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ETV Bharat Ground Report: व्यवहार न्यायालय पाकुड़ में शौचालय की स्थिति बदतर, महिलाएं परेशान

पाकुड़ व्यवहार न्यायालय में शौचालय की स्थिति काफी बदतर है. जिससे यहां काम करने वाली और यहां आने वाली महिलाएं बेहद परेशान हैं. इसके अलावा पाकुड़ में न्यायालय परिसर में गंदगी भी इस बात की तस्दीक करती है कि झारखंड को लेकर चीफ जस्टिस ने जो कुछ कहा वो शायद गलत नहीं है.

Women upset due to poor condition of toilets in Pakur Civil Court premises
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Published : May 25, 2023, 8:00 PM IST

Updated : May 25, 2023, 10:31 PM IST

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पाकुड़: जिला कोर्ट परिसर में सुविधाओं का अभाव है. व्यवहार न्यायालय पाकुड़ में शौचालय की साफ सफाई नहीं रहने के कारण महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी परेशान हैं. यहां कई शौचालय बना हुआ है लेकिन साफ सफाई नहीं रहने के कारण यहां आने वाले काफी परेशान रहते हैं.

इसे भी पढ़ें- ETV Bharat Ground Report: जामताड़ा सिविल कोर्ट का हाल, ना पेयजल की सुविधा और ना शौचालय की व्यवस्था

ईटीवी भारत की टीम ने पाकुड़ सिविल कोर्ट का जायजा लिया. खासकर यहां बने शौचालय और पेयजल की व्यवस्था को लेकर जो तस्वीर सामने आई वो काफी बदतर है. क्योंकि न्यायालय परिसर में शौचालय तो है लेकिन सफाई के अभाव में वो इस्तेमाल के लायक नहीं है. व्यवहार न्यायालय की महिला अधिवक्ता बार एसोसिएशन में बने शौचालय का उपयोग कर लेती हैं लेकिन आम महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

जिला व्यवहार न्यायालय परिसर में शौचालय है, जिसका काम अधूरा रहने के कारण उसमें ताला लटका हुआ है. वहीं विटनेस शेड में बनाये गए शौचालय की स्थिति काफी खराब है. यहां साफ सफाई नहीं रहने के कारण महिला हो या पुरुष कोई भी इस शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं. इतना ही नहीं एक और शौचालय इसी कैंपस में है लेकिन उसका स्थिति भी ठीक नहीं है. अगर कहा जाए कि कोर्ट परिसर में सुविधाओं का अभाव है तो गलत नहीं होगा.

कोर्ट परिसर में पीने के पानी के लिए जगह जगह वाटर फिल्टर लगे हुए हैं, सभी में पानी भी आता है लेकिन लोग इससे पानी पीने से परहेज करते हैं. लोगों का कहना है कि जिस टंकी से पानी आता है, उसकी साफ सफाई वर्षों से नही हुई है, इसलिए फिल्टर होने के बाद भी ये पानी पीने लायक नहीं है. व्यवहार न्यायालय परिसर में बोरिंग कराया गया था लेकिन ड्राई जोन रहने के कारण बोरिंग फेल है. पूरा कोर्ट परिसर पेयजल के लिए नगर परिषद के टैंकर पर आश्रित है, अगर टैंकर देर से पहुंची तो लोग इसका भी लाभ नहीं ले पाते हैं.

क्या कहते हैं अधिवक्ताः अधिवक्ता स्लेहा नाज बताती हैं कि पानी की दिक्कत न्यायालय परिसर में नहीं है और शौचालय भी है. लेकिन साफ सफाई के अभाव में ये इस्तेमाल के लायक नहीं है. इससे मुवक्किलों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं महिला अधिवक्ता बार एसोसिएशन में बनाए गये शौचालय का उपयोग कर लेती हैं. अधिवक्ता मर्सीजस लकड़ा ने बताया कि न्यायालय परिसर में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनना चाहिए ताकि यहां आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.

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पाकुड़: जिला कोर्ट परिसर में सुविधाओं का अभाव है. व्यवहार न्यायालय पाकुड़ में शौचालय की साफ सफाई नहीं रहने के कारण महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी परेशान हैं. यहां कई शौचालय बना हुआ है लेकिन साफ सफाई नहीं रहने के कारण यहां आने वाले काफी परेशान रहते हैं.

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ईटीवी भारत की टीम ने पाकुड़ सिविल कोर्ट का जायजा लिया. खासकर यहां बने शौचालय और पेयजल की व्यवस्था को लेकर जो तस्वीर सामने आई वो काफी बदतर है. क्योंकि न्यायालय परिसर में शौचालय तो है लेकिन सफाई के अभाव में वो इस्तेमाल के लायक नहीं है. व्यवहार न्यायालय की महिला अधिवक्ता बार एसोसिएशन में बने शौचालय का उपयोग कर लेती हैं लेकिन आम महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

जिला व्यवहार न्यायालय परिसर में शौचालय है, जिसका काम अधूरा रहने के कारण उसमें ताला लटका हुआ है. वहीं विटनेस शेड में बनाये गए शौचालय की स्थिति काफी खराब है. यहां साफ सफाई नहीं रहने के कारण महिला हो या पुरुष कोई भी इस शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं. इतना ही नहीं एक और शौचालय इसी कैंपस में है लेकिन उसका स्थिति भी ठीक नहीं है. अगर कहा जाए कि कोर्ट परिसर में सुविधाओं का अभाव है तो गलत नहीं होगा.

कोर्ट परिसर में पीने के पानी के लिए जगह जगह वाटर फिल्टर लगे हुए हैं, सभी में पानी भी आता है लेकिन लोग इससे पानी पीने से परहेज करते हैं. लोगों का कहना है कि जिस टंकी से पानी आता है, उसकी साफ सफाई वर्षों से नही हुई है, इसलिए फिल्टर होने के बाद भी ये पानी पीने लायक नहीं है. व्यवहार न्यायालय परिसर में बोरिंग कराया गया था लेकिन ड्राई जोन रहने के कारण बोरिंग फेल है. पूरा कोर्ट परिसर पेयजल के लिए नगर परिषद के टैंकर पर आश्रित है, अगर टैंकर देर से पहुंची तो लोग इसका भी लाभ नहीं ले पाते हैं.

क्या कहते हैं अधिवक्ताः अधिवक्ता स्लेहा नाज बताती हैं कि पानी की दिक्कत न्यायालय परिसर में नहीं है और शौचालय भी है. लेकिन साफ सफाई के अभाव में ये इस्तेमाल के लायक नहीं है. इससे मुवक्किलों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं महिला अधिवक्ता बार एसोसिएशन में बनाए गये शौचालय का उपयोग कर लेती हैं. अधिवक्ता मर्सीजस लकड़ा ने बताया कि न्यायालय परिसर में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनना चाहिए ताकि यहां आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.

Last Updated : May 25, 2023, 10:31 PM IST
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