पाकुड़: पढ़ाई और घर के कामकाज निपटाने के साथ-साथ युवतियां अब प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करने में जुट गईं हैं. भारत सरकार की तेजस्विनी योजना इन युवतियों को अनौपचारिक शिक्षा के साथ-साथ उनके कौशल को निखारने और स्वावलंबी बनाने का बेहतर रास्ता दिखा रही है.
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कॉस्ट्यूम ज्वेलरी बनाने का हुनर
तेजस्विनी योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 14 से 24 साल की लड़कियों को कास्ट्यूम ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, साथ ही उन्हें बैंकों से जोड़कर आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जा रही है. यहां की किशोरियां और युवतियां चूड़ी, कान का झुमका, पायल, माला सहित कई तरह के कास्ट्यूम ज्वेलरी बनाने का हुनर सीख रहीं हैं और आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. प्रशिक्षण ले रही किशोरियों और युवतियों को वित्तीय मदद के साथ-साथ बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि इनकी ओर से बनाए गए कृत्रिम आभूषणों की बिक्री आसानी से हो और उनका जीविकोपार्जन हो.
हर महीने 7 से 8 हजार की होती है कमाई
सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की युवतियां जो अपने घरों में रहकर घरेलू काम काज किया करती थीं, वह आज घर की चौखट से बाहर निकलकर हुनरमंद हो रहीं हैं. कॉस्टयूम ज्वेलरी का कारोबार इन किशोरियों और युवतियों को न केवल उनकी सामाजिक स्थिति में बदलाव लाने, बल्कि इन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मददगार साबित हो रही है. तेजस्विनी योजना के तहत कॉस्ट्यूम ज्वेलरी का प्रशिक्षण लेने के बाद किशोरी और युवतियां अपने घरों में ही चूड़ी, कान का झुमका, माला, पायल सहित अन्य सामान बनाकर हर महीने 7 से 8 हजार रुपये की कमाई कर रहीं हैं. इससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल रहा है.