पाकुड़: आदिवासी छात्र संघ ने झारखंड सरकार की नीतियों के खिलाफ मंगलवार को महा जन आंदोलन किया. आंदोलन के तहत हजारों आदिवासियों ने जुलूस निकाला एवं 1932 खतियान आधारित नियोजन एवं स्थानीय नीति लागू करने की मांग की. इसमें बतौर मुख्य अतिथि बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि हम सत्ता परिवर्तन नहीं, आदिवासी मूलवासी के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने स्थानीय नीति पर फैसला लेने के लिए एक माह की मोहलत दी. कहा कि अगर एक माह में 1932 खतियान पर आधारित स्थानीय नीति पर फैसला नहीं होता तो 5 मई को झारखंड बंद करेंगे.
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सत्ता में आने के बाद वादे भुला दिएः बता दें कि पाकुड़ जिला मुख्यालय के गोकुलपुर बगीचा में जनसभा का आयोजन किया गया. जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के बोरियो विधायक लोबिन हेब्रम भी पहुंचे. इसमें विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि चुनाव से पहले हेमंत सोरेन ने लोगों से वादा किया था कि स्थानीय एवं नियोजन नीति लागू करेंगे, पांच लाख बेरोजगारों को नौकरी देंगे. लेकिन सत्ता आने के बाद उन्होंने इन वादों को भुला दिया.
स्थानीय नीति लागू होने तक नहीं लौटेंगे घरः विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि अप्रैल तक यदि 1932 आधारित नियोजन एवं स्थानीय नीति लागू नहीं की गई तो 5 मई को झारखंड बंद करेंगे. विधायक ने कहा कि गुरुजी हमारे दिल में बसे हुए हैं और उनकी फोटो हम हर जगह लेकर घूमेंगे, कोई हमें रोक नहीं सकता. विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि हम आज भोगनाडीह से तिलक लगाकर प्रण लिए हैं कि जबतक स्थानीय व नियोजन नीति लागू नहीं हो जाती, हम अपने घर नही लौटेंगे.
याद दिलाया विधायक स्टीफन मरांडी को इतिहासः एक सवाल के जवाब में विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि हम सत्ता परिवर्तन की कोई लड़ाई नहीं बल्कि आदिवासी मूलवासी के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने महेशपुर विधायक स्टीफन मरांडी को लेकर कहा कि वे अपने गिरेबां में झांके. उन्होंने कहा कि स्टीफन पहले एक डुगडुगिया पार्टी बनाए थे और उसके बाद वह कांग्रेस में चले गए. जब कांग्रेस में सम्मान नहीं मिला तो झामुमो में चले आए और हमें पाठ पढ़ा रहे हैं.
सीएम के प्रतिनिधि के पास सेकेंड सीएम जैसे अधिकारः विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि वे बिहारी हैं और यहां सेकेंड सीएम बनकर राज कर रहे हैं. समय आने दीजिए बताएंगे कि कौन आदिवासी मूलवासी है और कौन बाहरी. इससे पहले आदिवासी छात्र संघ की ओर से आयोजित आंदोलन में हजारों आदिवासियों, दर्जनों आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. रानी ज्योतिर्मयी स्टेडियम से निकाली गई रैली में विद्यार्थी भी शामिल हुए.