पाकुड़: कृषि के क्षेत्र में जिले में एक अलग पहचान बनाने वाला अनुसूचित जनजाति सुरक्षित महेशपुर विधानसभा सीट है. पश्चिम बंगाल की सीमा से काफी नजदीक रहने की वजह से इस विधानसभा क्षेत्र के महेशपुर और पाकुड़िया प्रखंड के मतदाता जिले की 2 विधानसभा सीट पाकुड़ और लिट्टीपाड़ा की अपेक्षा ज्यादा जागरुक है. इस क्षेत्र में आदिवासियों के बाद अल्पसंख्यक और हिंदू मतदाताओ की संख्या बराबर है.
मतदाताओं की जागरूकता और क्षेत्र के विकास को मतदान के वक्त अहमियत देने के कारण ही इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं जीत पाया है. जाति धर्म से ऊपर उठकर इस क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा मतदान करने और व्यक्तित्व और विकास के हिमायती रहने वाले नेताओं को विधायक चुनने का काम अबतक इस क्षेत्र में हुआ है.
जिले का यही एक विधानसभा क्षेत्र है जहां जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा और झारखंड मुक्ति मोर्चा सभी को प्रतिनिधित्व का मौका मिला है. ज्यादातर इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ही जीत दर्ज की है. महेशपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बांसलोई नदी, तिरपतिया नदी, पगला नदी आदि कई नदियां रोजगार मुहैया कराने का भी काम करती हैं. हालांकि हाल के दिनों में इन नदियों का जलस्तर नीचे चले जाने और बालू के खत्म हो जाने की वजह से रोजगार के लिए हजारों की संख्या में मजदूर पलायन को अपनी नियति मानते हैं.
मनरेगा हो या केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाएं इस क्षेत्र के मजदूरों को अपने से नहीं जोड़ पा रही हैं. नतीजतन इस क्षेत्र में पलायन सबसे बड़ी समस्या है. राजनीतिक के क्षेत्र में जागरूक पर शैक्षणिक क्षेत्र में पिछड़ा यह विधानसभा क्षेत्र कई समस्याओं के लिए भी जाना जाता है. मसलन शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ, सिचाई आदि. इस विधानसभा क्षेत्र के महेशपुर और पाकुड़िया प्रखंड में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्रामसेतु योजना से कई महत्वपूर्ण सड़कें बनी हैं, जिसके चलते आवागमन की व्यवस्था दुरूस्त हुई है.
जिले का महेशपुर विधानसभा क्षेत्र ही है जो सब्जी उत्पादन में न केवल पाकुड़ बल्कि बिहार के गया, पटना, भागलपुर, मुंगेर जिले को भी सब्जी की आपूर्ति किया करता है. सिंचाई सुविधा बहाल हो जाने से इस क्षेत्र के किसान खासकर सब्जी उत्पादन में पूरे संथाल परगना प्रमंडल को आत्मनिर्भर बनाने की कुब्बत रखता है. इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्टीफन मरांडी ने 51 हजार 866 मत लाकर जीत दर्ज की थी. इनके निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के देवीधन टुडू ने 45 हजार 710 मत हासिल किए थे.
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विधायक का कहना है कि चुनाव के वक्त हमने कोई वादा नहीं किया था. स्टीफन मरांडी ने कहा कि उन्होंने शिक्षा के लिए डिग्री काॉलेज की अनुमति दिलाई, आवागमन के लिए सड़कों का जाल बिछाया, नदियों पर पुल बनाया. हालांकि स्टीफन मरांडी की सबसे बड़ी चाहत सिंचाई सुविधा को दुरूस्त करने की थी, जो वो नहीं कर पाए जिसका उन्हें मलाल है. विधायक स्टीफन मरांडी विकास के दावे कर रहे हैं. विपक्ष इसे मानने को ही तैयार नहीं है. विपक्षियों का कहना है कि एक जनप्रतिनिधि की हैसियत से जो काम क्षेत्र में होने चाहिए, स्टीफन मरांडी वो नहीं कर पाए. विपक्षी नेताओं का तो यह भी आरोप है कि स्टीफन मरांडी पहले दुमका के विधायक थे और 2014 में झामुमो ने उन्हे महेशपुर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया और वो जीते भी. स्टीफन मरांडी का दिल और दिमाग महेशपुर से ज्यादा दुमका में बसता है.