देश दिया गया है. इन कुओं के बन जाने से 10 एकड़ से भी अधिक जमीन पर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा, जबकि हजारों परिवारों के पेयजल संकट दूर होगी.