पाकुड़ : जिले की ऐसी सड़क जहां शासन-प्रशासन की कुछ नहीं चलती, बल्कि ट्रांसपोर्टर और कोयला परिवहन करने वाली कंपनियों का जोर है. नतीजतन पाकुड़ जिले की तकरीबन 50 किलोमीटर तक बनाई गई पाकुड़-अमड़ापाड़ा लिंक रोड पर रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. सैकड़ों लोग अबतक काल के गाल में समा चुके हैं और आवागमन की समस्या का तो कहना ही क्या. ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगने की वजह पर एमवीआई कमल किशोर का कहना है कि वे देवघर और पाकुड़ दोनों जिलों के प्रभार में हैं. इस कारण समय नहीं मिल पाता है. हालांकि जहां तक संभव होता है ओवरलोडिंग के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
ओवरलोडेड वाहनों के परिचालन से हमेशा बना रहता है हादसे का खतराः पाकुड़ से महेशपुर, पाकुड़िया और अमड़ापाड़ा प्रखंड मुख्यालय जाने वाले लोग लिंक रोड पर जान जोखिम में डाल आवागमन को मजबूर हैं. कोयला की ओवरलोडिंग की वजह लोगों को वायु प्रदूषण का खतरा सता रहा है. बता दें कि जिला प्रशासन हो या जिला टास्क फोर्स हो या मोटर यान निरीक्षक कोई भी लिंक रोड पर कभी वाहनों की जांच नहीं करते हैं. वहीं कोयला माफिया वाहनों में क्षमता से अधिक कोयला लदवाकर ट्रकों को पार कराते हैं. लोगों का आरोप है कि प्रशासन इसलिए लिंक रोड पर ओवरलोडिंग पर कार्रवाई नहीं करता, क्योंकि कोयल खनन और परिवहन करने वाली कंपनियों की ओर से बड़े पदधारकों की सुख सुविधा का ख्याल रखा जाता है.
प्रशासन नहीं लगा पा रहा ओवरलोडिंग पर अंकुशः वहीं लगातार हो रहे कोयला की ओवरलोडिंग के कारण कोयला चोरी को भी बढ़ावा मिल रहा है. जिसका सबसे ज्यादा खमियाजा पाकुड़ के लोगों को उठाना पड़ रहा है. साथ ही पुलिस के सामने भी विधि व्यवस्था को संभालने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. जिस तरह पत्थर के अवैध खनन पर रोकथाम को लेकर ज्वांइट ऑपरेशन चलाया जाता है वैसी कार्रवाई कोयला की ओवरलोडिंग के मामले में नहीं हो रही है. यदाकदा परिवहन और मोटर यान निरीक्षक द्वारा कोयला की ओवरलोडिंग को लेकर कार्रवाईयां की गई हैं, लेकिन वह भी दिखावे मात्र के लिए.
ओवरलोडिंग पर ठोस कार्रवाई की है जरूरतः यदि ठोस कार्रवाई प्रशासन के स्तर से की गई तो न केवल कोयला की चोरी पर लगाम लगेगा, बल्कि लिंक रोड पर आवाजाही में लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. सड़क किनारे रहने वाले लोगों और खेतों के मालिकों को प्रदूषण से निजात मिलेगी और राजस्व की चोरी पर भी लगाम लगेगा.