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पाकुड़: कोरोना को हराने का जज्बा ऐसा कि अपनों को ही गांव में घुसने की नहीं दी इजाजत

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Published : May 13, 2020, 11:58 AM IST

पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के झिकरहट्टी गांव 13 प्रवासी मजदूर पहुंचे. गांव के लोगों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली. ग्रामीणों ने इन मजदूरों को गांव से बाहर किया, जिसके बाद पुलिस आकर सभी को क्वॉरेंटाइन सेंटर ले गई.

Migrant laborers were not allowed to enter village in pakur
प्रवासी मजदूर

पाकुड़: जिले के लोग कोरोना वायरस को लेकर पूरी तरह से जागरूक हैं. इस दौरान लोग प्रशासन का साथ दे रहे हैं. वहीं बाहर से आए मजदूरों को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि गांव के लोगों ने ठाना है कि कोरोना को भगाना है.

देखिए पूरी खबर

पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के झिकरहट्टी गांव 13 प्रवासी मजदूर पहुंचे. गांव के लोगों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली. ग्रामीणों ने इन मजदूरों को गांव से बाहर किया. सभी मजबूर गांव के ही सरकारी स्कूल में रात गुजारी और दूसरे दिन प्रशासन को जब खबर मिली तो मजदूरों को पहले उसे कृषि उत्पादन बाजार समिति प्रांगण में बनाए गए कैंप ले गए. वहां मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग करायी गयी और 14 दिनों के लिए होम क्वॉरेंटाइन के लिए भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें: गोड्डाः जिले में एकमुश्त 13 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 24 घंटे में चार्ज लेने के निर्देश

इस मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. समरुल हक ने बताया कि जिन मजदूरों को गांव में घुसने नहीं दिया गया उन सभी का स्वास्थ्य जांच कराया गया है. किसी में कोई लक्षण नहीं पाया गया है. उन्होंने बताया कि सभी मजदूरों के हाथ में होम क्वॉरेंटाइन का मुहर लगाकर उसे घर भेजा गया.

पाकुड़: जिले के लोग कोरोना वायरस को लेकर पूरी तरह से जागरूक हैं. इस दौरान लोग प्रशासन का साथ दे रहे हैं. वहीं बाहर से आए मजदूरों को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि गांव के लोगों ने ठाना है कि कोरोना को भगाना है.

देखिए पूरी खबर

पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के झिकरहट्टी गांव 13 प्रवासी मजदूर पहुंचे. गांव के लोगों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली. ग्रामीणों ने इन मजदूरों को गांव से बाहर किया. सभी मजबूर गांव के ही सरकारी स्कूल में रात गुजारी और दूसरे दिन प्रशासन को जब खबर मिली तो मजदूरों को पहले उसे कृषि उत्पादन बाजार समिति प्रांगण में बनाए गए कैंप ले गए. वहां मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग करायी गयी और 14 दिनों के लिए होम क्वॉरेंटाइन के लिए भेज दिया गया.

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इस मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. समरुल हक ने बताया कि जिन मजदूरों को गांव में घुसने नहीं दिया गया उन सभी का स्वास्थ्य जांच कराया गया है. किसी में कोई लक्षण नहीं पाया गया है. उन्होंने बताया कि सभी मजदूरों के हाथ में होम क्वॉरेंटाइन का मुहर लगाकर उसे घर भेजा गया.

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