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Lumpy Virus in Pakur! लंपी वायरस को लेकर पशुपालकों में दहशत, कई मवेशियों की मौत की खबर

पाकुड़ में लंपी वायरस को लेकर पशुपालकों में दहशत है. वो मवेशियों की मौत और उससे होने वाले आर्थिक नुकसान को लेकर काफी परेशान हैं. वहीं जिला पशुपालन विभाग इस बीमारी की रोकथाम का दावा जरूर कर रहा है.

Many animals died due to Lumpy virus in Pakur panic among cattle farmers
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 7, 2023, 2:29 PM IST

Updated : Sep 7, 2023, 3:04 PM IST

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पाकुड़: झारखंड में लंपी वायरस लगातार पांव पसार रहा है. इस बीमारी का संक्रमण धीरे धीरे कई जिलों को अपनी चपेट में ले रहा है. इन दिनों पाकुड़ जिले के पाकुड़ ग्रामीण, हिरणपुर और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के कई गांवों के मवेशियों को में लंपी वायरस ने अपनी जद में ले लिया है. इन इलाकों में लंपी वायरस से ग्रसित कुछ गाय और बैल की मौत होने की भी खबर है. लेकिन पशुपालन विभाग लंपी वायरस से जिले में एक भी पशु की मौत की पुष्टि नहीं कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- Lumpy Virus In Jharkhand: चतरा में लंपी वायरस ने लिया महामारी का रूप, 300 से अधिक पशुओं की मौत!

जिला पशुपालन विभाग इस बीमारी की रोकथाम का दावा जरूर कर रहा है. लेकिन जिन गांवों में यह बीमारी फैली है और पशुओं को अपने आगोश में लिया है. यहां के पशुपालकों की मानें तो अबतक इसकी रोकथाम को लेकर पशुपालन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है. आज भी लंपी वायरस से ग्रसित पशु को इलाज के लिए पशुपालक सदर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सालय में ला रहे हैं. क्योंकि विभाग इन प्रभवित गांवों तक नहीं पहुंच नही पा रहा है.

जिले के दुर्गापुर, गोकुलपुर, संग्रामपुर, रहशपुर, शहरी क्षेत्र के बाउड़ीपाड़ा, हिरणपुर के देवपुर में आज भी पशु लंपी वायरस का शिकार हो रहे हैं. गाय बैलों की त्वचा पर चकता बनना, उनके नाक से पानी आना, पैर में सुजन और मवेशियों को लगातार बुखार आने से पशुपालकों में दहशत है. सदर प्रखंड के दुर्गापुर गांव के पशुपालक बाबुराम टुडू, दक्षिण मरांडी ने बताया कि उनके मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित हैं और निजी खर्चे से इलाज भी कराया लेकिन वो उसे नहीं बचा पाए.

पशुओं में फैल रहे संक्रमण को लेकर पशु चिकित्सक राजकुमार रामचंद्र गोखले ने बताया कि गाय बैल और बकरियों में अगस्त से अक्टूबर माह के बीच लंपी वायरस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. इसका समय पर इलाज नहीं होने से मवेशियों को पहले बुखार होता है और वह आहार लेना बंद कर देते हैं. पशुचिकित्सक ने बताया कि इससे बचाव को लेकर तेराइड इंजक्शन के अलावा बुखार की दवा और एंटीबाइटिक मवेशियों को दिया जा रहा है. उन्होने बताया कि लंपी वायरस से बचाव को लेकर पशुपालकों को अपने पशुओं को तुलसी पत्ता, बेलपत्ता, गिलोई, पान का पत्ता, गुड़, हल्दी, अजवाइन, सौंप एवं सोंठ को पीस कर गोली बनाकर सेवन कराना चाहिए. इससे न केवल पशुओं में लंपी वायरस के फैलने की कम संभावना रहती है बल्कि जो पशु इससे ग्रसित हैं वे जल्दी ही इससे ठीक हो जाएगे.

जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. केके भारती ने लंपी वायरस को लेकर ऑन रिकॉर्ड कुछ कहने से इनकार कर दिया. ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने कहा कि जिले में 67 हजार 900 एलएसडी वैक्सीन है और अधिकांश पशुपालक अपने मवेशी को एयर टैग लगाने नहीं दे रहे हैं, जिस कारण वैक्सीनेशन संभव नहीं हो पा रहा है. जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि लंपी वायरस जिले के पाकुड़, हिरणपुर एवं लिट्टीपाड़ा प्रखंड में फैलने की सूचना मिली है और पशु चिकित्सकों को इस बीमारी से ग्रसित पशुओं का इलाज करने का निर्देश दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand News: झारखंड में लंपी बीमारी से बचाव के लिए पशुपालन विभाग के पास वैक्सीन नहीं, राज्यभर से 21 लाख वैक्सीन की भेजी गई डिमांड

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पाकुड़: झारखंड में लंपी वायरस लगातार पांव पसार रहा है. इस बीमारी का संक्रमण धीरे धीरे कई जिलों को अपनी चपेट में ले रहा है. इन दिनों पाकुड़ जिले के पाकुड़ ग्रामीण, हिरणपुर और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के कई गांवों के मवेशियों को में लंपी वायरस ने अपनी जद में ले लिया है. इन इलाकों में लंपी वायरस से ग्रसित कुछ गाय और बैल की मौत होने की भी खबर है. लेकिन पशुपालन विभाग लंपी वायरस से जिले में एक भी पशु की मौत की पुष्टि नहीं कर रहा है.

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जिला पशुपालन विभाग इस बीमारी की रोकथाम का दावा जरूर कर रहा है. लेकिन जिन गांवों में यह बीमारी फैली है और पशुओं को अपने आगोश में लिया है. यहां के पशुपालकों की मानें तो अबतक इसकी रोकथाम को लेकर पशुपालन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है. आज भी लंपी वायरस से ग्रसित पशु को इलाज के लिए पशुपालक सदर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सालय में ला रहे हैं. क्योंकि विभाग इन प्रभवित गांवों तक नहीं पहुंच नही पा रहा है.

जिले के दुर्गापुर, गोकुलपुर, संग्रामपुर, रहशपुर, शहरी क्षेत्र के बाउड़ीपाड़ा, हिरणपुर के देवपुर में आज भी पशु लंपी वायरस का शिकार हो रहे हैं. गाय बैलों की त्वचा पर चकता बनना, उनके नाक से पानी आना, पैर में सुजन और मवेशियों को लगातार बुखार आने से पशुपालकों में दहशत है. सदर प्रखंड के दुर्गापुर गांव के पशुपालक बाबुराम टुडू, दक्षिण मरांडी ने बताया कि उनके मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित हैं और निजी खर्चे से इलाज भी कराया लेकिन वो उसे नहीं बचा पाए.

पशुओं में फैल रहे संक्रमण को लेकर पशु चिकित्सक राजकुमार रामचंद्र गोखले ने बताया कि गाय बैल और बकरियों में अगस्त से अक्टूबर माह के बीच लंपी वायरस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. इसका समय पर इलाज नहीं होने से मवेशियों को पहले बुखार होता है और वह आहार लेना बंद कर देते हैं. पशुचिकित्सक ने बताया कि इससे बचाव को लेकर तेराइड इंजक्शन के अलावा बुखार की दवा और एंटीबाइटिक मवेशियों को दिया जा रहा है. उन्होने बताया कि लंपी वायरस से बचाव को लेकर पशुपालकों को अपने पशुओं को तुलसी पत्ता, बेलपत्ता, गिलोई, पान का पत्ता, गुड़, हल्दी, अजवाइन, सौंप एवं सोंठ को पीस कर गोली बनाकर सेवन कराना चाहिए. इससे न केवल पशुओं में लंपी वायरस के फैलने की कम संभावना रहती है बल्कि जो पशु इससे ग्रसित हैं वे जल्दी ही इससे ठीक हो जाएगे.

जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. केके भारती ने लंपी वायरस को लेकर ऑन रिकॉर्ड कुछ कहने से इनकार कर दिया. ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने कहा कि जिले में 67 हजार 900 एलएसडी वैक्सीन है और अधिकांश पशुपालक अपने मवेशी को एयर टैग लगाने नहीं दे रहे हैं, जिस कारण वैक्सीनेशन संभव नहीं हो पा रहा है. जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि लंपी वायरस जिले के पाकुड़, हिरणपुर एवं लिट्टीपाड़ा प्रखंड में फैलने की सूचना मिली है और पशु चिकित्सकों को इस बीमारी से ग्रसित पशुओं का इलाज करने का निर्देश दिया गया है.

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Last Updated : Sep 7, 2023, 3:04 PM IST
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