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विभागीय लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे PTG योजना के लाभुक, अनाज के लिए तय करनी पड़ती है लंबी दूरी - मुख्यमंत्री डाकिया योजना

पाकुड़ में आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों को प्रशासन की कार्यशैली को लेकर खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. पीटीजी योजना के लाभुकों को हर महीने 35 किलो अनाज की जगह 25 किलो अनाज मिल रहा है वो भी घर काफी दूर जाकर.

Primitive tribe families are facing problems due to careless administration
पीटीजी योजना के लाभुक
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Published : Dec 29, 2019, 7:45 PM IST

पाकुड़: घर बैठे हर महीने 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के सैकड़ों परिवार को आज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विलुप्ति की कगार पर पहुंचने वाली इस आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार को इसलिए परेशानी हो रही है कि इनके घरों तक अनाज नहीं पहुंच रहा है. आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों को सरकारी अफसरों की लापरवाही और मनमानी के कारण लंबी दूरी तय कर अनाज लेना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोशित है आदिम जनजाति
वहीं, अनाज लेने के दौरान हो रही परेशानियों की वजह से आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार शासन और प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोशित और दुखी भी हैं. जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सूरजबेड़ा और पाकुड़ सदर प्रखंड के पतरापाड़ा के मुख्यमंत्री डाकिया योजना के लाभार्थियों के मुताबिक उन्हें अब घर पहुंचा कर अनाज नहीं दिया जा रहा.

अनाज से वंचित हैं लाभार्थी
लाभार्थियों ने बताया कि कई बार तो उन्हें अनाज से भी वंचित कर दिया गया है, यह कह कर कि चावल लाने के लिए बोरा नहीं है. फिलहाल 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया सैकड़ों परिवारों ने आपूर्ति विभाग के प्रखंडस्तरीय अधिकारियों की कार्यशैली के कारण गुस्सा है. बता दें कि पीटीजी डाकिया योजना के तहत जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में 6487, पाकुड़ ग्रामीण में 559, शहरी क्षेत्र में 71, हिरणपुर प्रखंड में 697, महेशपुर प्रखंड में 1533, अमरापाड़ा प्रखंड में 2509 और पाकुड़िया प्रखंड में 390 कुल 12246 पीटीजी योजना के लाभुक हैं.

मुख्यमंत्री डाकिया योजना
लिट्टीपाड़ा प्रखंड से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री डाकिया योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत हर पीटीजी परिवारों को उनके घरों तक सरकारी खर्च पर 35 किलो बोरी बंद अनाज पहुंचाया जाता था. लेकिन अब यह अनाज घर तक नहीं पहुंचा कर किसी सार्वजनिक स्थल पर पहुंचा दिया जा रहा है. एक तरफ जहां पहाड़िया परिवारों को नियमित अनाज नहीं मिलने की शिकायतों को दूर करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. वहीं अब लाभुक खुद से अपने घरों तक 25 किलो अनाज ले जाने को मजबूर हैं.

ये भी देखें- राहुल गांधी पहुंचे रांची, हेमंत के शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल

वहीं, इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिव नारायण यादव का कहना है कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड से एक ऐसी शिकायत आई थी जिसे दूर कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि हाल में पीटीजी के लाभुकों को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत दिए जा रहे अनाज को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसी शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी.

पाकुड़: घर बैठे हर महीने 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के सैकड़ों परिवार को आज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विलुप्ति की कगार पर पहुंचने वाली इस आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार को इसलिए परेशानी हो रही है कि इनके घरों तक अनाज नहीं पहुंच रहा है. आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों को सरकारी अफसरों की लापरवाही और मनमानी के कारण लंबी दूरी तय कर अनाज लेना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोशित है आदिम जनजाति
वहीं, अनाज लेने के दौरान हो रही परेशानियों की वजह से आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार शासन और प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोशित और दुखी भी हैं. जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सूरजबेड़ा और पाकुड़ सदर प्रखंड के पतरापाड़ा के मुख्यमंत्री डाकिया योजना के लाभार्थियों के मुताबिक उन्हें अब घर पहुंचा कर अनाज नहीं दिया जा रहा.

अनाज से वंचित हैं लाभार्थी
लाभार्थियों ने बताया कि कई बार तो उन्हें अनाज से भी वंचित कर दिया गया है, यह कह कर कि चावल लाने के लिए बोरा नहीं है. फिलहाल 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया सैकड़ों परिवारों ने आपूर्ति विभाग के प्रखंडस्तरीय अधिकारियों की कार्यशैली के कारण गुस्सा है. बता दें कि पीटीजी डाकिया योजना के तहत जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में 6487, पाकुड़ ग्रामीण में 559, शहरी क्षेत्र में 71, हिरणपुर प्रखंड में 697, महेशपुर प्रखंड में 1533, अमरापाड़ा प्रखंड में 2509 और पाकुड़िया प्रखंड में 390 कुल 12246 पीटीजी योजना के लाभुक हैं.

मुख्यमंत्री डाकिया योजना
लिट्टीपाड़ा प्रखंड से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री डाकिया योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत हर पीटीजी परिवारों को उनके घरों तक सरकारी खर्च पर 35 किलो बोरी बंद अनाज पहुंचाया जाता था. लेकिन अब यह अनाज घर तक नहीं पहुंचा कर किसी सार्वजनिक स्थल पर पहुंचा दिया जा रहा है. एक तरफ जहां पहाड़िया परिवारों को नियमित अनाज नहीं मिलने की शिकायतों को दूर करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. वहीं अब लाभुक खुद से अपने घरों तक 25 किलो अनाज ले जाने को मजबूर हैं.

ये भी देखें- राहुल गांधी पहुंचे रांची, हेमंत के शपथ ग्रहण समारोह में होंगे शामिल

वहीं, इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिव नारायण यादव का कहना है कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड से एक ऐसी शिकायत आई थी जिसे दूर कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि हाल में पीटीजी के लाभुकों को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत दिए जा रहे अनाज को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसी शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी.

Intro:बाइट 1: पुरनी पहाड़िन, लाभुक
बाइट 2 : सावित्री पहाड़िन, लाभुक
बाइट 3 : शिव नारायण यादव, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, पाकुड़

पाकुड़ : घर बैठे प्रतिमाह 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया सैकड़ों परिवार को आज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विलुप्ति के कगार पर पहुंचने वाली इन आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार को इसलिए परेशानी हो रही है कि इनके घरों तक अनाज नहीं पहुंच रहा। आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों को सरकारी बाबूओ के लापरवाही एवं मनमानी की वजह से लंबी दूरी तय कर अनाज लेना पड़ रहा है।


Body:अनाज लेने के दौरान हो रही परेशानियों की वजह से आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार शासन और प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोशित और दुखी भी है। जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सूरजबेड़ा एवं पाकुड़ सदर प्रखंड के पतरापाड़ा के मुख्यमंत्री डाकिया योजना के लाभार्थियों के मुताबिक उन्हें अब घर पहुंचा कर अनाज नहीं दिया जा रहा। लाभार्थियों ने बताया कि कई बार तो उन्हें अनाज से भी वंचित कर दिया यह कह कर कि चावल लाने के लिए बोरा नहीं है। फिलवक्त 35 किलो अनाज पाने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया सैकड़ों परिवारों ने आपूर्ति विभाग के प्रखंड स्तरीय अधिकारियों की कार्यशैली के कारण गुस्सा है। मालूम हो कि पीटीजी डाकिया योजना के तहत जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में 6487, पाकुड़ ग्रामीण में 559, शहरी क्षेत्र में 71, हिरणपुर प्रखंड में 697, महेशपुर प्रखंड में 1533, अमरापाड़ा प्रखंड में 2509 एवं पाकुड़िया प्रखंड में 390 कुल 12246 पीटीजी योजना का लाभुक है।
यहां उल्लेखनीय है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पहाड़िया परिवारों द्वारा नियमित अनाज नहीं मिलने की की गई शिकायतों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री डाकिया योजना चालू की योजना की शुरुआत लिट्टीपाड़ा प्रखंड से ही की गई थी। इस योजना के तहत प्रत्येक पीटीजी परिवारों को उनके घरों तक सरकारी खर्च पर 35 किलो बोरी बंद अनाज पहुंचाया जाता था। अब यह अनाज घर तक नहीं पहुंचा कर किसी सार्वजनिक स्थल पर पहुंचा दिया जा रहा है और लाभुक खुद होकर अपने घरों तक 25 किलो अनाज ले जाने को मजबूर है।


Conclusion:इस मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिव नारायण यादव का कहना है कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड से एक ऐसी शिकायत आई थी जिसे दूर कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि हाल में पीटीजी के लाभुकों को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत दिए जा रहे अनाज को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसी शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी।
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