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पीएम मोदी के सपने को आदिवासी महिलाएं कर रही साकार, पत्ता प्लेट बनाकर हो रहीं आत्मनिर्भर

पाकुड़ में दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले आदिवासी महिलाएं (Tribal Women) पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Self Reliant India) के सपने को साकार कर रही हैं. ये महिलाएं एक समूह बनाकर पत्ता प्लेट बना रही हैं और बाजारों बेचकर मुनाफा कमा रही हैं. इन महिलाओं को जेएसएलपीएस के जरीये मदद भी दी जा रही है.

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महिलाएं बना रहीं पत्तल
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Published : Jul 9, 2021, 4:07 PM IST

पाकुड़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Self Reliant India) के सपने को दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले आदिवासी पहाड़िया साकार करने में जुटे हुए हैं. ये लोग पत्ता प्लेट का कारोबार से न केवल खुद आत्मनिर्भर हो रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार दे रहे हैं. आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाएं दिन-रात कड़ी मेहनत कर पीएम के मोदी के सपने को साकार करने में लगी हुई हैं.

इसे भी पढे़ं: पाकुड़ में पुल टूटने पर ठेकेदारों ने क्यों बोला झूठ, अब मंत्रीजी क्या बोल रहे हैं, जानिए पूरी खबर

जिले के अमड़ापाड़ा और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सुदुरवर्ती ग्रामीण इलाकों में रहने वाले खासकर आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाएं पहले वनोत्पादों का दोहन कर अपने परिवार का भरण पोषण करती थीं, लेकिन कोरोना के दस्तक देने के बाद से पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समाज की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के ठान ली. इन महिलाओं ने पत्ता प्लेट का कारोबार शुरू कर दिया. ये महिलाएं जंगलों से ही साल का पत्ता इकट्ठा करती हैं और प्लेट बनाकर साप्ताहिक हाटों के अलावे होटलों में बेचती हैं, जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है. पत्ता प्लेट कारोबार से सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई हैं.

देखें पूरी खबर

महिलाएं पत्ता बनाकर बच्चों की कर रहीं परवरिश

कोरोना काल से पहले ये महिलाएं वनोत्पादों का दोहन कर किसी तरह परिवार चलाती थीं, लेकिन अब वो पत्ता प्लेट बेचकर महीने में हजारों रुपये कमा रही हैं, जिससे न केवल उनके जीवनस्तर में बदलाव आया है, बल्कि उनके बच्चों की परवरिश भी पहले से बेहतर तरीके से हो रही हैं.

जेएसएलपीएस के जरिये महिलाओं को दिया गया पत्ता बनाने का प्रशिक्षण

संथाल परगना प्रमंडल के पाकुड़ जिले के दो मात्र प्रखंड लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा के पहाड़ों पर साल के पेड़ वृहद पैमाने पर है. वर्षों पहले पश्चिम बंगाल और झारखंड के दूसरे जिलों के कारोबारी औनेपौने दामों में साल का पत्ता खरीदकर लाखों रुपये सलाना कमाते थे. ग्रामीण विकास विभाग के ओर से जेएसएलपीएस के जरीये गांव की महिलाओं का समुह बनाकर उन्हें पत्ता प्लेट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण लेने के बाद महिलाएं खुद पत्ता प्लेट बनाकर बाजारों में बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

इसे भी पढे़ं: दिन खाली-खाली बर्तन है, जिंदगी जैसे अंधा कुआं! मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदारों का दर्द

महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कलस्टर चिन्हित

वहीं जेएसएलपीएस के जिला समन्यवयक प्रवीण मिश्रा ने बताया, कि ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कलस्टर चिन्हित किए गए हैं. उन्होंने बताया, कि कुछ महिला समुहों को पत्ता प्लेट बनाने की मशीन दी गई है और इस कारोबार को बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ आर्थिक रूप से मदद दी जा रही है.

पाकुड़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Self Reliant India) के सपने को दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले आदिवासी पहाड़िया साकार करने में जुटे हुए हैं. ये लोग पत्ता प्लेट का कारोबार से न केवल खुद आत्मनिर्भर हो रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार दे रहे हैं. आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाएं दिन-रात कड़ी मेहनत कर पीएम के मोदी के सपने को साकार करने में लगी हुई हैं.

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जिले के अमड़ापाड़ा और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सुदुरवर्ती ग्रामीण इलाकों में रहने वाले खासकर आदिवासी एवं आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाएं पहले वनोत्पादों का दोहन कर अपने परिवार का भरण पोषण करती थीं, लेकिन कोरोना के दस्तक देने के बाद से पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समाज की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के ठान ली. इन महिलाओं ने पत्ता प्लेट का कारोबार शुरू कर दिया. ये महिलाएं जंगलों से ही साल का पत्ता इकट्ठा करती हैं और प्लेट बनाकर साप्ताहिक हाटों के अलावे होटलों में बेचती हैं, जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है. पत्ता प्लेट कारोबार से सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई हैं.

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महिलाएं पत्ता बनाकर बच्चों की कर रहीं परवरिश

कोरोना काल से पहले ये महिलाएं वनोत्पादों का दोहन कर किसी तरह परिवार चलाती थीं, लेकिन अब वो पत्ता प्लेट बेचकर महीने में हजारों रुपये कमा रही हैं, जिससे न केवल उनके जीवनस्तर में बदलाव आया है, बल्कि उनके बच्चों की परवरिश भी पहले से बेहतर तरीके से हो रही हैं.

जेएसएलपीएस के जरिये महिलाओं को दिया गया पत्ता बनाने का प्रशिक्षण

संथाल परगना प्रमंडल के पाकुड़ जिले के दो मात्र प्रखंड लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा के पहाड़ों पर साल के पेड़ वृहद पैमाने पर है. वर्षों पहले पश्चिम बंगाल और झारखंड के दूसरे जिलों के कारोबारी औनेपौने दामों में साल का पत्ता खरीदकर लाखों रुपये सलाना कमाते थे. ग्रामीण विकास विभाग के ओर से जेएसएलपीएस के जरीये गांव की महिलाओं का समुह बनाकर उन्हें पत्ता प्लेट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण लेने के बाद महिलाएं खुद पत्ता प्लेट बनाकर बाजारों में बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

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महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कलस्टर चिन्हित

वहीं जेएसएलपीएस के जिला समन्यवयक प्रवीण मिश्रा ने बताया, कि ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कलस्टर चिन्हित किए गए हैं. उन्होंने बताया, कि कुछ महिला समुहों को पत्ता प्लेट बनाने की मशीन दी गई है और इस कारोबार को बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ आर्थिक रूप से मदद दी जा रही है.

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