ETV Bharat / state

पाकुड़ में भगवान भरोसे चल रहा है पशुपालन विभाग, पदाधिकारी खुद निपटाते हैं सारा कार्य

पाकुड़ का पशुपालन विभाग में पिछले दो साल से ताला लटका हुआ है, जिसके कारण पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिले के मालपहाड़ी रोड में स्थित पशुपालन विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और न ही चपरासी. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला गव्य विकास पदाधिकारी खुद करते हैं.

Lock is hanging in Animal Husbandry Development Department in Pakur
पशुपालन विकास विभाग में लटका ताला
author img

By

Published : Jul 1, 2020, 6:53 PM IST

पाकुड़: जिले का पशुपालन विभाग भगवान भरोसे चल रहा है, लेकिन शासन प्रशासन की नजर अबतक इस ओर नहीं पड़ी है, जिसके कारण इस विभाग से पशुपालकों को मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ रहा है. इस विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और ना ही चपरासी है. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला गव्य विकास पदाधिकारी को ही करना पड़ता है.

देखें पूरी खबर

पाकुड़ में सभी जिलास्तरीय कार्यालय समाहरणालय में है और इक्का-दुक्का कार्यालय आसपास है. जिले के मलपहाड़ी रोड में स्थित पशुपालन विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और न ही चपरासी. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी खुद करते हैं. पशुपालन विभाग से जिले में 16 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र पूर्व में संचालित था, लेकिन बीते दो सालों से सभी गर्भाधान केंद्रों में ताला लटका हुआ है. गर्भाधान केंद्रों के आसपास झाड़ जंगल उग गए हैं. इस विभाग से पशुपालकों को कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. पशुपालकों के मुताबिक जब कृत्रिम गर्भाधान केंद्र चालू था तभी अपने पशुओं की गर्भ जांच कराने, बांझपन को दूर कराने में सुविधा होती थी, लेकिन जब से कृत्रिम गर्भाधान केंद्र बंद हुआ है तब से झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि केंद्र चालू रहता तो गांव में ही पशुओं की जांच कराने में सुविधा होती.

इसे भी पढ़ें:- नगर परिषद ने दिया होता ध्यान, तो पीएम आवास के लाभुकों का हो जाता कल्याण


जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी धर्मेंद्र प्रसाद विद्यार्थी ने बताया कि बाएफ के साथ सरकार का इकरारनामा खत्म हो जाने के कारण जिले के सभी गर्भाधान केंद्र बंद हो गए है. उन्होंने बताया कि बाएफ के साथ जब इकरारनामा था तो उसके डॉक्टर और कर्मी केंद्र को संचालित करते थे, लेकिन यहां तो जिला कार्यालय में ही कर्मी नहीं है. उन्होंने बताया कि जिले में दो टेक्निकल ऑफिसर, कार्यालय सहायक और चपरासी के लिए विभाग को कई बार पत्राचार किया गया है, सहायक और चपरासी नहीं रहने के कारण कार्यालय का कामकाज खुद निपटाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान ने डेयरी के लिए लाभुकों का आवेदन लिया जा रहा है.

पाकुड़: जिले का पशुपालन विभाग भगवान भरोसे चल रहा है, लेकिन शासन प्रशासन की नजर अबतक इस ओर नहीं पड़ी है, जिसके कारण इस विभाग से पशुपालकों को मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ रहा है. इस विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और ना ही चपरासी है. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला गव्य विकास पदाधिकारी को ही करना पड़ता है.

देखें पूरी खबर

पाकुड़ में सभी जिलास्तरीय कार्यालय समाहरणालय में है और इक्का-दुक्का कार्यालय आसपास है. जिले के मलपहाड़ी रोड में स्थित पशुपालन विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और न ही चपरासी. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी खुद करते हैं. पशुपालन विभाग से जिले में 16 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र पूर्व में संचालित था, लेकिन बीते दो सालों से सभी गर्भाधान केंद्रों में ताला लटका हुआ है. गर्भाधान केंद्रों के आसपास झाड़ जंगल उग गए हैं. इस विभाग से पशुपालकों को कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. पशुपालकों के मुताबिक जब कृत्रिम गर्भाधान केंद्र चालू था तभी अपने पशुओं की गर्भ जांच कराने, बांझपन को दूर कराने में सुविधा होती थी, लेकिन जब से कृत्रिम गर्भाधान केंद्र बंद हुआ है तब से झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि केंद्र चालू रहता तो गांव में ही पशुओं की जांच कराने में सुविधा होती.

इसे भी पढ़ें:- नगर परिषद ने दिया होता ध्यान, तो पीएम आवास के लाभुकों का हो जाता कल्याण


जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी धर्मेंद्र प्रसाद विद्यार्थी ने बताया कि बाएफ के साथ सरकार का इकरारनामा खत्म हो जाने के कारण जिले के सभी गर्भाधान केंद्र बंद हो गए है. उन्होंने बताया कि बाएफ के साथ जब इकरारनामा था तो उसके डॉक्टर और कर्मी केंद्र को संचालित करते थे, लेकिन यहां तो जिला कार्यालय में ही कर्मी नहीं है. उन्होंने बताया कि जिले में दो टेक्निकल ऑफिसर, कार्यालय सहायक और चपरासी के लिए विभाग को कई बार पत्राचार किया गया है, सहायक और चपरासी नहीं रहने के कारण कार्यालय का कामकाज खुद निपटाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान ने डेयरी के लिए लाभुकों का आवेदन लिया जा रहा है.

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.