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पाकुड़ में PM आवास योजना का सच, आधे-अधूरे घरों में रहने को मजबूर हैं लाभुक - पाकुड़ की पीएम आवास योजना की खबरें

2022 तक सबको पक्का मकान देने का सरकार का वादा है. लेकिन पाकुड़ में जो हालात दिख रहे हैं, उसे देखकर तो शायद ही सरकार अपना वादा पूरा कर पाए. अधिकारियों और कर्मचारियों की लेटलतीफी की वजह से पीएम आवास के हजारों लाभुक परेशान हैं. घर का काम तो हुआ है, लेकिन अधूरा ही हुआ है.

PM आवास योजना से हजारों लाभुक दूर
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Published : Oct 6, 2020, 7:28 AM IST

पाकुड़: गरीबों को पक्का मकान मुहैया कराने के प्रधानमंत्री के सपने को जिले के कुछ कर्मी और अधिकारी चकनाचूर कर रहे हैं. बरसों बीतने के बाद भी हजारों प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को परेशान होना पड़ रहा है. इनके मकान बनाने का काम तो शुरू हुआ, लेकिन आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है. बुनियादी सुविधाओं की आस में कई लाभुक अधूरे आवास में तो कई पड़ोसी के घर में रहने को मजबूर हैं. अधिकारियों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि कई अधूरे प्रधानमंत्री आवास में भेड़, बकरी और गाय रह रहे हैं.

देखें स्पेशल खबर

राज्य में बदलाव का सपना

यह सब उस राज्य में हो रहा है, जिस राज्य की सरकार की नींव प्रदेश के लोगों को राज्य में बदलाव का सपना दिखाकर रखी गई है. अधिकारी और कर्मियों की लेटलतीफी और योजना को पूरा करने में बरती गयी लापरवाही ही एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. इसके चलते फेज 1 से अब तक जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल नहीं किया जा सका है. योजना से जुड़े कर्मी और पंचायत प्रतिनिधि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत राशि पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, तो लाभुक सीधे तौर पर कर्मी और अधिकारियों की मनमानी नीति को दोषी करार दे रहे हैं.

पीएम आवास की स्वीकृति

इस योजना के शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किए जाने को लेकर सरकारी अमले और पंचायत प्रतिनिधि अपनी-अपनी ढपली बजा रहे हैं. जबकि परेशान है कोई तो इस योजना के वैसे गरीब लोग जिनके मिट्टी के मकान और झोपड़ी हैं. इनका पक्का मकान बनना था. इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्रखंड और जिला समन्वयक की बहाली की गयी, लेकिन सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं हुई. नतीजा यह निकला कि शत प्रतिशत स्वीकृत आवास पूर्ण नहीं हो पाया है. जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, पहले फेज में वित्तीय साल 2016-17 से 2018-19 तक 32 हजार 856 पीएम आवास की स्वीकृति दी गयी है. जबकि अब तक सिर्फ 27 हजार 383 आवास ही पूरे हुए हैं.

ये भी पढ़ें-बाबा मंदिर को लेकर 8 अक्टूबर को जारी होगी नई गाइडलाइन, पुरोहितों ने सरकार से की ये अपील

10 हजार 636 आवास निर्माण की स्वीकृति

फेज 1 के 5 हजार 474 आवास आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं. इतना ही नहीं फेज 2 साल 2019-20 में 12 हजार आवास का लक्ष्य रखा गया और 5 हजार 972 का काम पूरा हुआ. 7 हजार 128 पीएम आवास अब तक पूरा नहीं हो पाया है. वित्तीय साल 2020-21 में कुल 20 हजार 364 आवास बनाने का लक्ष्य जिले में निर्धारित किया गया है और 10 हजार 636 आवास निर्माण की स्वीकृति दी गयी, जिस पर काम चल रहा है. फेज 1 और 2 में स्वीकृत पीएम आवास योजनाएं पूर्ण नहीं होने को लेकर जब डीडीसी अनमोल कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई पीएम आवास योजना के लाभुक राशि मिलने के बाद भी राशि अन्य कार्यो में खर्च कर दिए और कई लाभुक की मौत हो गयी, जिस कारण कुछ योजनाएं लंबित है.

डीडीसी ने कहा कि जिले के सभी प्रखंडों के बीडीओ को मॉनिटरिंग करने और जल्द अधूरे आवासों को पूरा का कराने का निर्देश दिया गया है. डीडीसी ने कहा कि जिले में फंड की कमी नही है.

पाकुड़: गरीबों को पक्का मकान मुहैया कराने के प्रधानमंत्री के सपने को जिले के कुछ कर्मी और अधिकारी चकनाचूर कर रहे हैं. बरसों बीतने के बाद भी हजारों प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को परेशान होना पड़ रहा है. इनके मकान बनाने का काम तो शुरू हुआ, लेकिन आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है. बुनियादी सुविधाओं की आस में कई लाभुक अधूरे आवास में तो कई पड़ोसी के घर में रहने को मजबूर हैं. अधिकारियों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि कई अधूरे प्रधानमंत्री आवास में भेड़, बकरी और गाय रह रहे हैं.

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राज्य में बदलाव का सपना

यह सब उस राज्य में हो रहा है, जिस राज्य की सरकार की नींव प्रदेश के लोगों को राज्य में बदलाव का सपना दिखाकर रखी गई है. अधिकारी और कर्मियों की लेटलतीफी और योजना को पूरा करने में बरती गयी लापरवाही ही एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. इसके चलते फेज 1 से अब तक जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल नहीं किया जा सका है. योजना से जुड़े कर्मी और पंचायत प्रतिनिधि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत राशि पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, तो लाभुक सीधे तौर पर कर्मी और अधिकारियों की मनमानी नीति को दोषी करार दे रहे हैं.

पीएम आवास की स्वीकृति

इस योजना के शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किए जाने को लेकर सरकारी अमले और पंचायत प्रतिनिधि अपनी-अपनी ढपली बजा रहे हैं. जबकि परेशान है कोई तो इस योजना के वैसे गरीब लोग जिनके मिट्टी के मकान और झोपड़ी हैं. इनका पक्का मकान बनना था. इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्रखंड और जिला समन्वयक की बहाली की गयी, लेकिन सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं हुई. नतीजा यह निकला कि शत प्रतिशत स्वीकृत आवास पूर्ण नहीं हो पाया है. जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, पहले फेज में वित्तीय साल 2016-17 से 2018-19 तक 32 हजार 856 पीएम आवास की स्वीकृति दी गयी है. जबकि अब तक सिर्फ 27 हजार 383 आवास ही पूरे हुए हैं.

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10 हजार 636 आवास निर्माण की स्वीकृति

फेज 1 के 5 हजार 474 आवास आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं. इतना ही नहीं फेज 2 साल 2019-20 में 12 हजार आवास का लक्ष्य रखा गया और 5 हजार 972 का काम पूरा हुआ. 7 हजार 128 पीएम आवास अब तक पूरा नहीं हो पाया है. वित्तीय साल 2020-21 में कुल 20 हजार 364 आवास बनाने का लक्ष्य जिले में निर्धारित किया गया है और 10 हजार 636 आवास निर्माण की स्वीकृति दी गयी, जिस पर काम चल रहा है. फेज 1 और 2 में स्वीकृत पीएम आवास योजनाएं पूर्ण नहीं होने को लेकर जब डीडीसी अनमोल कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई पीएम आवास योजना के लाभुक राशि मिलने के बाद भी राशि अन्य कार्यो में खर्च कर दिए और कई लाभुक की मौत हो गयी, जिस कारण कुछ योजनाएं लंबित है.

डीडीसी ने कहा कि जिले के सभी प्रखंडों के बीडीओ को मॉनिटरिंग करने और जल्द अधूरे आवासों को पूरा का कराने का निर्देश दिया गया है. डीडीसी ने कहा कि जिले में फंड की कमी नही है.

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