पाकुड़: क्या आपने सुना है कि खेत खाली, कागज में हरियाली. जी हां ऐसा ही पाकुड़ में भी देखने और सुनने को मिल रहा है. विभाग दावा कर रहा है कि गरीबों को पक्का मकान, शौचालय, रसोई गैस दी जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही है.
पाकुड़ में प्रधानमंत्री आवास योजना फेज-1 , जो 2016-17 में शुरू किया गया था. विभाग ने 32 हजार 856 रुपये का लक्ष्य दिया और उसकी स्वीकृति भी दी गयी. इस पर विभागीय अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए काम शुरू किया. अधिकारियों, कर्मियों और पंचायत प्रतिनिधियों को योजना को शत प्रतिशत समय पर पूरा कराने का दिशा निर्देश जारी होने लगा. जिले से लेकर प्रखंडस्तरीय बैठक और समीक्षा होने लगी. लक्ष्य के खिलाफ 2016-17 से 2018-19 तक 90.90 प्रतिशत आवास पूरा दिखा दिए गए, जबकि 2,971 पेंडिंग. वहीं, 2019-20 में 12 हजार लक्ष्य के खिलाफ 74.28 प्रतिशत पूरा होता दिखाया गया और 3087 आवास अधूरे.
विभाग ने बना दिया लाभुकों को दोषी
आंकड़ों को देखें तो विभाग 6 हजार 78 आवास 6 साल में पूरे नहीं करा पाया, तो इसके लिए दोषी कौन है. हालांकि विभाग खुद को नहीं लाभुकों को दोषी मान रहा है. विभागीय अधिकारियों और कर्मियों के मुताबिक, लाभुकों के खाते में राशि भेजी गयी और वो घर बनाने के बजाय अन्य कार्यो में खर्च कर रहे हैं.
6 साल बाद जब इन आवासों के अधूरे रहने का सवाल जवाब होने लगा तो विभाग ने खुद को साफ बताने के लिए लाभुकों को नोटिस भेज दिया. विभाग की ओर से चेतावनी दी गई कि जल्द ही आवास नहीं बनाया, तो सर्टिफिकेट केस दायर किया जाएगा और राशि उसूली जाएगी.
विभाग बना रहा दबाव
इधर, लाभुकों का कहना है कि समय पर विभाग ने राशि नहीं भेजी. अब जल्द पूरा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिले के उपायुक्त और उपविकास आयुक्त ने अधिकारियों के साथ बैठक की, समीक्षा भी की और दिशा निर्देश भी दिए तो इस पर अमल क्यों नहीं किया गया.