पाकुड़ : जिले के पहाड़ी और दुर्गम ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया के हजारों सदस्यों ने समाहरणालय का घेराव किया. कड़ाके की ठंड और शीतलहर की परवाह किए बिना वे समाहरणालय पहुंचे. यहां प्रदर्शन किया और डाकिया योजना में मनमानी किए जाने का आरोप लगाया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में उन्हें योजना का लाभ मिल रहा था, लेकिन अब बंद कर दी गई.चेतावनी दी कि समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो अगली बार मवेशियों के साथ प्रदर्शन करेंगे.
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आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार ने डीसी से मिलने के लिए समाहरणालय पर घंटों डेरा डाले रखा. पहाड़ों से उतर कर समाहरणालय पहुंचे आदिम जनजाति पहाड़िया के प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत 35-35 किलो चावल मुहैया कराने, पहाड़िया परिवारों को पेंशन का लाभ देने, जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के मामले में विसंगतियों को दूर करने और सभी पहाड़िया युवक-युवतियों को नौकरी का अवसर देने की मांग कर रहे थे.
पहाड़िया समाज के प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे सीमन मालतो ने कहा कि पहाड़िया ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के निदान को लेकर डीसी कार्यालय के निकट इंतजार किया. मौके पर मौजूद पहाड़िया नेता सीमन मालतो ने कहा तत्कालीन रघुवर सरकार के शासनकाल में डाकिया योजना के तहत प्रत्येक पहाड़िया परिवारों को 35-35 किलो चावल उनके घर तक पहुंचाया जा रहा था, लेकिन हेमंत सोरेन शासनकाल में पहाड़िया परिवारों की अनदेखी की जा रही है.
सीमन मालतो का आरोप है कि संथाल परगना प्रमंडल के सभी जिलों में डाकिया योजना के तहत चावल दिए जा रहे हैं और सिर्फ पाकुड़ जिले में चावल के बदले गेंहू दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति पहाड़िया युवक-युवतियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है जिसके कारण उन्हें नौकरी (Job) नहीं मिल रही है. पहाड़िया नेता ने कहा कि हेमंत सरकार की गलत नीतियों के कारण आदिम जनजाति पहाड़िया को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा. उन्होंने कहा- डीसी का ध्यान समस्याओं के निदान को लेकर आकृष्ट कराने आए हैं और यदि हमारी प्रमुख मांगें पूरी नहीं की गईं तो आने वाले दिनों में अपने मवेशी और बाल-बच्चों के साथ समाहरणालय का घेराव करेंगे.
इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिवनारायण यादव ने बताया कि जिले को चावल की आपूर्ति कम होने के कारण डाकिया योजना के लाभुकों के बीच गेहूं का वितरण किया गया है और अधिकांश लोगों ने इसका लाभ लिया है. उन्होंने कहा कि कुछ लाभुक गेहूं नहीं लेना चाहते हैं और इसे लेकर ज्ञापन भी सौंपा है. डीएसओ ने बताया कि विभाग को पूर्व में पत्राचार किया गया था और दोबारा वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा.