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'झारखंड के लोगों को पीने का पानी पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें'

पाकुड़ के सोनारपाड़ा गांव में पानी का जलस्तर काफी नीचे चले जाने से लोगों में पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है. लोग घरेलू कामों के लिए तालाब के गंदे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

पाकुड़ में पानी के लिए लोग परेशान
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Published : Jul 6, 2019, 5:09 PM IST

पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.

झारखंड और पश्चिम बंगाल 2 राज्यो के लोगों के बीच सियासत वाला सोनारपाड़ा गांव देश का पहला गांव होगा जहां पीने के पानी को लेकर लोग सियासत करते हैं. महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल से सटा 2 हजार की आबादी वाला सोनारपाड़ा गांव में मजदूर तबके के लोग रहते हैं. गांव में सालों पहले 10 हैंडपंप लगाए गए. हालांकि इसमें सिर्फ 1 हैंडपंप फिलहाल पानी दे रहा बाकि सभी खराब हैं.

गांव के लोग सीमा ही सटे पश्चिम बंगाल के सोनारपाड़ा में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हें पानी नहीं लेने दिया जा रहा. झारखंड के लोगों को वहां से दुत्कारा जा रहा है. उनसे कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल झारखंड के लोगों को पानी क्यों दे. इस जिल्लत के बाद मजबूर ग्रामीणों घरेलू कामों के लिए तो गांव के गंदे तालाब के पानी के इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पीने के पानी को लेकर परेशान हैं. इस बाबत कई बार ग्रामीणों ने हुक्मरानों से इल्तिजा की कि उनके गांव के हैंडपंपों को ठीक कराया जाए.

सोनारपाड़ा गांव में पानी समस्या को लेकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण समस्या हो रही है. उन्होंने बताया कि जहां से भी ग्रामीणों द्वारा सूचनाएं दी जा रही हैं, वहां के हैंडपंप ठीक कराए जा रहे हैं

पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.

झारखंड और पश्चिम बंगाल 2 राज्यो के लोगों के बीच सियासत वाला सोनारपाड़ा गांव देश का पहला गांव होगा जहां पीने के पानी को लेकर लोग सियासत करते हैं. महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल से सटा 2 हजार की आबादी वाला सोनारपाड़ा गांव में मजदूर तबके के लोग रहते हैं. गांव में सालों पहले 10 हैंडपंप लगाए गए. हालांकि इसमें सिर्फ 1 हैंडपंप फिलहाल पानी दे रहा बाकि सभी खराब हैं.

गांव के लोग सीमा ही सटे पश्चिम बंगाल के सोनारपाड़ा में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हें पानी नहीं लेने दिया जा रहा. झारखंड के लोगों को वहां से दुत्कारा जा रहा है. उनसे कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल झारखंड के लोगों को पानी क्यों दे. इस जिल्लत के बाद मजबूर ग्रामीणों घरेलू कामों के लिए तो गांव के गंदे तालाब के पानी के इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पीने के पानी को लेकर परेशान हैं. इस बाबत कई बार ग्रामीणों ने हुक्मरानों से इल्तिजा की कि उनके गांव के हैंडपंपों को ठीक कराया जाए.

सोनारपाड़ा गांव में पानी समस्या को लेकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण समस्या हो रही है. उन्होंने बताया कि जहां से भी ग्रामीणों द्वारा सूचनाएं दी जा रही हैं, वहां के हैंडपंप ठीक कराए जा रहे हैं

Intro:बाइट : सोनामन बीबी, ग्रामीण (महिला)
बाइट : नईमुद्दीन अहमद, स्थानीय (गुलाबी शर्ट में)
बाइट : अशोक कुमार, कनीय अभियंता, PHED (सफेद शर्ट में)
पाकुड़ : नौकरी पेशा के लिए आपने एक राज्य से दुसरे राज्य के शासन चलाने वाले रहनुमाओ एवं लोगो के बीच विवाद खड़ा होते देखा और सुना होगा परंतु झारखंड के पाकुड़ जिले में एक ऐसा गांव है जहां के लोगो को खासकर गरमी के मौसम में पीने का पानी के लिए निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के ग्रामीणो के साथ हुज्जत करना पड़ रहा है।


Body:यह समस्या इसलिए खड़ी हुई कि पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड अन्तर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है और जब गांव के लोग महज 20 कदम की दुरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते है तो उन्हे डांट डपट कर न केवल भगा दिया जा रहा बल्कि उन्हे यह भी कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगो को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों लेने दें।
झारखंड एवं पश्चिम बंगाल दो राज्यो के गांव के लोगो के बीच सियासत वाला सोनारपाड़ा गांव देश का पहला गांव होगा जहां पीने के पानी के लिए गांव के लोग सियासत करते है। जिले के महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दुरी पर पश्चिम बंगाल से सटा दो हजार की आबादी वाला सोनारपाड़ा गांव है। इस गांव में मजदूर तबके के लोग रहते है। गांव में वर्षो पूर्व 10 चापाकल गाड़े गये जिसमें से 1 चापानल फिलवक्त पानी दे रहा। शेष चापानल खराब है। गांव के लोग गांव से ही सटे पश्चिम बंगाल के सोनारपाड़ा में पीने का पानी लेने जा रहा पर उन्हे पानी नही लेने दिया जा रहा। गांव के ग्रामीणो को घरेलु कामो के लिए गांव स्थित तालाब का सहारा लेना पड़ रहा है। बर्तन एवं कपड़े धोने के लिए ग्रामीण गांव के गंदे तालाब के पानी का इस्तेमाल कर रहे। ग्रामीणो में सबसे ज्यादा गुस्सा पंचायत के मुखिया, स्थानीय सांसद विधायक एवं पेयजल स्वच्छता विभाग के अधिकारियो के प्रति है।


Conclusion:सोनारपाड़ा गांव में पेयजल की व्याप्त समस्या को लेकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण उक्त समस्या उत्पन्न हुआ है। उन्होने बताया कि जहां जहां से सूचना ग्रामीणो द्वारा दी जा रही है वहां का चापानल दुरूस्त कराने का काम किया जा रहा है। 
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