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पाकुड़ के टेडी चीन से खाली कराएंगे हमारा बाजार, बच्चों के चेहरों पर लाएंगे मुस्कान

पाकुड़ में आरसेटी यानी एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान बीपीएल वर्ग की महिलाओं को खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही स्वरोजगार के लिए लोन उपलब्ध कराएगा. इससे भारत के खिलौना बाजार में चीन के दबदबे को कम करने में मदद मिलेगी.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
पाकुड़ के टेडी चीन से खाली कराएंगे हमारा बाजार,
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Published : Mar 21, 2021, 1:59 PM IST

Updated : Mar 22, 2021, 1:47 PM IST

पाकुड़: खिलौने, खासकर रंग-बिरंगे टेडी देश और दुनिया में तमाम चेहरों पर मुस्कान लाते हैं. साथ ही घरों की खूबसूरती भी बढ़ाते हैं. लेकिन खिलौने के बाजार में प्रतिद्वंद्वी देश चीन का राज है, पर अब पाकुड़ के टेडी बियर चीन को टक्कर देते नजर आएंगे. साथ ही देश भर में बच्चों का साथी बनेंगे. यह संभव हो रहा है आरसेटी के प्रयासों से, जो 18 साल से 45 साल की आयु की गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों-महिलाओं को टेडी बियर और खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही समूह बनवाकर स्व रोजगार शुरू कराने में मदद कर रहा है. समूह की सदस्य अपने हाथों के हुनर से खूबसूरत टेडी बना रही हैं, जिसका स्थानीय बाजार में काफी मांग है.

देखें स्पेशल खबर

ये भी पढ़ें-अनोखे अंदाज में सब्जी बेचते हैं धनबाद के पांडेजी, गाने में ही सब्जी और रेट का जिक्र

बता दें कि सरकार ने लोगों को आजीविका मुहैया कराने ने लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का संचालन कर रही है. इसी की मदद से एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) गांव की महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. प्रशिक्षण पूरी करने के बाद इन गांव की महिलाओं को बैंक से जोड़कर ऋण मुहैया कराया जाएगा. प्रशिक्षण मिलने के बाद गांव की सभी महिलाएं अपने अपने घरों में ही खिलौना बनाएंगी और बाजारों में बेचकर उत्पादन करेंगी, जो धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में भी बेची जा सकेंगी.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

13 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा

आरसेटी के निदेशक फुलजेन्स तिग्गा का कहना है कि संस्थान कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है. फिलहाल 13 दिन के लिए टेडी बियर बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके साथ ही स्वरोजगार के लिए इन्हें लोन दिलाने का भी काम किया जाता है. इसके अलाव प्रशिक्षण लेने वाले लोगों का 2 साल तक फॉलोअप किया जाता है और समस्याओं के समाधान के लिए मदद की जाती है. अच्छा काम करने वाली महिलाओं को ट्रेनर भी बनाया जाता है. इससे भी उनकी आमदनी होती है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले की दर्जनों महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

ऋण भी मुहैया कराया जाएगा

भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान महिलाओं को टेडी बीयर, हाथी, तोता, खरगोश, सांता सहित कई तरह के खिलौने बनाने का हुनर सिखा रहा है. प्रशिक्षण लेने के बाद इन महिलाओं को बैंकों से जोड़कर ऋण मुहैया कराया जाएगा ताकि यह अपना कारोबार कर सकें और आय दोगुनी कर अपने जीवन स्तर में बदलाव ला सकें.

आजीविका की जद्दोजहद

प्रशिक्षण ले रहीं मितुल कुमारी, मदीना बीवी और रीता पहाड़िन ने बताया कि हमारे घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. बाल बच्चों के भरण पोषण में भी दिक्कत आती है. अब यहां टेडी बीयर बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं ताकि अपने घरों में ही खिलौना बना कर उसे बाजार में बेचकर और आमदनी बढ़ाएंगे. महिलाओं को ऐसे खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें लागत कम हो और आमदनी दोगुनी.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

ये भी पढ़ें-विश्व गोरैया दिवसः घर-आंगन में चहचहाने वाली घरेलू चिड़िया, कहां खो गयी?

सखी मंडल से जोड़ा गया
बता दें कि पाकुड़ जिले के ग्रामीण इलाकों में जिन महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वे अपने अपने घरों में परिवार की देखभाल करती हैं. उनकी माली हालत अच्छी नहीं रहने के कारण इन्हें सखी मंडल से जोड़ा गया और अब खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देकर इन्हें कारोबार के जरिए आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम हो रहा है. उन्हें खिलौना बनाने के लिए सामग्री भी उपलब्ध कराया जाता है. इससे ये महिलाएं सशक्त बनेंगी और पीएम के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करेंगी.

पाकुड़: खिलौने, खासकर रंग-बिरंगे टेडी देश और दुनिया में तमाम चेहरों पर मुस्कान लाते हैं. साथ ही घरों की खूबसूरती भी बढ़ाते हैं. लेकिन खिलौने के बाजार में प्रतिद्वंद्वी देश चीन का राज है, पर अब पाकुड़ के टेडी बियर चीन को टक्कर देते नजर आएंगे. साथ ही देश भर में बच्चों का साथी बनेंगे. यह संभव हो रहा है आरसेटी के प्रयासों से, जो 18 साल से 45 साल की आयु की गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों-महिलाओं को टेडी बियर और खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही समूह बनवाकर स्व रोजगार शुरू कराने में मदद कर रहा है. समूह की सदस्य अपने हाथों के हुनर से खूबसूरत टेडी बना रही हैं, जिसका स्थानीय बाजार में काफी मांग है.

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बता दें कि सरकार ने लोगों को आजीविका मुहैया कराने ने लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का संचालन कर रही है. इसी की मदद से एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) गांव की महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. प्रशिक्षण पूरी करने के बाद इन गांव की महिलाओं को बैंक से जोड़कर ऋण मुहैया कराया जाएगा. प्रशिक्षण मिलने के बाद गांव की सभी महिलाएं अपने अपने घरों में ही खिलौना बनाएंगी और बाजारों में बेचकर उत्पादन करेंगी, जो धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में भी बेची जा सकेंगी.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

13 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा

आरसेटी के निदेशक फुलजेन्स तिग्गा का कहना है कि संस्थान कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है. फिलहाल 13 दिन के लिए टेडी बियर बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके साथ ही स्वरोजगार के लिए इन्हें लोन दिलाने का भी काम किया जाता है. इसके अलाव प्रशिक्षण लेने वाले लोगों का 2 साल तक फॉलोअप किया जाता है और समस्याओं के समाधान के लिए मदद की जाती है. अच्छा काम करने वाली महिलाओं को ट्रेनर भी बनाया जाता है. इससे भी उनकी आमदनी होती है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले की दर्जनों महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

ऋण भी मुहैया कराया जाएगा

भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान महिलाओं को टेडी बीयर, हाथी, तोता, खरगोश, सांता सहित कई तरह के खिलौने बनाने का हुनर सिखा रहा है. प्रशिक्षण लेने के बाद इन महिलाओं को बैंकों से जोड़कर ऋण मुहैया कराया जाएगा ताकि यह अपना कारोबार कर सकें और आय दोगुनी कर अपने जीवन स्तर में बदलाव ला सकें.

आजीविका की जद्दोजहद

प्रशिक्षण ले रहीं मितुल कुमारी, मदीना बीवी और रीता पहाड़िन ने बताया कि हमारे घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. बाल बच्चों के भरण पोषण में भी दिक्कत आती है. अब यहां टेडी बीयर बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं ताकि अपने घरों में ही खिलौना बना कर उसे बाजार में बेचकर और आमदनी बढ़ाएंगे. महिलाओं को ऐसे खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें लागत कम हो और आमदनी दोगुनी.

Pakur's teddy will end China's dominance in India's toy market
एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

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सखी मंडल से जोड़ा गया
बता दें कि पाकुड़ जिले के ग्रामीण इलाकों में जिन महिलाओं को खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वे अपने अपने घरों में परिवार की देखभाल करती हैं. उनकी माली हालत अच्छी नहीं रहने के कारण इन्हें सखी मंडल से जोड़ा गया और अब खिलौना बनाने का प्रशिक्षण देकर इन्हें कारोबार के जरिए आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम हो रहा है. उन्हें खिलौना बनाने के लिए सामग्री भी उपलब्ध कराया जाता है. इससे ये महिलाएं सशक्त बनेंगी और पीएम के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करेंगी.

Last Updated : Mar 22, 2021, 1:47 PM IST
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