पाकुड़: जिले के ग्रामीण इलाकों के आज भी लोग अंधविश्वास के कारण जान गंवा रहे हैं. कोई भी बीमारी होने पर लोग स्वास्थ्य विभाग पर कम और ओझागुनी के झाड़ फूंक पर ज्यादा विश्वास करते हैं. झाड़ फूंक और अंधविश्वास के कारण पांच बच्चे की मौत होने के मामला सामने आया है, इस पर स्वास्थ्य विभाग जांच में जुट गयी है. ये मामला लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुटलो गांव का है.
पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुटलो गांव में पिछले दस दिन के अंदर पांच बच्चे की हुई मौत की सूचना पर जिला स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है. अब जिले की मेडिकल टीम गांव कैंप कर रही है. इस मेडिकल कैंप में 200 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गयी, जिसमें 45 मलेरिया पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि पांच बच्चों की मौत मलेरिया से ही हुई होगी.
बड़ा कुटलो गांव आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यहां के लोग नासमझ हैं. बच्चे के परिजनों को यह पता चल पाता कि क्या हुआ है तबतक उन बच्चों की हुई मौत हो गयी और परिजनों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया. जब 10 दिन में पांच बच्चों की मौत को लेकर चर्चाएं होने लगीं तो स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और बड़ा कुटलो गांव में कैंप लगाया. इस कैंप में स्वास्थ्य जांच के दौरान अधिकांश महिला, पुरुष व बच्चे मलेरिया पॉजिटिव पाए गये. इस मेडिकल टीम में शामिल चिकित्सकों ने गंभीर रूप से बीमार ग्रामीणों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लिट्टीपाड़ा में भर्ती कराया तो कुछ ग्रामीणों का इलाज गांव में चल रहा है.
पाकुड़ डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल भी अधिकारियों की टीम के साथ मेडिकल कैंप पहुंचे तो लोगों की बात सुनकर हैरान हो गए. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि अधिकांश लोग बीमार होने से वे ओझागुनी के पास झाड़ फूंक कराते हैं. इसके अलावा झोलाछाप डॉक्टर व गांव के आसपास जड़ी बूटी लेकर अपना कराते हैं क्योंकि वो अस्पताल के इलाज से डरते हैं. ग्रामीणों की बात सुनकर उपायुक्त ने उन्हें समझाया बुझाया और ग्रामीणों को समझाने के लिए वहां मौजूद चिकित्सकों से अपने रक्त की जांच ग्रामीणों के के सामने करायी और बताया कि इसमें डरने की कोई बात नही.
इस कैंप में मौजूद पाकुड़ सिविल सर्जन ने बताया कि बड़ा कुटलो गांव में तीन टोला हैं और यहां रह रहे लगभग 700 ग्रामीणों की रक्त जांच करने, घर का सर्वे करने, फॉगिंग कराने का निर्देश दिया गया है. साथ ही गंभीर रूप से बीमार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है और जो गंभीर नहीं हैं उसका इलाज गांव में कराकर उन्हें दवा दी जा रही है. सिविल सर्जन ने बताया कि आसपास के 23 ऐसे गांव हैं जहां विशेष रूप से मलेरिया खोज अभियान के अलावा फॉगिंग कराने का निर्देश दिया गया है. सिविल सर्जन ने बताया कि पांच बच्चे की मौत की सूचना मिली है लेकिन किन कारणों से बच्चे की मौत हुई है, इसकी जांच की जा रही है.
वहीं उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने बताया कि लोगों में जागरूकता की कमी के कारण यहां मलेरिया फैली है. जांच में कुछ लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है. डीसी ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों की टीम को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है ताकि कोई भी बीमारी से ग्रसित न रहे. साथ ही प्रखंड के बीडीओ सहित अन्य कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्तर से ग्रामीणों को स्वास्थ्य जांच के लिए लोगों को जागरूक करें.
बता दें कि जिला का अमड़ापाड़ा और लिट्टीपाड़ा प्रखंड आदिवासी पहाड़िया बहुल इलाका है और इन दोनों प्रखंड मलेरिया जोन के रूप में वर्षों से चिन्हित है. इन दोनों प्रखंडों में खासकर जंगल एवं पहाड़ी इलाकों में रहने वाले ग्रामीण डेंगू, मलेरिया और ब्रेन मलेरिया के शिकार होते हैं. यह क्षेत्र लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है और पूर्व में इस विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व झामुमो के कद्दावर नेता साइमन मरांडी करते थे. लेकिन उनके निधन के बाद उनका पुत्र दिनेश विलियम मरांडी वर्तमान में कर रहे हैं.
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