ETV Bharat / state

पाकुड़ः चोरी-छिपे एंट्री कर रहे प्रवासी, लापरवाह लोगों के कारण सहमा प्रशासन

author img

By

Published : May 21, 2020, 4:12 PM IST

दूसरे जगहों से पाकुड़ अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के लिए शासन और प्रशासन हर सुविधा मुहैया कराना चाह रहा है. लेकिन कुछ मजदूरों की लापरवाही से प्रशासन सख्ते में आ गया है.

Negligence of migrant workers
मजदूरों के साथ कोरोना भी आएगा घर

पाकुड़: पूरे देश में कोरोना वायरस को हराने को लेकर मुहिम चल रही है. इसी को लेकर सरकार ने लॉकडाउन 4 लागू किया है. इस लॉकडाउन में कई तरह की छूट भी दी गयी है और इसी में से एक छूट है प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की.

देखिए पूरी खबर

शासन और प्रशासन पूरी जी जान से अपने राज्य से दूसरे राज्य और दूसरे राज्यों से अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों को लाने और भिजवाने का काम कर रहा है. दावा तो यह भी है कि एक भी मजदूर को अपने पैसे से घर वापसी नहीं करनी होगी. इसके लिए विशेष ट्रेन के अलावे बस आदि का भी सहारा लिया जा रहा है. सरकार के आदेश से सड़क और रेलमार्ग से प्रवासी मजदूरों को घर वापसी कराने के पीछे एक मकसद यह भी है कि इन मजदूरों की प्रॉपर स्वास्थ्य जांच हो सके.

जिस तरह से प्रवासी मजदूरों का दूसरे राज्यों के रेड जोन से खासकर पाकुड़ जिले में आना हो रहा है. वैसे में सरकारी व्यवस्था और उसके दावे की पोल खुल रही है. बल्कि लोगों के मन में यह भी घर कर रहा है कि यदि यही हाल रहा तो कोरोना को हराने और भगाने की जंग कहीं कुंद न हो जाए. कुछ ग्रामीण इलाकों में प्रवासी मजदूरों को बिना थर्मल स्कैनिंग और अन्य जांच कराएं गांव में घुसने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, लेकिन अधिकांश प्रवासी मजदूर आज भी बेहिचक पैदल ही पाकुड़ जिले के मुख्य सड़क से गोड्डा, पश्चिम बंगाल के कई जिलों में जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: निर्माण क्षेत्र पर कोरोना का प्रहार, झारखंड को करीब 3,000 करोड़ का नुकसान

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी जिलों के डीसी और एसपी को निर्देश दिया था कि मजदूर पैदल आना-जाना न करें. यही वजह है कि अब घर-घर जाकर यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है कि किस घर में कौन व्यक्ति कब बाहर से आया है और कहीं बुखार, सर्दी, खांसी और अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित तो नहीं है.

जिले में 172 क्वॉरेंटाइन सेंटर

बता दे कि प्रवासी मजदूरों खासकर रेड जोन से आने वाले लोगों को 14 दिनों के क्वॉरेंटाइन के लिए जिले में 172 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. कई सेंटरों में आज भी प्रवासी मजदूर रह रहे हैं, लेकिन हजारों ऐसे मजदूर भी हैं जो चुपचाप अपने घरों में बिना स्वास्थ्य जांच कराए न केवल रह रहे बल्कि बाजारों में घूम रहे हैं. इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि ग्रामस्तर पर टीम बनाए गए हैं. जिसमें आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, एएनएम को भी शामिल किया गया. जिले के 128 पंचायतों में घर-घर जाकर सर्वे कराया जा रहा है ताकि किसी को कोई बीमारी हो तो पता चल सके और उसका समय रहते इलाज कराया जा सके.

पाकुड़: पूरे देश में कोरोना वायरस को हराने को लेकर मुहिम चल रही है. इसी को लेकर सरकार ने लॉकडाउन 4 लागू किया है. इस लॉकडाउन में कई तरह की छूट भी दी गयी है और इसी में से एक छूट है प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की.

देखिए पूरी खबर

शासन और प्रशासन पूरी जी जान से अपने राज्य से दूसरे राज्य और दूसरे राज्यों से अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों को लाने और भिजवाने का काम कर रहा है. दावा तो यह भी है कि एक भी मजदूर को अपने पैसे से घर वापसी नहीं करनी होगी. इसके लिए विशेष ट्रेन के अलावे बस आदि का भी सहारा लिया जा रहा है. सरकार के आदेश से सड़क और रेलमार्ग से प्रवासी मजदूरों को घर वापसी कराने के पीछे एक मकसद यह भी है कि इन मजदूरों की प्रॉपर स्वास्थ्य जांच हो सके.

जिस तरह से प्रवासी मजदूरों का दूसरे राज्यों के रेड जोन से खासकर पाकुड़ जिले में आना हो रहा है. वैसे में सरकारी व्यवस्था और उसके दावे की पोल खुल रही है. बल्कि लोगों के मन में यह भी घर कर रहा है कि यदि यही हाल रहा तो कोरोना को हराने और भगाने की जंग कहीं कुंद न हो जाए. कुछ ग्रामीण इलाकों में प्रवासी मजदूरों को बिना थर्मल स्कैनिंग और अन्य जांच कराएं गांव में घुसने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, लेकिन अधिकांश प्रवासी मजदूर आज भी बेहिचक पैदल ही पाकुड़ जिले के मुख्य सड़क से गोड्डा, पश्चिम बंगाल के कई जिलों में जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: निर्माण क्षेत्र पर कोरोना का प्रहार, झारखंड को करीब 3,000 करोड़ का नुकसान

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी जिलों के डीसी और एसपी को निर्देश दिया था कि मजदूर पैदल आना-जाना न करें. यही वजह है कि अब घर-घर जाकर यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है कि किस घर में कौन व्यक्ति कब बाहर से आया है और कहीं बुखार, सर्दी, खांसी और अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित तो नहीं है.

जिले में 172 क्वॉरेंटाइन सेंटर

बता दे कि प्रवासी मजदूरों खासकर रेड जोन से आने वाले लोगों को 14 दिनों के क्वॉरेंटाइन के लिए जिले में 172 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. कई सेंटरों में आज भी प्रवासी मजदूर रह रहे हैं, लेकिन हजारों ऐसे मजदूर भी हैं जो चुपचाप अपने घरों में बिना स्वास्थ्य जांच कराए न केवल रह रहे बल्कि बाजारों में घूम रहे हैं. इस मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि ग्रामस्तर पर टीम बनाए गए हैं. जिसमें आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, एएनएम को भी शामिल किया गया. जिले के 128 पंचायतों में घर-घर जाकर सर्वे कराया जा रहा है ताकि किसी को कोई बीमारी हो तो पता चल सके और उसका समय रहते इलाज कराया जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.