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झारखंड के इस गांव की बदहाल तस्वीर की कहानी, सुनिए ग्रामीणों की जुबानी - Pakur News

पाकुड़ में खस्ताहाल सड़क को लेकर लोगों में बेहद नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि हमें मरीज को स्वास्थ्य केंद्र ले जाने कि लिए सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है.

पाकुड़ में खस्ताहाल सड़क से लोग नाराज
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Published : Jul 8, 2019, 11:20 AM IST

पाकुड़: शासन और प्रशासन गांव को प्रखंड और मुख्यालय से जोड़ने के लिए दुरूस्त आवागमन का भले ही दावा करे, लेकिन झारखंड के पाकुड़ जिले में एक ऐसी सड़क भी है जो अचानक गांव के ग्रामीणों के बिमार पड़ने पर इलाज के लिए उन्हें आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी सुबह होने का इंतजार कराती है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए ग्रामीणों को घने जंगलों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है. ग्रामीणों को हमेशा जंगली जानवरों के शिकार होने का डर सताता रहता है. इस दौरान अगर रात में कोई बीमार पड़ जाए तो परिजनों को सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है.

हालांकि मामले को लेकर लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बीडीओ सत्यवीर रजक का कहना है कि ग्रामीणों ने लिखित जानकारी दी है. इसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग को सूचना दी गई है. सड़क निर्माण को लेकर प्राक्कलन भी बनाया गया है. इस वित्तीय वर्ष में काम भी शुरू कराया जाएगा.

पाकुड़: शासन और प्रशासन गांव को प्रखंड और मुख्यालय से जोड़ने के लिए दुरूस्त आवागमन का भले ही दावा करे, लेकिन झारखंड के पाकुड़ जिले में एक ऐसी सड़क भी है जो अचानक गांव के ग्रामीणों के बिमार पड़ने पर इलाज के लिए उन्हें आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी सुबह होने का इंतजार कराती है.

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दरअसल, स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए ग्रामीणों को घने जंगलों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है. ग्रामीणों को हमेशा जंगली जानवरों के शिकार होने का डर सताता रहता है. इस दौरान अगर रात में कोई बीमार पड़ जाए तो परिजनों को सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है.

हालांकि मामले को लेकर लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बीडीओ सत्यवीर रजक का कहना है कि ग्रामीणों ने लिखित जानकारी दी है. इसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग को सूचना दी गई है. सड़क निर्माण को लेकर प्राक्कलन भी बनाया गया है. इस वित्तीय वर्ष में काम भी शुरू कराया जाएगा.

Intro:बाइट : मेरी मालतो, ग्रामीण
बाइट : सत्यवीर रजक, बीडीओ, लिट्टीपाड़ा

पाकुड़ : शासन और प्रशासन गांव को प्रखंड और मुख्यालय से जोड़ने के लिए दुरूस्त आवागमन का भले ही दावा करे पर झारखंड राज्य के पाकुड़ जिले में एक ऐसा सड़क भी है जो अचानक गांव के ग्रामीणो के बिमार पड़ने पर इलाज के लिए उन्हे आजादी के वर्षो बितने के बाद भी सुबह होने का इंतजार कराता है। वह है लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सुरजबेड़ा भाया तीसोकुंडी अमरभीटा की सड़क।



Body:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट हो या मुख्यमंत्री राज्य संपोषित योजना ने अबतक राज्य के सबसे पिछड़े प्रखंड लिट्टीपाड़ा के सुरजबेड़ा भाया तीसोकुंडी अमरभीटा तक ग्रामीणो को आवागमन की सुविधा मुहैया कराने के लिए एक अदद अच्छी सड़क मुहैया नही करा पाया। आदिम जनजाति बहुल तीसोकुंडी, अमरभीटा, रक्सो, बड़ा एवं छोटा जारा, बीचपहाड़, छुरीधारी, डुमरभीटा, चतरो आदि गांवो के ग्रामीणो को आज भी गांव से प्रखंड मुख्यालय आने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है क्योंकि शासन प्रशासन करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद भी अच्छी सड़क वो भी चलने लायक नही बनवा पाया। गांव के सैकड़ो ग्रामीण प्रतिदिन रोजमर्रा के सामानो की खरीददारी के लिए साप्ताहिक हाट एवं प्रखंड मुख्यालय एवं इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ केंद्र जान जोखिम में डालकर आना जाना कर रहे है। सड़क की स्थिति यह है कि वह सरकारी अमलो और जुमलो के भ्रष्टाचार और लुटखसोट की नीति को छुपाने और दबाने के लिए झाड़ी व जंगल का सहारा ले रहा है। जिले का ही नही बल्कि झारखंड शायद सुरजबेड़ा भाया तीसोकुंडी अमरभीटा सड़क ही है जो रात में अचानक बिमार पड़ जाने पर मरीजो को सुबह का इंतजार कराता है। ग्रामीण बताते है कि यदि किसी की तबियत अचानक बिगड़ गयी तो उन्हे सुबह होने का इंतजार करना पड़ता है अस्पताल ले जाने के लिए इसलिए कि झाड़ी व जंगल के बीच रात में जाने से उन्हे जंगली जानवरो का शिकार होने का भय सताता है।



Conclusion:खास्ताहाल सड़क की वजह से ग्रामीणो को हो रही परेशानी को लेकर लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बीडीओ सत्यवीर रजक ने बताया कि ग्रामीणो ने लिखित जानकारी दी है और ग्रामीण कार्य विभाग को सुचना दी गयी है। सड़क निर्माण को लेकर प्राक्कलन भी बनाया गया है और इस वित्तीय वर्ष में काम भी शुरू होगा।
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