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अधिकारियों ने लिखी खुले में शौचमुक्त भारत की नई कहानी, लाभुक की बढ़ाई परेशानी - पाकुड़ डीसी कुलदीप चौधरी

पाकुड़ में सरकार की ओर से बनाए गए शौचालय मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं. सैकड़ों गांव में लाभुकों के घर और आस-पास के बजाय खुले मैदान में शौचालय बना दिए गए हैं. वहीं पानी की भी कोई सुविधा नहीं होने के कारण कुछ शौचालयों का उपयोग तो पुआल और गोइठा रखने में किया जा रहा है.

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Published : Jan 24, 2020, 11:11 AM IST

पाकुड़: सरकारी आंकड़ों में जिले में एक लाख, 43 हजार, 16 शौचालयविहीन लोगों के घरों में शौचालय बनाने के दावे किए गए हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. यहां कई ऐसे शौचालय हैं जो प्रचार ज्यादा और इसके लाभुकों को कम फायदा पहुंचा रहे हैं. शौचालय की हकीकत इतने में ही नहीं थम जाती, सैकड़ों गांव में लाभुकों के घर और आस पास के बजाय खुले मैदान में शौचालय बना दिए गए हैं.

देखें पूरी खबर

नहीं मिल रहा लाभ
खुले में शौचमुक्त गांव, पंचायत, प्रखंड और जिला बनाने के लिए करोड़ों रुपए पेयजल स्वच्छता विभाग, स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से खर्च किए गए, लेकिन इसका लाभ आज भी इसके हकदार नहीं उठा पा रहे. आधे-अधूरे शौचालय आज भी न केवल पहाड़ों और दुर्गम गांव, बल्कि जिला और प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर दिख रहे हैं. कई ऐसे शौचालय भी हैं, जिसे पूरा नहीं करने के कारण लाभुक इसमें पुआल गोइठा रखने के रूप में उपयोग में ला रहे हैं. साथ ही पानी की टंकी में पानी की कहीं कोई सुविधा नजर नहीं आती.

ये भी पढ़ें- बुंडू सूर्य मंदिर में 25 और 26 जनवरी को मेले का आयोजन, 25 साल पुराना है इतिहास

लाभुकों की नहीं सुनी गई
लाभुकों का कहना है कि शौचालय बनाते वक्त इनकी एक नहीं सुनी गई और लक्ष्य हासिल करने की होड़ में जैसे-तैसे शौचालय का निर्माण करा दिया गया. शौचालय तो ऐसे बनाए गए हैं जिसमें शौच करने यदि तंदुरुस्त व्यक्ति गया तो अंदर ही रह जाएगा और बाहर आने के लिए उसे दीवार तक तोड़ना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- आजीवन कारावास की सजा काट रहे 30 बंदी रिहा, कहा- अब नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे

कार्रवाई का भरोसा
इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि जिले में जो शौचालय बनाए गए हैं, उसका उपयोग कुछ लोग कर रहे हैं और जागरूकता के अभाव में कुछ लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि लाभुक शौचालय का उपयोग करें. उन्होंने बताया कि जहां तक गुणवत्ता से संबंधित मामले हैं, इसकी जांच कराई जाएगी और गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित कार्य एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई भी किए जाएंगे.

पाकुड़: सरकारी आंकड़ों में जिले में एक लाख, 43 हजार, 16 शौचालयविहीन लोगों के घरों में शौचालय बनाने के दावे किए गए हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. यहां कई ऐसे शौचालय हैं जो प्रचार ज्यादा और इसके लाभुकों को कम फायदा पहुंचा रहे हैं. शौचालय की हकीकत इतने में ही नहीं थम जाती, सैकड़ों गांव में लाभुकों के घर और आस पास के बजाय खुले मैदान में शौचालय बना दिए गए हैं.

देखें पूरी खबर

नहीं मिल रहा लाभ
खुले में शौचमुक्त गांव, पंचायत, प्रखंड और जिला बनाने के लिए करोड़ों रुपए पेयजल स्वच्छता विभाग, स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से खर्च किए गए, लेकिन इसका लाभ आज भी इसके हकदार नहीं उठा पा रहे. आधे-अधूरे शौचालय आज भी न केवल पहाड़ों और दुर्गम गांव, बल्कि जिला और प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर दिख रहे हैं. कई ऐसे शौचालय भी हैं, जिसे पूरा नहीं करने के कारण लाभुक इसमें पुआल गोइठा रखने के रूप में उपयोग में ला रहे हैं. साथ ही पानी की टंकी में पानी की कहीं कोई सुविधा नजर नहीं आती.

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लाभुकों की नहीं सुनी गई
लाभुकों का कहना है कि शौचालय बनाते वक्त इनकी एक नहीं सुनी गई और लक्ष्य हासिल करने की होड़ में जैसे-तैसे शौचालय का निर्माण करा दिया गया. शौचालय तो ऐसे बनाए गए हैं जिसमें शौच करने यदि तंदुरुस्त व्यक्ति गया तो अंदर ही रह जाएगा और बाहर आने के लिए उसे दीवार तक तोड़ना पड़ेगा.

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कार्रवाई का भरोसा
इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि जिले में जो शौचालय बनाए गए हैं, उसका उपयोग कुछ लोग कर रहे हैं और जागरूकता के अभाव में कुछ लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि लाभुक शौचालय का उपयोग करें. उन्होंने बताया कि जहां तक गुणवत्ता से संबंधित मामले हैं, इसकी जांच कराई जाएगी और गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित कार्य एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई भी किए जाएंगे.

Intro:बाइट 1 : जयंती किस्कू, लाभुक
बाइट 2 : सुनील मुर्मू, लाभुक
बाइट 3 : कुलदीप चौधरी, डीसी, पाकुड़

पाकुड़ : खुले में शौच मुक्त भारत के प्रधानमंत्री के सपने को चकनाचूर होते यदि देखना है तो झारखंड के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जरूर आए। पाकुड़ जिले में अधिकारियों ने खुले में शौच मुक्त की ऐसी कहानी लिखी कि इसे लागू की ही परेशानी बढ़ी है।


Body:सरकारी आंकड़ों में जिले में 1 लाख 43 हजार 16 शौचालय विहीन लोगों के घरों में शौचालय बनाने के दावे किए गए हैं पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां कई ऐसे शौचालय है जो बाबाशीर और गुप्त रूप का प्रचार ज्यादा और इसके लाभुको कम फायदा पहुंचा रहे हैं। शौचालय की हकीकत इतने में ही नहीं थम जाती, सैकड़ों गांव में लाभुकों के घर एवं आसपास के बजाय खुले मैदान में शौचालय बना दिए गए हैं। जितने शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए हैं, उनमें से 80 फ़ीसदी शौचालय का इस्तेमाल करने वाले लोगों को पानी नहीं मिलता। अलबत्ता शौचालय में बनाई गई टंकी लाभुकों को रोज मुंह चिढ़ा रहा है।
खुले में शौचमुक्त गांव, पंचायत, प्रखंड एवं जिला बनाने के लिए करोड़ों रुपये पेयजल स्वच्छता विभाग द्वारा स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से खर्च किए गए पर इसका लाभ आज भी इसके हकदार नहीं उठा पा रहे क्योंकि खुले में शौच मुक्त गांव, पंचायत, प्रखंड और जिला बनाने के लिए जो फार्मूला अधिकारियों ने अपनाया है वह इसके उद्देश्य से इतर था। आधे अधूरे शौचालय आज भी ना केवल पहाड़ों और दुर्गम गांव बल्कि जिला और प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर दिख रहे हैं। कई ऐसे शौचालय भी है जिसे पूरा नहीं करने के कारण लाभुक इसमें पुआल गोईठा रखने के रूप में उपयोग में ला रहे हैं।
लाभुकों का कहना है कि शौचालय बनाते वक्त इनकी एक नहीं सुनी गई और लक्ष्य हासिल करने की होड़ में जैसे तैसे शौचालय का निर्माण करा दिया गया भले इसमें पाली की व्यवस्था ना हो। शौचालय तो ऐसे बनाए गए हैं जिसमें शौच करने यदि तंदुरुस्त व्यक्ति गया तो अंदर ही रह जाएगा और बाहर आने के लिए उसे दीवाल तक तोड़ना पड़ेगा। फिलवक्त सरकार की महत्वपूर्ण योजना लागू को जहां परेशान कर रहा है वहीं सरकारी बाबू और शासन प्रशासन में बैठे लोगों की कथनी और करनी की बयां कर रहा है।


Conclusion:इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि जिले में जो शौचालय बनाए गए हैं उसका उपयोग कुछ लोग कर रहे हैं और जागरूकता के अभाव में कुछ लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि लाभुक शौचालय का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि जहां तक गुणवत्ता से संबंधित मामले हैं इसकी जांच कराई जाएगी और यदि उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित कार्य एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई भी किए जाएंगे।
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