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स्वस्थ रहना है तो भगवान से मनाइए कि ना पड़ें बीमार, नहीं तो लेना पड़ सकता है झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा - पाकुड़ सदर अस्पताल हुआ बेहाल

पाकुड़ जिले में कोरोना को भगाने के लिए चल रही मुहिम में झोलाछाप डॉक्टर एक चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि जिले के सदर अस्पताल में पहले से ही डॉक्टरों का अभाव है. लॉकडाउन के बाद से अस्पताल में जितने स्वास्थ्यकर्मी हैं वो भी नहीं आते हैं, जिसके कारण लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

People taking support of fake doctors in Pakur
पाकुड़ सदर अस्पताल
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Published : May 17, 2020, 4:23 PM IST

Updated : May 17, 2020, 6:39 PM IST

पाकुड़: कोरोना को हराने की मुहिम में पूरा देश एक साथ खड़ा है. कोरोना से बचने के लिए सभी जगहों पर सोसल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. जिला प्रशासन लोगों से लॉकडाउन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का लगातार पालन करने की अपील कर रही है. पाकुड़ में भी कोरोना की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान जारी है.

देखें पूरी खबर

पाकुड़ जिले में कोरोना को भगाने के लिए चल रही मुहिम में झोलाछाप डॉक्टर भी एक चर्चा का विषय बन गया है. लोगों का मानना है कि यदि लॉकडाउन में स्वस्थ रहना है तो भगवान से दुआ करना पड़ेगा, नहीं तो झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ सकता है. जिले में लोग ऐसा चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक तो जिले में सरकारी डॉक्टरों की कमी है, वहीं लॉकडाउन के बाद सदर अस्पताल सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी बंद है. ऐसे में किसी भी शख्स की तबीयत बिगड़ गई तो उनका एकमात्र सहारा झोलाछाप डॉक्टर ही है. शासन प्रशासन भी इन झोलाछाप डॉक्टरों की ओर विपदा की इस घड़ी में आंखें नहीं तरेर रहा है, क्योंकि स्वास्थ्य संबंधित आधे से ज्यादा समस्याओं का गांव में ही निदान हो रहा है.

इसे भी पढ़ें:- पाकुड़: पानी नहीं रहने के कारण क्वॉरेंटाइन सेंटर से भागे मजदूर, अधिकारियों की उड़ी नींद

लोगों के पास नहीं कोई उपाय

हाल के समय में इन झोलाछाप डॉक्टरों को लोग भगवान मान रहे हैं, क्योंकि निजी प्रैक्टिस करने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों का फीस बहुत ज्यादा है. ग्रामीणों का कहना है कि इलाकों में बनाए गए अस्पताल में डॉक्टर नहीं आते थे और लॉकडाउन के बाद तो अस्पताल की सारी व्यवस्था लगभग ठप है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कोई वाहन नहीं मिलता है, जिसके कारण किसी की तबीयत बिगड़ने पर गांव में घूमने वाले झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

पाकुड़ सदर अस्पताल में पदस्थापित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर आरके सिंह के मुताबिक सरकार के आदेश पर ओपीडी बंद और वर्तमान में इमरजेंसी चालू रहता है, अन्य मरीज यदि किसी साधारण रोग से ग्रसित अस्पताल में आते हैं तो उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं सीएस डॉ एसके झा का कहना है कि कुछ दिनों के अंदर ओपीडी चालू करने का निर्देश विभाग से मिला है. उन्होंने बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहने के कारण मरीजों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है, पहले हर दिन सदर अस्पताल के ओपीडी में तीन से चार सौ मरीज आते थे, लेकिन वर्तमान समय में महज 10 से 15 मरीज ही आ रहा हैं. उन्होंने बताया कि सुदूर इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर ही ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं.

पाकुड़: कोरोना को हराने की मुहिम में पूरा देश एक साथ खड़ा है. कोरोना से बचने के लिए सभी जगहों पर सोसल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. जिला प्रशासन लोगों से लॉकडाउन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का लगातार पालन करने की अपील कर रही है. पाकुड़ में भी कोरोना की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान जारी है.

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पाकुड़ जिले में कोरोना को भगाने के लिए चल रही मुहिम में झोलाछाप डॉक्टर भी एक चर्चा का विषय बन गया है. लोगों का मानना है कि यदि लॉकडाउन में स्वस्थ रहना है तो भगवान से दुआ करना पड़ेगा, नहीं तो झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ सकता है. जिले में लोग ऐसा चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक तो जिले में सरकारी डॉक्टरों की कमी है, वहीं लॉकडाउन के बाद सदर अस्पताल सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी बंद है. ऐसे में किसी भी शख्स की तबीयत बिगड़ गई तो उनका एकमात्र सहारा झोलाछाप डॉक्टर ही है. शासन प्रशासन भी इन झोलाछाप डॉक्टरों की ओर विपदा की इस घड़ी में आंखें नहीं तरेर रहा है, क्योंकि स्वास्थ्य संबंधित आधे से ज्यादा समस्याओं का गांव में ही निदान हो रहा है.

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लोगों के पास नहीं कोई उपाय

हाल के समय में इन झोलाछाप डॉक्टरों को लोग भगवान मान रहे हैं, क्योंकि निजी प्रैक्टिस करने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों का फीस बहुत ज्यादा है. ग्रामीणों का कहना है कि इलाकों में बनाए गए अस्पताल में डॉक्टर नहीं आते थे और लॉकडाउन के बाद तो अस्पताल की सारी व्यवस्था लगभग ठप है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कोई वाहन नहीं मिलता है, जिसके कारण किसी की तबीयत बिगड़ने पर गांव में घूमने वाले झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

पाकुड़ सदर अस्पताल में पदस्थापित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर आरके सिंह के मुताबिक सरकार के आदेश पर ओपीडी बंद और वर्तमान में इमरजेंसी चालू रहता है, अन्य मरीज यदि किसी साधारण रोग से ग्रसित अस्पताल में आते हैं तो उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं सीएस डॉ एसके झा का कहना है कि कुछ दिनों के अंदर ओपीडी चालू करने का निर्देश विभाग से मिला है. उन्होंने बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहने के कारण मरीजों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है, पहले हर दिन सदर अस्पताल के ओपीडी में तीन से चार सौ मरीज आते थे, लेकिन वर्तमान समय में महज 10 से 15 मरीज ही आ रहा हैं. उन्होंने बताया कि सुदूर इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर ही ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं.

Last Updated : May 17, 2020, 6:39 PM IST
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