पाकुड़: दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शिक्षित बेरोजगार पिंटू राय ने. बायो फ्लैट टैंक में कैट फिश प्रजाति की मछलियों का पालन कर पिंटू खुद तो कमा ही रहे हैं और साथ ही दूसरों को भी रोजगार मुहैया करा रहे हैं.
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मछलियों की बढ़ी डिमांड
कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन में जहां लाखों लोग बेरोजगार हुए वहीं, पिंटू ने मछली पालन शुरू कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है. कम समय में ही पिंटू के द्वारा पाले गए मछलियों के डिमांड बढ़ गई है. मछली पालन करने वाले गांव के किसान भी पिंटू के बायो फ्लैक टैंक में की जा रही मछली पालन को देखने और समझने के लिए आ रहे हैं. पिंटू ने कैट फिश प्रजाति की मछलियों का पालन शुरू किया है. बायो फ्लैक टैंक में तेलापिया, देसी मांगुर, कवाई, सिंघी आदि के स्पॉन छोड़े गए. कम समय आमदनी भी शुरू हो गई.
पिंटू को नहीं मिली सरकार से कोई मदद
पिंटू राय ने बताया कि शुरुआती दौर में एक बायो फ्लैक टैंक में मछली पालन शुरू किया था और जैसे-जैसे आमदनी बढ़ी टैंक बढ़ाए गए. पिंटू राय आज 8 टैंक में मछली पालन कर रहे हैं. आसपास के लोग देसी मछलियों की खरीदारी करने तो पहुंच ही रहे हैं साथ ही लगने वाले साप्ताहिक बाजार में इन मछलियों की बिक्री हो रही है. बायो फ्लैक टैंक में मछली पालन करने वाले पिंटू को अब तक शासन प्रशासन से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से अगर मदद मिल गई तो मछली कारोबार को और बड़े पैमाने पर किया जाएगा ताकि आमदनी बढ़े और ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे सकें.
बायो फ्लैक टैंक के जरिए किए जा रहे मछली पालन को लेकर डीसी वरुण रंजन ने बताया जिला प्रशासन मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रहा है. डीसी ने बताया कि जिले में बंद पड़े पानी से भरे पत्थर खदानों में मछली पालन को बढ़ावा दिया गया है. उन्होंने बताया कि बायो फ्लैक टैंक के जरिए मछली पालन करने वाले लोगों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से लाभान्वित किया जाएगा.